Surah al-‘Ankabut with Urdu Translation

Irfan-ul-Quran
  • 20, 21پارہ نمبر
  • 69آيات
  • 7رکوع
  • 85ترتيب نزولي
  • 29ترتيب تلاوت
  • مکیسورہ
or

اللہ کے نام سے شروع جو نہایت مہربان ہمیشہ رحم فرمانے والا ہے

In the Name of Allah, the Most Compassionate, the Ever-Merciful

وَ لَقَدۡ فَتَنَّا الَّذِیۡنَ مِنۡ قَبۡلِہِمۡ فَلَیَعۡلَمَنَّ اللّٰہُ الَّذِیۡنَ صَدَقُوۡا وَ لَیَعۡلَمَنَّ الۡکٰذِبِیۡنَ ﴿۳﴾

3. اور بیشک ہم نے ان لوگوں کو (بھی) آزمایا تھا جو ان سے پہلے تھے سو یقیناً اللہ ان لوگوں کو ضرور (آزمائش کے ذریعے) نمایاں فرما دے گا جو (دعوٰی ایمان میں) سچے ہیں اور جھوٹوں کو (بھی) ضرور ظاہر کر دے گاo

3. And surely, We tried (also) those who were before them. Allah will certainly show up (through trial) those who are truthful (in claiming beliefs), and shall make the liars (as well) stand out.

3. Walaqad fatanna allatheena min qablihim falayaAAlamanna Allahu allatheena sadaqoo walayaAAlamanna alkathibeena

3. Og uten tvil, Vi testet også dem som var før dem. Allah vil visselig synliggjøre (ved å teste) dem som er sanne (ved å påstå at de er troende), og Han vil visselig synliggjøre de løgnaktige.

3. और बेशक हमने उन लोगों को (भी) आज़माया था जो उनसे पहले थे सो यक़ीनन अल्लाह उन लोगों को ज़रूर (आज़माइश के ज़रीए) नुमायां फरमा देगा जो (दा’वए ईमान में) सच्चे हैं और झूटों को (भी) ज़रूर ज़ाहिर कर देगा।

৩. আমরা তো ঐসব লোককে(ও) পরীক্ষা করেছিলাম যারা তাদের পূর্বে ছিল, সুতরাং আল্লাহ্ অবশ্যই তাদেরকে (পরীক্ষার মাধ্যমে) অনন্য হিসেবে প্রকাশ করবেন যারা (ঈমানের দাবীতে) সত্যবাদী; আর মিথ্যাবাদীদেরকেও অবশ্যই প্রকাশ করবেন।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 3)
اَمۡ حَسِبَ الَّذِیۡنَ یَعۡمَلُوۡنَ السَّیِّاٰتِ اَنۡ یَّسۡبِقُوۡنَا ؕ سَآءَ مَا یَحۡکُمُوۡنَ ﴿۴﴾

4. کیا جو لوگ برے کام کرتے ہیں یہ گمان کئے ہوئے ہیں کہ وہ ہمارے (قابو) سے باہر نکل جائیں گے؟ کیا ہی برا ہے جو وہ (اپنے ذہنوں میں) فیصلہ کرتے ہیںo

4. Do the evildoers think that they will slip away from Our (grip)? How evil is what they decide (in their minds)!

4. Am hasiba allatheena yaAAmaloona alssayyiati an yasbiqoona saa ma yahkumoona

4. Antar de som handler ondt, at de vil komme seg unna Oss (Vårt grep)? Hvor elendig avgjørelsen (i tankene) deres er!

4. क्या जो लोग बुरे काम करते हैं ये गुमान किए हुए हैं कि वोह हमारे (क़ाबू) से बाहर निकल जाएंगे? क्या ही बुरा है जो वोह (अपने ज़ेहनों में) फैसला करते हैं।

৪. যারা মন্দকর্ম করে তারা কি মনে করে যে, তারা আমাদের (নিয়ন্ত্রণের) বাইরে চলে যাবে? কতোই না নিকৃষ্ট (তা) যা তারা (নিজেদের ভাবনায়) সিদ্ধান্ত নেয়।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 4)
مَنۡ کَانَ یَرۡجُوۡا لِقَآءَ اللّٰہِ فَاِنَّ اَجَلَ اللّٰہِ لَاٰتٍ ؕ وَ ہُوَ السَّمِیۡعُ الۡعَلِیۡمُ ﴿۵﴾

5. جو شخص اللہ سے ملاقات کی امید رکھتا ہے تو بیشک اللہ کا مقرر کردہ وقت ضرور آنے والا ہے، اور وہی سننے والا جاننے والا ہےo

5. Whoever hopes for meeting with Allah, then Allah’s appointed time is bound to come. And He alone is All-Hearing, All-Knowing.

5. Man kana yarjoo liqaa Allahi fainna ajala Allahi laatin wahuwa alssameeAAu alAAaleemu

5. Den som setter sitt håp til å møte Allah, sannelig, Allahs bestemte tid vil komme. Og Han er den Allhørende, den Allvitende.

5. जो शख़्स अल्लाह से मुलाक़ात की उम्मीद रखता है तो बेशक अल्लाह का मुक़र्रर कर्दा वक़्त ज़रूर आने वाला है, और वोही सुनने वाला जानने वाला है।

৫. যে ব্যক্তি আল্লাহ্‌র সাথে সাক্ষাতের আশা রাখে, তবে অবশ্যই আল্লাহ্‌র নির্ধারিত সময় সমাগত। আর তিনিই সর্বশ্রোতা, সর্বজ্ঞানী।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 5)
وَ مَنۡ جَاہَدَ فَاِنَّمَا یُجَاہِدُ لِنَفۡسِہٖ ؕ اِنَّ اللّٰہَ لَغَنِیٌّ عَنِ الۡعٰلَمِیۡنَ ﴿۶﴾

6. جو شخص (راہِ حق میں) جد و جہد کرتا ہے وہ اپنے ہی (نفع کے) لئے تگ و دو کرتا ہے، بیشک اللہ تمام جہانوں (کی طاعتوں، کوششوں اور مجاہدوں) سے بے نیاز ہےo

6. And whoever strives hard (for the cause of truth) strives for his own (benefit). Surely, Allah is independent of (the obedience, submission and struggles of) all the worlds.

6. Waman jahada fainnama yujahidu linafsihi inna Allaha laghaniyyun AAani alAAalameena

6. Og den som anstrenger seg (for sannhetens sak), anstrenger seg kun til sitt eget beste. Sannelig, Allah er uavhengig av alle verdener (verdeners lydighet, slit og strev).

6. जो शख़्स (राहे हक़्क़ में) जिद्दो जहद करता है वोह अपने ही (नफे़ के) लिए तगो दव करता है, बेशक अल्लाह तमाम जहानों (की ताअ़तों कोशिशों और मुजाहिदों) से बे नियाज़ है।

৬. যে ব্যক্তি (সত্যের পথে) প্রাণপণ চেষ্টা করে, সে নিজেরই (উপকারের) জন্যে চেষ্টা করে। নিশ্চয়ই আল্লাহ্ সমগ্র জাহানের (আনুগত্য, নতি, প্রচেষ্টা এবং সংগ্রামের) অমুখাপেক্ষী।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 6)
وَ الَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡا وَ عَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَنُکَفِّرَنَّ عَنۡہُمۡ سَیِّاٰتِہِمۡ وَ لَنَجۡزِیَنَّہُمۡ اَحۡسَنَ الَّذِیۡ کَانُوۡا یَعۡمَلُوۡنَ ﴿۷﴾

7. اور جو لوگ ایمان لائے اور نیک عمل کرتے رہے تو ہم ان کی ساری خطائیں ان (کے نامۂ اعمال) سے مٹا دیں گے اور ہم یقیناً انہیں اس سے بہتر جزا عطا فرما دیں گے جو عمل وہ (فی الواقع) کرتے رہے تھےo

7. And those who believe and do pious deeds, We shall remove all their misdeeds from their (record), and We shall certainly give them a reward better than the deeds which they will have (actually) accomplished.

7. Waallatheena amanoo waAAamiloo alssalihati lanukaffiranna AAanhum sayyiatihim walanajziyannahum ahsana allathee kanoo yaAAmaloona

7. Og for dem som antar troen og handler rettskaffent, vil Vi utviske alle feiltrinn fra dem (deres gjerningsregister), og Vi vil visselig gi dem bedre belønning enn det de (egentlig) pleide å gjøre.

