قَالَتۡ لَہُمۡ رُسُلُہُمۡ اِنۡ نَّحۡنُ اِلَّا بَشَرٌ مِّثۡلُکُمۡ وَ لٰکِنَّ اللّٰہَ یَمُنُّ عَلٰی مَنۡ یَّشَآءُ مِنۡ عِبَادِہٖ ؕ وَ مَا کَانَ لَنَاۤ اَنۡ نَّاۡتِیَکُمۡ بِسُلۡطٰنٍ اِلَّا بِاِذۡنِ اللّٰہِ ؕ وَ عَلَی اللّٰہِ فَلۡیَتَوَکَّلِ الۡمُؤۡمِنُوۡنَ ﴿۱۱﴾
11. ان کے رسولوں نے ان سے کہا: اگرچہ ہم (نفسِ بشریت میں) تمہاری طرح انسان ہی ہیں لیکن (اس فرق پر بھی غور کرو کہ) اللہ اپنے بندوں میں سے جس پر چاہتا ہے احسان فرماتا ہے (پھر برابری کیسی؟)، اور (رہ گئی روشن دلیل کی بات) یہ ہمارا کام نہیں کہ ہم اللہ کے حکم کے بغیر تمہارے پاس کوئی دلیل لے آئیں، اور اللہ ہی پر مومنوں کو بھروسہ کرنا چاہئےo
11. Their Messengers said to them: ‘Though (in constitution of self) we are humans like you, but (also mark the difference that) Allah favours whom He likes of His servants. (Then how are you equal?) And (as for clear proof) it is not for us to bring you a proof without Allah’s decree, and the believers must put their trust in Allah alone.
11. Qalat lahum rusuluhum in nahnu illa basharun mithlukum walakinna Allaha yamunnu AAala man yashao min AAibadihi wama kana lana an natiyakum bisultanin illa biithni Allahi waAAala Allahi falyatawakkali almuminoona
11. Sendebudene deres sa til dem: «Selv om vi (i den fysiske strukturen) er mennesker lik dere, men (tenk nå litt dypt etter på den forskjellen også at) Allah skjenker Sin godhet til den Han vil av Sine tjenere (hvordan kan vi være like da?). Og det er ikke opp til oss å bringe noe bevis til dere (når det gjelder det klare beviset), uten Allahs bestemmelse. Og de troende må lite på Allah alene.
11. उनके रसूलों ने उनसे कहा: अगर्चे हम (नफ्से बशरिय्यत में) तुम्हारी तरह इंसान ही हैं लेकिन (इस फर्क़ पर भी ग़ौर करो कि) अल्लाह अपने बन्दों में से जिस पर चाहता है एहसान फरमाता है (फिर बराबरी कैसी?), और (रह गई रौशन दलील की बात) ये हमारा काम नहीं कि हम अल्लाह के हुक्म के बग़ैर तुम्हारे पास कोई दलील ले आएं, और अल्लाह ही पर मोमिनों को भरोसा करना चाहिए।
১১. তাদের রাসূলগণ বললেন, ‘যদিও আমরা (মানবীয় সত্তায়) তোমাদের মতোই মানুষ কিন্তু (এ পার্থক্যের দিকেও লক্ষ্য করো যে,) আল্লাহ্ তাঁর বান্দাদের মধ্য থেকে যাকে ইচ্ছা তাঁর প্রতি অনুগ্রহ করেন। (কাজেই সমতা কিভাবে হলো?) আর (রয়ে গেল সুস্পষ্ট প্রমাণের বিষয়) এটি আমাদের কাজ নয় যে, আমরা আল্লাহ্র নির্দেশ ব্যতীত তোমাদের নিকট কোনো দলিল উপস্থিত করবো। আর আল্লাহ্রই উপর মুমিনদের ভরসা করা উচিত।
*(এখানে হযরত ইবরাহীম আলাইহিস সালামের প্রকৃত পিতা তারাখের দিকে ইংগিত করা হয়েছে। তিনি কাফের ও মুশরিক ছিলেন না, বরং সত্য দ্বীনের উপর ছিলেন। আযর প্রকৃতপক্ষে ছিলেন তাঁর চাচা। সে তাঁকে (অর্থাৎ ইবরাহীম আলাইহিস সালামকে) তাঁর পিতার ইন্তেকালের পর লালন-পালন করেছিল। এ জন্যে তাকে প্রথা অনুযায়ী পিতা বলা হয়েছে এবং সে ছিল মুশরিক। আর তাঁকে এ জন্যে মাগফিরাতের দু’আ করা থেকে বাধা দেয়া হয়েছিল। আর এখানে তাঁর প্রকৃত পিতা-মাতার জন্যে মাগফিরাতের দু’আ করা হচ্ছে। এ দু’আ আল্লাহ্র এ পরিমাণ পছন্দ হয়েছিল যে, একে মুহাম্মদ (সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়া আলিহী ওয়াসাল্লাম)-এঁর নামাযের মধ্যেও বহাল রাখা হয়েছে।
قالت لهم رسلهم إن نحن إلا بشر مثلكم ولـكن الله يمن على من يشاء من عباده وما كان لنا أن نأتيكم بسلطان إلا بإذن الله وعلى الله فليتوكل المؤمنون