فَاِنۡ خِفۡتُمۡ فَرِجَالًا اَوۡ رُکۡبَانًا ۚ فَاِذَاۤ اَمِنۡتُمۡ فَاذۡکُرُوا اللّٰہَ کَمَا عَلَّمَکُمۡ مَّا لَمۡ تَکُوۡنُوۡا تَعۡلَمُوۡنَ ﴿۲۳۹﴾
239. پھر اگر تم حالتِ خوف میں ہو تو پیادہ یا سوار (جیسے بھی ہو نماز پڑھ لیا کرو)، پھر جب تم حالتِ امن میں آجاؤ تو انہی طریقوں پر اللہ کی یاد کرو جو اس نے تمہیں سکھائے ہیں جنہیں تم (پہلے) نہیں جانتے تھےo
239. Should you be in a state of fear, then (do offer Prayer) whether on foot or whilst riding (as the case may be), but once you get back to peace, remember Allah in the manner He has taught you which you did not know (before).
239. Fain khiftum farijalan aw rukbanan faitha amintum faothkuroo Allaha kama AAallamakum ma lam takoonoo taAAlamoona
239. Hvis dere skulle være i en tilstand av frykt, så (forrett tidebønnen) enten til fots eller ridende (slik som det går), men når dere kommer i en tilstand av trygghet, så kom i hu Allah på de måtene som Han har lært dere, dem som dere ikke ante om (før).
239. फिर अगर तुम हालते ख़ौफ में हो तो पियादा या सवार (जैसे भी हो नमाज़ पढ़ लिया करो), फिर जब तुम हालते अम्न में आ जाओ तो उन्ही तरीक़ों पर अल्लाह की याद करो जो उसने तुम्हें सिखाए हैं जिन्हें तुम (पहले) नहीं जानते थे।
২৩৯. অতঃপর যদি তোমরা ভীতিকর অবস্থায় পতিত হও, তবে পদব্রজে অথবা আরোহণ অবস্থায় (যেভাবেই থাকো নামায আদায় করো)। সুতরাং যখন তোমরা নিরাপদ অবস্থানে আগমন করো, তখন সকল পন্থায় আল্লাহ্কে স্মরণ করো যেভাবে তিনি তোমাদেরকে শিখিয়েছেন যা তোমরা জানতে না।
فإن خفتم فرجالا أو ركبانا فإذا أمنتم فاذكروا الله كما علمكم ما لم تكونوا تعلمون