7. और जो लोग ईमान लाए और नेक अ़मल करते रहे तो हम उनकी सारी ख़ताएं उन (के नामाए आमाल) से मिटा देंगे और हम यक़ीनन उन्हें उससे बेहतर जज़ा अ़ता फरमा देंगे जो अ़मल वोह (फिल वाक़ेअ़) करते रहे थे।

৭. আর যারা ঈমান আনে এবং সৎকর্ম করে আমরা তাদের সমস্ত ত্রুটি-বিচ্যুতি তাদের (আমলনামা) থেকে মুছে দেবো। আর আমরা অবশ্যই তাদেরকে এর চেয়েও উত্তম প্রতিদান দেবো যা তারা (প্রকৃতপক্ষে) সম্পন্ন করে।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 7)
وَ وَصَّیۡنَا الۡاِنۡسَانَ بِوَالِدَیۡہِ حُسۡنًا ؕ وَ اِنۡ جَاہَدٰکَ لِتُشۡرِکَ بِیۡ مَا لَیۡسَ لَکَ بِہٖ عِلۡمٌ فَلَا تُطِعۡہُمَا ؕ اِلَیَّ مَرۡجِعُکُمۡ فَاُنَبِّئُکُمۡ بِمَا کُنۡتُمۡ تَعۡمَلُوۡنَ ﴿۸﴾

8. اور ہم نے انسان کو اس کے والدین سے نیک سلوک کا حکم فرمایا اور اگر وہ تجھ پر (یہ) کوشش کریں کہ تو میرے ساتھ اس چیز کو شریک ٹھہرائے جس کا تجھے کچھ بھی علم نہیں تو ان کی اطاعت مت کر، میری ہی طرف تم (سب) کو پلٹنا ہے سو میں تمہیں ان (کاموں) سے آگاہ کردوں گا جو تم (دنیا میں) کیا کرتے تھےo

8. And We have enjoined upon man to behave benevolently with his parents. And if they contend with you that you should associate (others) with Me, of which you have no knowledge, then do not obey them. To Me you (all) have to return. So I shall inform you of (the deeds) which you used to do (in the world).

8. Wawassayna alinsana biwalidayhi husnan wain jahadaka litushrika bee ma laysa laka bihi AAilmun fala tutiAAhuma ilayya marjiAAukum faonabbiokum bima kuntum taAAmaloona

8. Og Vi har ettertrykkelig påbudt mennesket å behandle foreldrene sine moralsk fortreffelig. Men hvis de strever for at du skal likestille Meg med det du ikke har noen viten om, så adlyd dem ikke. Til Meg må dere (alle) vende tilbake. Og Jeg vil underrette dere om alt det (gjerningene) dere pleide å gjøre (i verden).

8. और हमने इंसान को उसके वालिदैन से नेक सुलूक का हुक्म फरमाया और अगर वोह तुझ पर (ये) कोशिश करें कि तू मेरे साथ उस चीज़ को शरीक ठहराए जिसका तुझे कुछ भी इल्म नहीं तो उनकी इताअ़त मत कर, मेरी ही तरफ तुम (सब) को पलटना है सो में तुम्हें उन (कामों) से आगाह कर दूंगा जो तुम (दुन्या में) किया करते थे।

৮. আর আমরা মানুষকে তার পিতা-মাতার সাথে সদাচরণের নির্দেশ দিয়েছি; আর যদি তারা তোমাকে বাধ্য করে যে, তুমি আমার সাথে এমন কিছুর অংশীদার সাব্যস্ত করো যার ব্যাপারে তোমার কোনো জ্ঞান নেই, তবে তুমি তাদের মান্য করো না। আমার দিকেই তোমাদের (সকলের) প্রত্যাবর্তন। সুতরাং আমি তোমাদেরকে এ (কর্মকান্ড) সম্পর্কে অবগত করবো যা তোমরা (পৃথিবীতে) সম্পাদন করতে।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 8)
وَ مِنَ النَّاسِ مَنۡ یَّقُوۡلُ اٰمَنَّا بِاللّٰہِ فَاِذَاۤ اُوۡذِیَ فِی اللّٰہِ جَعَلَ فِتۡنَۃَ النَّاسِ کَعَذَابِ اللّٰہِ ؕ وَ لَئِنۡ جَآءَ نَصۡرٌ مِّنۡ رَّبِّکَ لَیَقُوۡلُنَّ اِنَّا کُنَّا مَعَکُمۡ ؕ اَوَ لَیۡسَ اللّٰہُ بِاَعۡلَمَ بِمَا فِیۡ صُدُوۡرِ الۡعٰلَمِیۡنَ ﴿۱۰﴾

10. اور لوگوں میں ایسے شخص (بھی) ہوتے ہیں جو (زبان سے) کہتے ہیں کہ ہم اللہ پر ایمان لائے، پھر جب انہیں اللہ کی راہ میں (کوئی) تکلیف پہنچائی جاتی ہے تو وہ لوگوں کی آزمائش کواللہ کے عذاب کی مانند قرار دیتے ہیں، اور اگر آپ کے رب کی جانب سے کوئی مدد آپہنچتی ہے تو وہ یقیناً یہ کہنے لگتے ہیں کہ ہم تو تمہارے ساتھ ہی تھے، کیا اللہ ان (باتوں) کو نہیں جانتا جو جہان والوں کے سینوں میں (پوشیدہ) ہیںo

10. And there are (also) those amongst the people who say: ‘We believe in Allah,’ but when they are put to (some) trouble in the way of Allah, they consider the trial of the people like punishment from Allah. And if some help comes from your Lord, then indeed they start saying: ‘We were with you.’ Is Allah not best aware of those (things) which are (hidden) in the breasts of all the people of the world?

10. Wamina alnnasi man yaqoolu amanna biAllahi faitha oothiya fee Allahi jaAAala fitnata alnnasi kaAAathabi Allahi walain jaa nasrun min rabbika layaqoolunna inna kunna maAAakum awalaysa Allahu biaAAlama bima fee sudoori alAAalameena

10. Og det finnes også slike blant folk som (med tungen) sier: «Vi har antatt troen på Allah!», men når de blir påført noe smerte for Allahs sak, anser de menneskenes test som om den skulle være Allahs pine. Og hvis det kommer noe hjelp fra Herren din, begynner de visselig å si: «Vi var med dere!» Kjenner da ikke Allah til alt det som skjuler seg i brystet til all verden?

10. और लोगों में ऐसे शख़्स (भी) होते हैं जो (जु़बान से) कहते हैं कि हम अल्लाह पर ईमान लाए फिर जब उन्हें अल्लाह की राह में (कोई) तक्लीफ पहुंचाई जाती है तो वोह लोगों की आज़माइश को अल्लाह के अ़ज़ाब की मानिन्द क़रार देते हैं, और अगर आपके रब की जानिब से कोई मदद आ पहुंचती है तो वोह यक़ीनन ये कहने लगते हैं कि हम तो तुम्हारे साथ ही थे, क्या अल्लाह उन (बातों) को नहीं जानता जो जहान वालों के सीनों में (पोशीदा) हैं।

১০. আর মানুষের মাঝে এমন লোক(ও) রয়েছে যারা (মুখে) বলে, ‘আমরা আল্লাহ্‌র প্রতি ঈমান এনেছি’। অতঃপর যখন তাদেরকে আল্লাহ্‌র পথে (কোনো) কষ্টে ফেলা হয় তখন তারা মানুষের পীড়নকে আল্লাহ্‌র শাস্তি হিসেবে গণ্য করে। আর যদি আপনার প্রতিপালকের পক্ষ থেকে কোনো সাহায্য আসে তখন তারা নিশ্চিত বলতে শুরু করে, ‘আমরা তো তোমাদের সাথেই ছিলাম’। আল্লাহ্ কি তাদের (বিষয়) অবগত নন যা জগদ্বাসীর অন্তঃকরণে (লুকায়িত) রয়েছে?

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 10)
وَ قَالَ الَّذِیۡنَ کَفَرُوۡا لِلَّذِیۡنَ اٰمَنُوا اتَّبِعُوۡا سَبِیۡلَنَا وَ لۡنَحۡمِلۡ خَطٰیٰکُمۡ ؕ وَ مَا ہُمۡ بِحٰمِلِیۡنَ مِنۡ خَطٰیٰہُمۡ مِّنۡ شَیۡءٍ ؕ اِنَّہُمۡ لَکٰذِبُوۡنَ ﴿۱۲﴾

12. اور کافر لوگ ایمان والوں سے کہتے ہیں کہ تم ہماری راہ کی پیروی کرو اور ہم تمہاری خطاؤں (کے بوجھ) کو اٹھا لیں گے، حالانکہ وہ ان کے گناہوں کا کچھ بھی (بوجھ) اٹھانے والے نہیں ہیں بیشک وہ جھوٹے ہیںo

12. And the disbelievers say to the believers: ‘Follow our way and we shall bear (the burden of) your sins,’ whereas they will not bear any (burden) of their sins. Surely, they are liars.

12. Waqala allatheena kafaroo lillatheena amanoo ittabiAAoo sabeelana walnahmil khatayakum wama hum bihamileena min khatayahum min shayin innahum lakathiboona

12. Og de vantro sier til de troende: «Følg vår vei, og vi skal bære på deres feiltrinn (feiltrinns last)!», enda de ikke kan bære på noe som helst av deres feiltrinn (feiltrinns last). Sannelig, de er løgnere.

12. और काफिर लोग ईमान वालों से कहते हैं कि तुम हमारी राह की पैरवी करो और हम तुम्हारी ख़ताओं (के बोझ) को उठा लेंगे, हालांकि वोह उन के गुनाहों का कुछ भी (बोझ) उठाने वाले नहीं हैं बेशक वोह झूटे हैं।

১২. আর কাফেরেরা ঈমানদারদেরকে বলে, ‘তোমরা আমাদের পথ অনুসরণ করো এবং আমরা তোমাদের পাপের ভার বহন করবো’; অথচ তারা তাদের পাপের (বোঝা) কিছুই বহন করবে না। তারা অবশ্যই মিথ্যাবাদী।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 12)
وَ لَیَحۡمِلُنَّ اَثۡقَالَہُمۡ وَ اَثۡقَالًا مَّعَ اَثۡقَالِہِمۡ ۫ وَ لَیُسۡـَٔلُنَّ یَوۡمَ الۡقِیٰمَۃِ عَمَّا کَانُوۡا یَفۡتَرُوۡنَ ﴿٪۱۳﴾

13. وہ یقیناً اپنے (گناہوں کے) بوجھ اٹھائیں گے اور اپنے بوجھوں کے ساتھ کئی (دوسرے) بوجھ (بھی اپنے اوپر لادے ہوں گے) اور ان سے روزِ قیامت ان (بہتانوں) کی ضرور پرسش کی جائے گی جو وہ گھڑا کرتے تھےo

13. And they will certainly carry their own burdens (of sins), and (will also have loaded) many (other) burdens (over themselves) along with their own burdens. And they will certainly be interrogated on the Day of Resurrection about those (false allegations) which they used to invent.

13. Walayahmilunna athqalahum waathqalan maAAa athqalihim walayusalunna yawma alqiyamati AAamma kanoo yaftaroona

13. Og de vil visselig bære sine egne (synders) last, og med sine laster vil de bære på (mange andre) laster. Og på oppstandelsens dag vil de visselig bli forhørt om det (de falske beskyldningene) som de pleide å oppdikte.

13. वोह यक़ीनन अपने (गुनाहों के) बोझ उठाएंगे और अपने बोझों के साथ कई (दूसरे) बोझ (भी अपने ऊपर लादे होंगे) और उनसे रोज़े क़ियामत उन (बोहतानों) की ज़रूर पुर्सिश की जाएगी जो वोह घड़ा करते थे।

১৩. তারা অবশ্যই নিজেদের (পাপের) বোঝা বহন করবে এবং নিজেদের বোঝার সাথে (অন্যান্য) আরো অনেক বোঝাও (নিজেদের কাঁধে বহন করবে।) আর তাদেরকে কিয়ামতের দিন সেসব (অপবাদ) সম্পর্কে অবশ্যই জিজ্ঞেস করা হবে যা তারা উদ্ভাবন করতো।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 13)
وَ لَقَدۡ اَرۡسَلۡنَا نُوۡحًا اِلٰی قَوۡمِہٖ فَلَبِثَ فِیۡہِمۡ اَلۡفَ سَنَۃٍ اِلَّا خَمۡسِیۡنَ عَامًا ؕ فَاَخَذَہُمُ الطُّوۡفَانُ وَ ہُمۡ ظٰلِمُوۡنَ ﴿۱۴﴾

14. اور بیشک ہم نے نوح (علیہ السلام) کو ان کی قوم کی طرف بھیجا تو وہ ان میں پچاس برس کم ایک ہزار سال رہے، پھر ان لوگوں کو طوفان نے آپکڑا اس حال میں کہ وہ ظالم تھےo

14. And indeed We sent Nuh (Noah) to his people. He lived amongst them for a millennium less fifty years. Then the Great Flood seized them whilst they were wrongdoers.

14. Walaqad arsalna noohan ila qawmihi falabitha feehim alfa sanatin illa khamseena AAaman faakhathahumu alttoofanu wahum thalimoona

14. Og i sannhet, Vi sendte Noah til folket hans, og han forble hos dem i 950 år. Så ble de tatt av syndfloden mens de var ondsinnede.

14. और बेशक हमने नूह (अ़लैहिस्सलाम) को उनकी क़ौम की तरफ भेजा तो वोह उनमें पचास बरस कम एक हज़ार साल रहे फिर उन लोगों को तूफान ने आ पकड़ा इस हाल में कि वोह ज़ालिम थे।

১৪. আর আমি নূহ (আলাইহিস সালাম)-কে তো তাঁর সম্প্রদায়ের নিকট প্রেরণ করেছিলাম, তিনি তাদের মাঝে পঞ্চাশ কম এক সহস্র বছর অবস্থান করেছিলেন। অতঃপর তুফান এসে তাদেরকে গ্রাস করলো যখন তারা ছিল অত্যাচারী।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 14)
فَاَنۡجَیۡنٰہُ وَ اَصۡحٰبَ السَّفِیۡنَۃِ وَ جَعَلۡنٰہَاۤ اٰیَۃً لِّلۡعٰلَمِیۡنَ ﴿۱۵﴾

15. پھر ہم نے نوح (علیہ السلام) کو اور (ان کے ہمراہ) کشتی والوں کو نجات بخشی اور ہم نے اس (کشتی اور واقعہ) کو تمام جہان والوں کے لئے نشانی بنا دیاo

15. Then We delivered Nuh (Noah) and those (with him) in the Ark, and made that (Ark and the incident) a sign for the people of the world.

15. Faanjaynahu waashaba alssafeenati wajaAAalnaha ayatan lilAAalameena

15. Men Vi berget Noah og dem som var i arken (sammen med ham), og Vi gjorde det (arken og hendelsen) til et tegn for all verden.

15. फिर हमने नूह (अ़लैहिस्सलाम) को और (उन के हमराह) कश्ती वालों को नजात बख़्शी और हमने उस (कश्ती और वाक़िए) को तमाम जहान वालों के लिए निशानी बना दिया।

১৫. অতঃপর আমরা নূহ (আলাইহিস সালাম) এবং তার (সাথী) নৌকার আরোহীদেরকে উদ্ধার করলাম এবং একে (এ নৌকা এবং ঘটনাকে) সমগ্র জগতের অধিবাসীদের জন্যে করলাম একটি নিদর্শন।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 15)
وَ اِبۡرٰہِیۡمَ اِذۡ قَالَ لِقَوۡمِہِ اعۡبُدُوا اللّٰہَ وَ اتَّقُوۡہُ ؕ ذٰلِکُمۡ خَیۡرٌ لَّکُمۡ اِنۡ کُنۡتُمۡ تَعۡلَمُوۡنَ ﴿۱۶﴾

16. اور ابراہیم (علیہ السلام) کو (یاد کریں) جب انہوں نے اپنی قوم سے فرمایا کہ تم اللہ کی عبادت کرو اور اس سے ڈرو، یہی تمہارے حق میں بہتر ہے اگر تم (حقیقت کو) جانتے ہوo

16. And (remember) Ibrahim (Abraham) when he said to his people: ‘Worship Allah and fear Him. That is better for you if you know (the reality).

16. Waibraheema ith qala liqawmihi oAAbudoo Allaha waittaqoohu thalikum khayrun lakum in kuntum taAAlamoona

16. Og (kom i hu) Abraham den gang han sa til folket sitt: «Tilbe Allah alene, og alltid frykt Ham! Dette er det beste for dere, hvis dere vet (om sannheten).

16. और इब्राहीम (अ़लैहिस्सलाम) को (याद करें) जब उन्होंने अपनी क़ौम से फरमाया कि तुम अल्लाह की इबादत करो और उससे डरो, येही तुम्हारे हक़्क़ में बेहतर है अगर तुम (हक़ीक़त को) जानते हो।

১৬. আর (স্মরণ করুন) ইবরাহীম (আলাইহিস সালাম)-এঁর কথা যখন তিনি তাঁর সম্প্রদায়কে বললেন, ‘তোমরা আল্লাহ্‌র ইবাদত করো এবং তাঁকে ভয় করো। এটিই তোমাদের জন্যে উত্তম যদি তোমরা (বাস্তবতা) জানতে।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 16)
اِنَّمَا تَعۡبُدُوۡنَ مِنۡ دُوۡنِ اللّٰہِ اَوۡثَانًا وَّ تَخۡلُقُوۡنَ اِفۡکًا ؕ اِنَّ الَّذِیۡنَ تَعۡبُدُوۡنَ مِنۡ دُوۡنِ اللّٰہِ لَا یَمۡلِکُوۡنَ لَکُمۡ رِزۡقًا فَابۡتَغُوۡا عِنۡدَ اللّٰہِ الرِّزۡقَ وَ اعۡبُدُوۡہُ وَ اشۡکُرُوۡا لَہٗ ؕ اِلَیۡہِ تُرۡجَعُوۡنَ ﴿۱۷﴾

17. تم تو اللہ کے سوا بتوں کی پوجا کرتے ہو اور محض جھوٹ گھڑتے ہو، بیشک تم اللہ کے سوا جن کی پوجا کرتے ہو وہ تمہارے لئے رزق کے مالک نہیں ہیں پس تم اللہ کی بارگاہ سے رزق طلب کیا کرو اور اسی کی عبادت کیا کرو اور اسی کا شکر بجا لایا کرو، تم اسی کی طرف پلٹائے جاؤ گےo

17. You worship idols besides Allah and fabricate mere lies. Surely, those you worship instead of Allah are not masters of your sustenance. So always seek sustenance from Allah, and worship Him alone, and give thanks to Him. You will be returned to Him alone.

17. Innama taAAbudoona min dooni Allahi awthanan watakhluqoona ifkan inna allatheena taAAbudoona min dooni Allahi la yamlikoona lakum rizqan faibtaghoo AAinda Allahi alrrizqa waoAAbudoohu waoshkuroo lahu ilayhi turjaAAoona

17. Dere tilber avgudsstatuer utenom Allah og oppdikter kun løgn. Sannelig, de dere tilber utenom Allah, de er ikke herrer over forsyning for dere. Søk forsyning hos Allah, og tilbe kun Ham, og vis Ham takknemlighet. Til Ham vil dere bli brakt tilbake.

17. तुम तो अल्लाह के सिवा बुतों की पूजा करते हो और महज़ झूट घड़ते हो, बेशक तुम अल्लाह के सिवा जिनकी पूजा करते हो वोह तुम्हारे लिए रिज़्क़ के मालिक नहीं हैं पस तुम अल्लाह की बारगाह से रिज़्क़ तलब किया करो और उसी की इबादत किया करो और उसीका शुक्र बजा लाया करो, तुम उसी की तरफ पलटाए जाओगे।

১৭. তোমরা তো আল্লাহ্ ছাড়া মূর্তির উপাসনা করছো আর কেবল মিথ্যা উদ্ভাবন করছো। নিঃসন্দেহে আল্লাহ্ ব্যতীত যাদের উপাসনা তোমরা করছো তারা তোমাদের জীবনোপকরণের অধিকার রাখে না। সুতরাং তোমরা জীবনোপকরণ অন্বেষণ করো আল্লাহ্‌র নিকট। আর তাঁরই ইবাদত করো এবং তাঁরই প্রতি কৃতজ্ঞতা প্রকাশ করো। তোমরা তাঁরই দিকে প্রত্যাবর্তন করবে।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 17)
وَ اِنۡ تُکَذِّبُوۡا فَقَدۡ کَذَّبَ اُمَمٌ مِّنۡ قَبۡلِکُمۡ ؕ وَ مَا عَلَی الرَّسُوۡلِ اِلَّا الۡبَلٰغُ الۡمُبِیۡنُ ﴿۱۸﴾

18. اور اگر تم نے (میری باتوں کو) جھٹلایا تو یقیناً تم سے پہلے (بھی) کئی امتیں (حق کو) جھٹلا چکی ہیں، اور رسول پر واضح طریق سے (احکام) پہنچا دینے کے سوا (کچھ لازم) نہیں ہےo

18. And if you reject (my words), then no doubt many generations have rejected (the truth) before as well. And nothing is (obligatory) upon the Messenger but to convey (the commandments) in a clear way.’

18. Wain tukaththiboo faqad kaththaba omamun min qablikum wama AAala alrrasooli illa albalaghu almubeenu

18. Og hvis dere forsverger (mine ord), så har flere samfunn visselig forsverget (sannheten) før dere. Og sendebudet påligger det kun å videreformidle (lovens bud) soleklart.»

18. और अगर तुमने (मेरी बातों को) झुटलाया तो यक़ीनन तुमसे पहले (भी) कई उम्मतें (हक़्क़ को) झुटला चुकी हैं, और रसूल पर वाज़ेह तरीक़ से (अहकाम) पहुंचा देने के सिवा (कुछ लाज़िम) नहीं है।

১৮. আর যদি তোমরা (আমার কথা) মিথ্যাপ্রতিপন্ন করো তবে নিঃসন্দেহে তোমাদের পূর্বেও অনেক জাতি (সত্যকে) মিথ্যাপ্রতিপন্ন করেছিল। আর রাসূলের জন্যে তো (আবশ্যক) কেবল সুস্পষ্টভাবে (বিধিবিধান) পৌঁছে দেয়া।’

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 18)
اَوَ لَمۡ یَرَوۡا کَیۡفَ یُبۡدِئُ اللّٰہُ الۡخَلۡقَ ثُمَّ یُعِیۡدُہٗ ؕ اِنَّ ذٰلِکَ عَلَی اللّٰہِ یَسِیۡرٌ ﴿۱۹﴾

19. کیا انہوں نے نہیں دیکھا (یعنی غور نہیں کیا) کہ اللہ کس طرح تخلیق کی ابتداء فرماتا ہے پھر (اسی طرح) اس کا اعادہ فرماتا ہے۔ بیشک یہ (کام) اللہ پر آسان ہےo

19. Have they not seen (i.e., pondered) how Allah originates creation, then repeats it (the same way)? Surely, this is easy for Allah.

19. Awalam yaraw kayfa yubdio Allahu alkhalqa thumma yuAAeeduhu inna thalika AAala Allahi yaseerun

19. Har de da ikke sett (fundert over) hvordan Allah lar skapelsen oppstå og deretter gjentar den (på samme måte)? Sannelig, denne (saken) er lett for Allah.

19. क्या उन्होंने नहीं देखा (यानी ग़ौर नहीं किया) कि अल्लाह किस तरह तख़्लीक़ की इब्तिदा फरमाता है फिर (उसी तरह) उसका इआदा फरमाता है। बेशक ये (काम) अल्लाह पर आसान है।

১৯. তারা কি (ভেবে) দেখেনি, আল্লাহ্ কিভাবে সৃষ্টির সূচনা করেছেন; অতঃপর (এভাবে) এর পূনরাবৃত্তি করেন? নিশ্চয়ই আল্লাহ্‌র জন্যে এ (কাজ) সহজ।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 19)
قُلۡ سِیۡرُوۡا فِی الۡاَرۡضِ فَانۡظُرُوۡا کَیۡفَ بَدَاَ الۡخَلۡقَ ثُمَّ اللّٰہُ یُنۡشِیٴُ النَّشۡاَۃَ الۡاٰخِرَۃَ ؕ اِنَّ اللّٰہَ عَلٰی کُلِّ شَیۡءٍ قَدِیۡرٌ ﴿ۚ۲۰﴾

20. فرما دیجئے: تم زمین میں (کائناتی زندگی کے مطالعہ کے لئے) چلو پھرو، پھر دیکھو (یعنی غور و تحقیق کرو) کہ اس نے مخلوق کی (زندگی کی) ابتداء کیسے فرمائی پھر وہ دوسری زندگی کو کس طرح اٹھا کر (ارتقاء کے مراحل سے گزارتا ہوا) نشو و نما دیتا ہے۔ بیشک اللہ ہر شے پر بڑی قدرت رکھنے والا ہےo

20. Say: ‘Travel in the land (to study life in the universe), then observe (i.e., meditate and research) as to how He initiated (the life of) Creation and how He raises and nourishes the second life (passing it through evolutionary stages). Surely, Allah has perfect power over all things.

20. Qul seeroo fee alardi faonthuroo kayfa badaa alkhalqa thumma Allahu yunshio alnnashata alakhirata inna Allaha AAala kulli shayin qadeerun

20. Si: «Reis omkring i landet (for å observere livet i universet), og så se hvordan Han har latt skapningene (skapningenes liv) oppstå, og hvordan Han derpå lar det andre livet stå opp og utvikler det (ved å la det gå gjennom evolusjonens faser). Sannelig, Allah har fullstendig makt over alle ting.

20. फरमा दीजिए: तुम ज़मीन में (काइनाती ज़िन्दगी के मुतालिए के लिए) चलो फिरो, फिर देखो (यानी ग़ौरो तहक़ीक़ करो) कि उसने मख़्लूक़ की (ज़िन्दगी की) इब्तिदा कैसे फरमाई फिर वोह दूसरी ज़िन्दगी को किस तरह उठा कर (इर्तिक़ा मराहिल से गुज़ारता हुआ) नश्वो नुमा देता है। बेशक अल्लाह हर शय पर बड़ी क़ुदरत रखने वाला है।

২০. বলুন, ‘(জাগতিক জীবন সম্পর্কে অধ্যয়নের জন্যে) পৃথিবীতে ভ্রমণ করো। অতঃপর দেখো (অর্থাৎ চিন্তা ও গবেষণা করো), তিনি কিভাবে (জীবন) সৃষ্টির সূচনা করেছেন, এরপর তিনি কিভাবে দ্বিতীয়বার জীবনকে (বিবর্তনের স্তরগুলো অতিক্রম করে) বিকশিত করেন। নিশ্চয়ই আল্লাহ্ সবকিছু সম্পর্কে খুবই ক্ষমতাবান।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 20)
وَ مَاۤ اَنۡتُمۡ بِمُعۡجِزِیۡنَ فِی الۡاَرۡضِ وَ لَا فِی السَّمَآءِ ۫ وَ مَا لَکُمۡ مِّنۡ دُوۡنِ اللّٰہِ مِنۡ وَّلِیٍّ وَّ لَا نَصِیۡرٍ ﴿٪۲۲﴾

22. اور نہ تم (اللہ کو) زمین میں عاجز کرنے والے ہو اور نہ آسمان میں اور نہ تمہارے لئے اللہ کے سوا کوئی دوست ہے اور نہ مددگارo

22. And you can escape (from Allah) neither in the earth nor in the heavens, nor is there for you any guardian or helper except Allah.

22. Wama antum bimuAAjizeena fee alardi wala fee alssamai wama lakum min dooni Allahi min waliyyin wala naseerin

22. Og ikke kan dere gjøre (Allah) maktesløs, verken på jord eller i himmel, og ikke er det utenom Allah en eneste velynder og ei heller noen hjelper for dere.»

22. और न तुम (अल्लाह को) ज़मीन में आजिज़ करने वाले हो और न आस्मान में और न तुम्हारे लिए अल्लाह के सिवा कोई दोस्त है और न मददगार।

২২. আর তোমরা (আল্লাহ্ থেকে) না পৃথিবীতে নিষ্কৃতি পাবে আর না আকাশে। আর আল্লাহ্ ব্যতীত তোমাদের না কোনো বন্ধু আছে আর না সাহায্যকারী।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 22)
وَ الَّذِیۡنَ کَفَرُوۡا بِاٰیٰتِ اللّٰہِ وَ لِقَآئِہٖۤ اُولٰٓئِکَ یَئِسُوۡا مِنۡ رَّحۡمَتِیۡ وَ اُولٰٓئِکَ لَہُمۡ عَذَابٌ اَلِیۡمٌ ﴿۲۳﴾

23. اور جن لوگوں نے اللہ کی آیتوں کا اور اس کی ملاقات کا انکار کیا وہ لوگ میری رحمت سے مایوس ہوگئے اور ان ہی لوگوں کے لئے درد ناک عذاب ہےo

23. And those who reject Allah’s Revelations and deny meeting with Him, they despair of My mercy. And it is they for whom there is painful punishment.

23. Waallatheena kafaroo biayati Allahi waliqaihi olaika yaisoo min rahmatee waolaika lahum AAathabun aleemun

23. Og de som fornekter Allahs åpenbaringer og møtet med Ham, vil miste alt håp for Min nåde. Og dem venter det en smertelig pine.

23. और जिन लोगों ने अल्लाह की आयतों का और उसकी मुलाक़ात का इन्कार किया वोह लोग मेरी रहमत से मायूस हो गए और उन ही लोगों के लिए दर्दनाक अ़ज़ाब है।

২৩. আর যারা আল্লাহ্‌র আয়াতসমূহ এবং তাঁর সাক্ষাত অস্বীকার করেছে তারা আমার রহমত থেকে নিরাশ হয়েছে। আর সেসব লোকদের জন্যে রয়েছে যন্ত্রণাদায়ক শাস্তি।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 23)
فَمَا کَانَ جَوَابَ قَوۡمِہٖۤ اِلَّاۤ اَنۡ قَالُوا اقۡتُلُوۡہُ اَوۡ حَرِّقُوۡہُ فَاَنۡجٰىہُ اللّٰہُ مِنَ النَّارِ ؕ اِنَّ فِیۡ ذٰلِکَ لَاٰیٰتٍ لِّقَوۡمٍ یُّؤۡمِنُوۡنَ ﴿۲۴﴾

24. سو قومِ ابراہیم کا جواب اس کے سوا کچھ نہ تھا کہ وہ کہنے لگے: تم اسے قتل کر ڈالو یا اسے جلا دو، پھر اللہ نے اسے (نمرود کی) آگ سے نجات بخشی، بیشک اس (واقعہ) میں ان لوگوں کے لئے نشانیاں ہیں جو ایمان لائے ہیںo

24. So the people of Ibrahim (Abraham) had no answer except that they said: ‘Kill him or burn him.’ Then Allah delivered him from the fire (of Nimrod). Surely, there are signs in this incident for those who have believed.

24. Fama kana jawaba qawmihi illa an qaloo oqtuloohu aw harriqoohu faanjahu Allahu mina alnnari inna fee thalika laayatin liqawmin yuminoona

24. Abrahams folks svar var intet annet enn dette: «Drep ham, eller brenn ham opp!» Men så berget Allah ham fra ilden (Nimrods ild). Sannelig, i dette var det flere tegn for det folk som har antatt troen.

24. सो क़ौमे इब्राहीम का जवाब इस के सिवा कुछ न था कि वोह कहने लगे: तुम उसे क़त्ल कर डालो या उसे जला दो, फिर अल्लाह ने उसे (नमरूद की) आग से नजात बख़्शी, बेशक इस (वाक़िए) में उन लोगों के लिए निशानियां हैं जो ईमान लाए हैं।

২৪. সুতরাং ইবরাহীমের সম্প্রদায় জবাবে কেবল এ কথাই বললো, ‘হয় তাঁকে হত্যা করো নতুবা তাঁকে পুড়িয়ে ফেলো’। অতঃপর আল্লাহ্ তাঁকে (নমরূদের) আগুন থেকে রক্ষা করলেন। অবশ্যই এতে (এ ঘটনায়) তাদের জন্যে নিদর্শনাদি রয়েছে যারা ঈমান আনয়ন করেছে।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 24)
وَ قَالَ اِنَّمَا اتَّخَذۡتُمۡ مِّنۡ دُوۡنِ اللّٰہِ اَوۡثَانًا ۙ مَّوَدَّۃَ بَیۡنِکُمۡ فِی الۡحَیٰوۃِ الدُّنۡیَا ۚ ثُمَّ یَوۡمَ الۡقِیٰمَۃِ یَکۡفُرُ بَعۡضُکُمۡ بِبَعۡضٍ وَّ یَلۡعَنُ بَعۡضُکُمۡ بَعۡضًا ۫ وَّ مَاۡوٰىکُمُ النَّارُ وَ مَا لَکُمۡ مِّنۡ نّٰصِرِیۡنَ ﴿٭ۙ۲۵﴾

25. اور ابراہیم (علیہ السلام) نے کہا: بس تم نے تو اللہ کو چھوڑ کر بتوں کو معبود بنا لیا ہے محض دنیوی زندگی میں آپس کی دوستی کی خاطر پھر روزِ قیامت تم میں سے (ہر) ایک دوسرے (کی دوستی) کا انکار کر دے گا اور تم میں سے (ہر) ایک دوسرے پر لعنت بھیجے گا، تو تمہارا ٹھکانا دوزخ ہے اور تمہارے لئے کوئی بھی مددگار نہ ہوگاo

25. And Ibrahim (Abraham) said: ‘You have taken up the worship of idols leaving Allah merely for the sake of mutual friendship in the life of this world. Then, on the Day of Resurrection, (each) one of you will deny (the friendship of) the other and (each) one of you will curse the other. And Hell is your abode and there will be no helper for you.

25. Waqala innama ittakhathtum min dooni Allahi awthanan mawaddata baynikum fee alhayati alddunya thumma yawma alqiyamati yakfuru baAAdukum bibaAAdin wayalAAanu baAAdukum baAAdan wamawakumu alnnaru wama lakum min nasireena

25. Og Abraham sa: «Dere har gitt opp Allah og tatt avgudsstatuene som tilbedelsesverdige kun for gjensidig vennskap i jordelivet. På oppstandelsens dag vil dere fornekte hverandre (hverandres vennskap) og forbanne hverandre. Og boligen deres er helvete, og det vil ikke være noen hjelpere for dere.»

25. और इब्राहीम (अ़लैहिस्सलाम) ने कहा: बस तुमने तो अल्लाह को छोड़कर बुतों को माबूद बना लिया है महज़ दुन्यवी ज़िन्दगी में आपस की दोस्ती की ख़ातिर फिर रोज़े क़ियामत तुम में से (हर) एक दूसरे (की दोस्ती) का इन्कार कर देगा और तुम में से (हर) एक दूसरे पर लानत भेजेगा तो तुम्हारा ठिकाना दोज़ख़ है और तुम्हारे लिए कोई भी मददगार न होगा।

২৫. আর ইবরাহীম (আলাইহিস সালাম) বললেন, ‘তোমরা তো আল্লাহ্‌র পরিবর্তে মূর্তিগুলোকে উপাস্যরূপে গ্রহণ করেছো, কেবল পার্থিব জীবনে পরস্পরের বন্ধুত্ব রক্ষার্থে। অতঃপর কিয়ামতের দিন তোমরা (সবাই) একে অপরকে (বন্ধুরূপে) অস্বীকার করবে এবং তোমরা (সবাই) একে অপরকে অভিসম্পাত করবে। কাজেই তোমাদের ঠিকানা হবে জাহান্নাম আর তোমাদের জন্যে কোনো সাহায্যকারী থাকবে না।’

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 25)
فَاٰمَنَ لَہٗ لُوۡطٌ ۘ وَ قَالَ اِنِّیۡ مُہَاجِرٌ اِلٰی رَبِّیۡ ؕ اِنَّہٗ ہُوَ الۡعَزِیۡزُ الۡحَکِیۡمُ ﴿۲۶﴾

26. پھر لوط (علیہ السلام) ان پر (یعنی ابراہیم علیہ السلام پر) ایمان لے آئے اور انہوں نے کہا: میں اپنے رب کی طرف ہجرت کرنے والا ہوں۔ بیشک وہ غالب ہے حکمت والا ہےo

26. Then Lut (Lot) believed in him (Ibrahim [Abraham]) and he said: ‘I am migrating towards my Lord. Surely, He is Almighty, Most Wise.’

26. Faamana lahu lootun waqala innee muhajirun ila rabbee innahu huwa alAAazeezu alhakeemu

26. Så antok Lot troen på Abraham, og han sa: «Jeg er i ferd med å utvandre til Herren min. Sannelig, Han er den Allmektige, den mest Vise.»

26. फिर लूत (अ़लैहिस्सलाम) उन पर (यानी इब्राहीम अ़लैहिस्सलाम पर) ईमान ले आए और उन्होंने कहा: मैं अपने रब की तरफ हिजरत करने वाला हूं। बेशक वोह ग़ालिब है हिक्मत वाला है।

২৬. অতঃপর লূত (আলাইহিস সালাম) তাঁর প্রতি (অর্থাৎ হযরত ইবরাহীম আলাইহিস সালামের প্রতি) বিশ্বাস স্থাপন করলেন এবং বললেন, ‘আমি আপনার প্রতিপালকের উদ্দেশ্যে দেশত্যাগ করছি। অবশ্যই তিনি পরাক্রমশালী এবং প্রজ্ঞাবান।’

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 26)
وَ وَہَبۡنَا لَہٗۤ اِسۡحٰقَ وَ یَعۡقُوۡبَ وَ جَعَلۡنَا فِیۡ ذُرِّیَّتِہِ النُّبُوَّۃَ وَ الۡکِتٰبَ وَ اٰتَیۡنٰہُ اَجۡرَہٗ فِی الدُّنۡیَا ۚ وَ اِنَّہٗ فِی الۡاٰخِرَۃِ لَمِنَ الصّٰلِحِیۡنَ ﴿۲۷﴾

27. اور ہم نے انہیں اسحاق اور یعقوب (علیہما السلام بیٹا اور پوتا) عطا فرمائے اور ہم نے ابراہیم (علیہ السلام) کی اولاد میں نبوت اور کتاب مقرر فرما دی اور ہم نے انہیں دنیا میں (ہی) ان کا صلہ عطا فرما دیا، اور بیشک وہ آخرت میں (بھی) نیکوکاروں میں سے ہیںo

27. And We blessed him with Ishaq (Isaac) and Ya‘qub ([Jacob], a son and a grandson,) and We ordained Prophethood and the Book in Ibrahim’s (Abraham’s) descendants. And We gave him his reward (here) in this world, and surely he is amongst the most pious in the Hereafter (as well).

27. Wawahabna lahu ishaqa wayaAAqooba wajaAAalna fee thurriyyatihi alnnubuwwata waalkitaba waataynahu ajrahu fee alddunya wainnahu fee alakhirati lamina alssaliheena

27. Og Vi skjenket ham Isak og Jakob (sønn og sønnesønn), og Vi satte profetskapet og skriften blant Abrahams etterkommere, og Vi ga ham belønningen hans i denne verden, og sannelig, i det hinsidige vil han også være av de rettskafne.

27. और हमने उन्हें इस्हाक़ और याकू़ब (अ़लैहिमा अस्सलाम बेटा और पोता) अ़ता फरमाए और हमने इब्राहीम (अ़लैहिस्सलाम) की औलाद में नुबुव्वत और किताब मुक़र्रर फरमा दी और हमने उन्हें दुन्या में (ही) उनका सिला अ़ता फरमा दिया और बेशक वोह आख़िरत में (भी) नेकूकारों में से हैं।

২৭. আর আমরা তাঁকে (ছেলে এবং পৌত্র) ইসহাক ও ইয়াকুব দিয়ে ধন্য করলাম এবং আমরা ইবরাহীম (আলাইহিস সালাম)-এঁর বংশধরদের জন্যে নির্ধারণ করলাম নবুয়্যত ও কিতাব। আর আমি তাঁকে দুনিয়াতে(ই) পুরুস্কৃত করেছিলাম। আর নিশ্চিত তিনি আখিরাতে(ও) নেক্কারদের মাঝে গণ্য হবেন।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 27)
وَ لُوۡطًا اِذۡ قَالَ لِقَوۡمِہٖۤ اِنَّکُمۡ لَتَاۡتُوۡنَ الۡفَاحِشَۃَ ۫ مَا سَبَقَکُمۡ بِہَا مِنۡ اَحَدٍ مِّنَ الۡعٰلَمِیۡنَ ﴿۲۸﴾

28. اور لوط (علیہ السلام) کو (یاد کریں) جب انہوں نے اپنی قوم سے کہا: بیشک تم بڑی بے حیائی کا ارتکاب کرتے ہو، اقوامِ عالم میں سے کسی ایک (قوم) نے (بھی) اس (بے حیائی) میں تم سے پہل نہیں کیo

28. And (remember) Lut (Lot) when he said to his people: ‘Surely, you commit the worst indecency. None of the nations in the whole world has ever committed this (indecency) before you.

28. Walootan ith qala liqawmihi innakum latatoona alfahishata ma sabaqakum biha min ahadin mina alAAalameena

28. Og (kom i hu) Lot den gang han sa til folket sitt: «Sannelig, dere begår den verste uanstendigheten, ikke et eneste folk i hele verden har begått den (uanstendigheten) før dere.

28. और लूत (अ़लैहिस्सलाम) को (याद करें) जब उन्होंने अपनी क़ौम से कहा: बेशक तुम बड़ी बे हयाई का इर्तिकाब करते हो, अक़्वामे आलम में से किसी एक (क़ौम) ने (भी) उस (बेहयाई) में तुम से पहल नहीं की।

২৮. আর (স্মরণ করুন) লূত (আলাইহিস সালাম)-এঁর কথা যখন তিনি তাঁর সম্প্রদায়কে বললেন, ‘তোমরা তো নিশ্চিত জঘন্য অশ্লীলতায় নিমজ্জিত, তোমাদের পূর্বে বিশ্ব জগতের কোনো জাতি এরূপ (অশ্লীল) কর্মে লিপ্ত হয়নি।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 28)
اَئِنَّکُمۡ لَتَاۡتُوۡنَ الرِّجَالَ وَ تَقۡطَعُوۡنَ السَّبِیۡلَ ۬ۙ وَ تَاۡتُوۡنَ فِیۡ نَادِیۡکُمُ الۡمُنۡکَرَ ؕ فَمَا کَانَ جَوَابَ قَوۡمِہٖۤ اِلَّاۤ اَنۡ قَالُوا ائۡتِنَا بِعَذَابِ اللّٰہِ اِنۡ کُنۡتَ مِنَ الصّٰدِقِیۡنَ ﴿۲۹﴾

29. کیا تم (شہوت رانی کے لئے) مَردوں کے پاس جاتے ہو اور ڈاکہ زنی کرتے ہو اور اپنی (بھری) مجلس میں ناپسندیدہ کام کرتے ہو، تو ان کی قوم کا جواب (بھی) اس کے سوا کچھ نہ تھا کہ کہنے لگے: تم ہم پر اللہ کا عذاب لے آؤ اگر تم سچے ہوo

29. Do you approach men (for your sexual desire) and commit highway robberies and do indecent deeds in your (crowded) meetings?’ And his people (also) had no answer except that they said: ‘Bring Allah’s torment upon us if you are truthful.’

29. Ainnakum latatoona alrrijala wataqtaAAoona alssabeela watatoona fee nadeekumu almunkara fama kana jawaba qawmihi illa an qaloo itina biAAathabi Allahi in kunta mina alssadiqeena

29. Går dere til menn (for deres seksuelle fornøyelse), og bedriver dere landeveisrøveri, og begår dere det syndefulle i deres (fullsatte) samlinger?» Hans folks svar var intet annet enn dette: «Bring du over oss Allahs pine, hvis du er sannferdig!»

29. क्या तुम (शहवत रानी के लिए) मर्दों के पास जाते हो और डाका ज़नी करते हो और अपनी (भरी) मज्लिस में ना पसन्दीदा काम करते हो, तो उनकी क़ौम का जवाब (भी) इसके सिवा कुछ न था कि कहने लगे: तुम हम पर अल्लाह का अ़ज़ाब ले आओ अगर तुम सच्चे हो।

২৯. তোমরা কি (কামপ্রবৃত্তি চরিতার্থে) পূরুষদের নিকট গমন করো আর রাহাজানি করো এবং নিজেদের (ভরা) মজলিসে প্রকাশ্যে ঘৃণ্য কর্ম করে বেড়াও?’ অতঃপর তাঁর সম্প্রদায় জবাবে কেবল এ কথাই বললো, ‘আমাদের উপর আল্লাহ্‌র শাস্তি নিয়ে এসো যদি তুমি সত্যবাদী হও’।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 29)
وَ لَمَّا جَآءَتۡ رُسُلُنَاۤ اِبۡرٰہِیۡمَ بِالۡبُشۡرٰی ۙ قَالُوۡۤا اِنَّا مُہۡلِکُوۡۤا اَہۡلِ ہٰذِہِ الۡقَرۡیَۃِ ۚ اِنَّ اَہۡلَہَا کَانُوۡا ظٰلِمِیۡنَ ﴿ۚۖ۳۱﴾

31. اور جب ہمارے بھیجے ہوئے (فرشتے) ابراہیم (علیہ السلام) کے پاس خوشخبری لے کر آئے (تو) انہوں نے (ساتھ) یہ (بھی) کہا کہ ہم اس بستی کے مکینوں کو ہلاک کرنے والے ہیں کیونکہ یہاں کے باشندے ظالم ہیںo

31. And when Our messengers (angels) came to Ibrahim (Abraham) with good news (then, adding,) they (also) said: ‘We are going to destroy the dwellers of this town because its inhabitants are the wrongdoers.’

31. Walamma jaat rusuluna ibraheema bialbushra qaloo inna muhlikoo ahli hathihi alqaryati inna ahlaha kanoo thalimeena

31. Og da Våre utsendinger (engler) kom til Abraham med det gledelige budskapet, sa de også: «Vi kommer til å tilintetgjøre denne byens beboere, for dens beboere er ondsinnede.»

31. और जब हमारे भेजे हुए (फरिश्ते) इब्राहीम (अ़लैहिस्सलाम) के पास ख़ुशख़बरी लेकर आए (तो) उन्होंने (साथ) ये (भी) कहा कि हम इस बस्ती के मकीनों को हलाक करने वाले हैं क्योंकि यहां के बाशिन्दे ज़ालिम हैं।

৩১. আর যখন আমার প্রেরিত (ফেরেশতা) বার্তাবাহকেরা ইবরাহীম (আলাইহিস সালাম)-এঁর নিকট সুসংবাদ নিয়ে আগমন করলো, তারা (তখন আরও) বললো, ‘আমরা এ জনপদবাসীকে ধ্বংস করতে যাচ্ছি, কেননা এর অধিবাসীরা অত্যাচারী’।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 31)
قَالَ اِنَّ فِیۡہَا لُوۡطًا ؕ قَالُوۡا نَحۡنُ اَعۡلَمُ بِمَنۡ فِیۡہَا ٝ۫ لَنُنَجِّیَنَّہٗ وَ اَہۡلَہٗۤ اِلَّا امۡرَاَتَہٗ ٭۫ کَانَتۡ مِنَ الۡغٰبِرِیۡنَ ﴿۳۲﴾

32. ابراہیم (علیہ السلام) نے کہا: اس (بستی) میں تو لوط (علیہ السلام بھی) ہیں، انہوں نے کہا: ہم ان لوگوں کوخوب جانتے ہیں جو (جو) اس میں (رہتے) ہیں ہم لوط (علیہ السلام) کو اور ان کے گھر والوں کو سوائے ان کی عورت کے ضرور بچالیں گے، وہ پیچھے رہ جانے والوں میں سے ہےo

32. Ibrahim (Abraham) said: ‘Lut (Lot) is (also) here in this (town).’ They said: ‘We know very well the people who (live) in it. We shall certainly save Lut (Lot) and his family except his wife. She is of those who remain behind.’

32. Qala inna feeha lootan qaloo nahnu aAAlamu biman feeha lanunajjiyannahu waahlahu illa imraatahu kanat mina alghabireena

32. Abraham sa: «Men Lot er jo også der (i den byen)!» De sa: «Vi vet godt om dem som er (bor) der, vi vil visselig berge Lot og familien hans, unntatt hustruen hans, hun er av dem som vil bli gjenværende.»

32. इब्राहीम (अ़लैहिस्सलाम) ने कहा: इस (बस्ती) में तो लूत (अ़लैहिस्सलाम भी) हैं उन्होंने कहा: हम उन लोगों को ख़ूब जानते हैं जो (जो) उसमें (रहते) हैं हम लूत (अ़लैहिस्सलाम) को और उनके घर वालों को सिवाए उनकी औरत के ज़रूर बचा लेंगे, वोह पीछे रह जाने वालों में से है।

৩২. ইবরাহীম (আলাইহিস সালাম) বললেন, ‘এতে (এ জনপদে) তো লূত (আলাইহিস সালামও) রয়েছেন’। তারা বললো, ‘আমরা তাদেরকে খুব ভালোভাবেই জানি যারা এতে (বসবাসরত) রয়েছে। আমরা লূত (আলাইহিস সালাম) এবং তাঁর পরিবারকে অবশ্যই রক্ষা করবো, তবে তাঁর স্ত্রী ব্যতীত; সে তো পশ্চাতে থেকে যাওয়া লোকদের মধ্যে গণ্য।’

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 32)
وَ لَمَّاۤ اَنۡ جَآءَتۡ رُسُلُنَا لُوۡطًا سِیۡٓءَ بِہِمۡ وَ ضَاقَ بِہِمۡ ذَرۡعًا وَّ قَالُوۡا لَا تَخَفۡ وَ لَا تَحۡزَنۡ ۟ اِنَّا مُنَجُّوۡکَ وَ اَہۡلَکَ اِلَّا امۡرَاَتَکَ کَانَتۡ مِنَ الۡغٰبِرِیۡنَ ﴿۳۳﴾

33. اور جب ہمارے بھیجے ہوئے (فرشتے) لوط (علیہ السلام) کے پاس آئے تو وہ ان (کے آنے) سے رنجیدہ ہوئے اور ان کے (ارادۂ عذاب کے) باعث نڈھال سے ہوگئے اور (فرشتوں نے) کہا: آپ نہ خوفزدہ ہوں اور نہ غم زدہ ہوں، بیشک ہم آپ کو اور آپ کے گھر والوں کو بچانے والے ہیں سوائے آپ کی عورت کے وہ (عذاب کے لئے) پیچھے رہ جانے والوں میں سے ہےo

33. And when Our messengers (angels) came to Lut (Lot), he felt distressed (on their arrival) and felt depressed for their (intention to torment). And (the messengers) said: ‘Do not feel afraid or grieved. We shall no doubt save you and your family except your wife. She is of those who will remain behind (for torment).

33. Walamma an jaat rusuluna lootan seea bihim wadaqa bihim tharAAan waqaloo la takhaf wala tahzan inna munajjooka waahlaka illa imraataka kanat mina alghabireena

33. Og da Våre utsendinger (engler) kom til Lot, ble han trist av dem (deres ankomst) og følte seg nedtrykt på grunn av dem (deres bestemmelse om pinen). Og de (englene) sa: «Frykt ikke, og vær ei heller sørgmodig. Sannelig, vi vil berge deg og familien din, unntatt hustruen din, hun er av dem som vil bli gjenværende (for pinen).

33. और जब हमारे भेजे हुए (फरिश्ते) लूत (अ़लैहिस्सलाम) के पास आए तो वोह उन (के आने) से रंजीदा हुए और उनके (इरादाए अ़ज़ाब के) बाइस निढाल से हो गए और (फरिश्तों ने) कहा: आप न ख़ौफज़दा हों और न ग़मज़दा हों बेशक हम आपको और आपके घर वालों को बचाने वाले हैं सिवाए आपकी औरत के वोह (अ़ज़ाब के लिए) पीछे रह जाने वालों में से है।

৩৩. আর যখন আমাদের প্রেরিত (ফেরেশতা) বার্তাবাহকেরা লূত (আলাইহিস সালাম)-এঁর নিকট আগমন করলো, তিনি তখন তাদের (আগমনের) কারণে চিন্তিত হয়ে পড়লেন এবং তাদের (শাস্তির ইচ্ছার) কারণে হতোদ্যম হয়ে গেলেন। তখন তারা (ফেরেশতাগণ) বললো, ‘আপনি ভীত হবেন না এবং চিন্তিতও হবেন না। নিশ্চয়ই আমরা আপনাকে এবং আপনার পরিবারকে রক্ষা করবো, তবে আপনার স্ত্রীকে নয়। সে তো (শাস্তির জন্যে) পশ্চাতে থেকে যাওয়া লোকদের মধ্যে গণ্য।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 33)
وَ اِلٰی مَدۡیَنَ اَخَاہُمۡ شُعَیۡبًا ۙ فَقَالَ یٰقَوۡمِ اعۡبُدُوا اللّٰہَ وَ ارۡجُوا الۡیَوۡمَ الۡاٰخِرَ وَ لَا تَعۡثَوۡا فِی الۡاَرۡضِ مُفۡسِدِیۡنَ ﴿۳۶﴾

36. اور مَدیَن کی طرف ان کے (قومی) بھائی شعیب (علیہ السلام) کو (بھیجا)، سو انہوں نے کہا: اے میری قوم! اللہ کی عبادت کرو اور یومِ آخرت کی امید رکھو اور زمین میں فساد انگیزی نہ کرتے پھروo

36. And (We sent) to Madyan their (kinship) brother Shu‘ayb. So he said: ‘O my people, worship Allah and look forward to the Last Day and do not do mischief in the land.’

36. Waila madyana akhahum shuAAayban faqala ya qawmi oAAbudoo Allaha waorjoo alyawma alakhira wala taAAthaw fee alardi mufsideena

36. Og Vi sendte broren deres (fra deres folk) Jetro til Midjan. Han sa: «Å, mitt folk! Tilbe Allah, og sett deres håp til den ytterste dag, og vandre ikke omkring for å anstifte ufred i landet.»

36. और मद्‌यन की तरफ उनके (क़ौमी) भाई शुऐब (अ़लैहिस्सलाम) को (भेजा) सो उन्होंने कहा: ऐ मेरी क़ौम अल्लाह की इबादत करो और यौमे आख़िरत की उम्मीद रखो और ज़मीन में फसाद अंगेजी न करते फिरो।

৩৬. আর মাদইয়ানে তাদের (জ্ঞাতি) ভাই শুয়াইব (আলাইহিস সালাম)-কে (প্রেরণ করেছিলাম)। অতঃপর তিনি বললেন, ‘হে আমার সম্প্রদায়! আল্লাহ্‌র ইবাদত করো, শেষ দিবসের প্রতীক্ষা করো এবং পৃথিবীতে বিপর্যয় সৃষ্টি করো না।’

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 36)
فَکَذَّبُوۡہُ فَاَخَذَتۡہُمُ الرَّجۡفَۃُ فَاَصۡبَحُوۡا فِیۡ دَارِہِمۡ جٰثِمِیۡنَ ﴿۫۳۷﴾

37. تو انہوں نے شعیب (علیہ السلام) کو جھٹلا ڈالا پس انہیں (بھی) زلزلہ (کے عذاب) نے آپکڑا، سو انہوں نے صبح اس حال میں کی کہ اپنے گھروں میں اوندھے منہ (مُردہ) پڑے تھےo

37. Then they rejected Shu‘ayb. So (the torment of) the earthquake seized them (as well), and at dawn they were lying prone (dead) in their houses.

37. Fakaththaboohu faakhathathumu alrrajfatu faasbahoo fee darihim jathimeena

37. Men de forsverget Jetro, så ble de tatt fatt av (en pine ved) et forferdelig kraftig jordskjelv, og om morgenen ble de liggende falne på ansiktet (døde) i hjemmene sine.

37. तो उन्होंने शुऐब (अ़लैहिस्सलाम) को झुटला डाला पस उन्हें (भी) ज़ल्ज़ले (के अ़ज़ाब) ने आ पकड़ा, सो उन्होंने सुब्ह उस हाल में कि अपने घरों में औंधे मुंह (मुर्दा) पड़े थे।

৩৭. তখন তারা শুয়াইব (আলাইহিস সালাম)-কে মিথ্যাপ্রতিপন্ন করলো, সুতরাং তাদেরকে (আমার শাস্তি) ভুমিকম্প গ্রাস করলো। ফলে তারা প্রভাতে নিজ গৃহে উপুড় (হয়ে মৃত) অবস্থায় পড়ে রইলো।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 37)
وَ عَادًا وَّ ثَمُوۡدَا۠ وَ قَدۡ تَّبَیَّنَ لَکُمۡ مِّنۡ مَّسٰکِنِہِمۡ ۟ وَ زَیَّنَ لَہُمُ الشَّیۡطٰنُ اَعۡمَالَہُمۡ فَصَدَّہُمۡ عَنِ السَّبِیۡلِ وَ کَانُوۡا مُسۡتَبۡصِرِیۡنَ ﴿ۙ۳۸﴾

38. اور عاد اور ثمود کو (بھی ہم نے ہلاک کیا) اور بیشک ان کے کچھ (تباہ شدہ) مکانات تمہارے لیئے (بطورِ عبرت) ظاہر ہو چکے ہیں اور شیطان نے ان کے اَعمالِ بد، ان کے لئے خوش نما بنا دیئے تھے اورانہیں (حق کی) راہ سے پھیر دیا تھا حالانکہ وہ بینا و دانا تھےo

38. And (We destroyed) ‘Ad and Thamud (as well). And indeed (ruins of) some of their houses stand out (i.e., have lived to tell the tale) for you (as a lesson of warning). And Satan made their evil deeds look charming to them, and turned them away from the path (of truth) though they were vigilant and wise.

38. WaAAadan wathamooda waqad tabayyana lakum min masakinihim wazayyana lahumu alshshaytanu aAAmalahum fasaddahum AAani alssabeeli wakanoo mustabsireena

38. Og (Vi tilintetgjorde også) ‛Ād og Thamōd! Og uten tvil, noen av husene deres er blitt synliggjort for dere (som lærepenge), og Satan gjorde deres illgjerninger attraktive for dem og vendte dem bort fra veien (sannhetens vei), enda de var intelligente og vise.

38. और आद और समूद को (भी हमने हलाक किया) और बेशक उनके कुछ (तबाह शुदा) मकानात तुम्हारे लिए (बतौरे इब्रत) ज़ाहिर हो चुके हैं और शैतान ने उनके आमाले बद, उनके लिए खु़शनुमा बना दिए थे और उन्हें (हक़्क़ की) राह से फे़र दिया था हालांकि वोह बीना-व-दाना थे।

৩৮. আর ‘আদ এবং সামূদকেও (আমি ধ্বংস করেছিলাম)। এদের (ধ্বংসপ্রাপ্ত) কিছু ঘরবাড়িই তোমাদের জন্যে (উপদেশ হিসেবে) সুস্পষ্ট। আর শয়তান তাদের মন্দ কর্মকে তাদের দৃষ্টিতে সুশোভিত করেছিল এবং তাদেরকে (সত্যের) পথ থেকে ফিরিয়ে রেখেছিল। অথচ তারা ছিল সজাগ এবং বিচক্ষণ।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 38)
وَ قَارُوۡنَ وَ فِرۡعَوۡنَ وَ ہَامٰنَ ۟ وَ لَقَدۡ جَآءَہُمۡ مُّوۡسٰی بِالۡبَیِّنٰتِ فَاسۡتَکۡبَرُوۡا فِی الۡاَرۡضِ وَ مَا کَانُوۡا سٰبِقِیۡنَ ﴿ۚۖ۳۹﴾

39. اور (ہم نے) قارون اور فرعون اور ہامان کو (بھی ہلاک کیا) اور بیشک موسٰی (علیہ السلام) ان کے پاس واضح نشانیاں لے کر آئے تھے تو انہوں نے ملک میں غرور و سرکشی کی اور وہ (ہماری گرفت سے) آگے بڑھ جانے والے نہ تھےo

39. And (We also destroyed) Qarun (Korah), Pharaoh and Haman. And surely, Musa (Moses) brought them clear signs and they were arrogant and violent in the land but could not escape (Our seizure).

39. Waqaroona wafirAAawna wahamana walaqad jaahum moosa bialbayyinati faistakbaroo fee alardi wama kanoo sabiqeena

39. Og (Vi tilintetgjorde også) Korah og farao og Haman! Og sannelig, Moses kom til dem med innlysende tegn, og de viste arroganse og oppsetsighet i landet, men de kunne ikke komme seg unna (Vårt grep).

39. और (हमने) क़ारून और फिरऔन और हामान को (भी हलाक किया) और बेशक मूसा (अ़लैहिस्सलाम) उनके पास वाज़ेह निशानियां लेकर आए थे तो उन्होंने मुल्क में गु़रूरो सर्कशी की और वोह (हमारी गिरफ्त से) आगे बढ़ जाने वाले न थे।

৩৯. আর কারূন, ফেরাউন এবং হামানকেও (আমরা ধ্বংস করেছিলাম)। আর মূসা (আলাইহি সালাম) তো তাদের নিকট সুস্পষ্ট নিদর্শনাবলী নিয়ে আগমন করেছিলেন। তখন তারা পৃথিবীতে অহঙ্কার ও দম্ভ করছিল। কিন্তু তারা (আমার গ্রাস থেকে) রক্ষা পায়নি।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 39)
فَکُلًّا اَخَذۡنَا بِذَنۡۢبِہٖ ۚ فَمِنۡہُمۡ مَّنۡ اَرۡسَلۡنَا عَلَیۡہِ حَاصِبًا ۚ وَ مِنۡہُمۡ مَّنۡ اَخَذَتۡہُ الصَّیۡحَۃُ ۚ وَ مِنۡہُمۡ مَّنۡ خَسَفۡنَا بِہِ الۡاَرۡضَ ۚ وَ مِنۡہُمۡ مَّنۡ اَغۡرَقۡنَا ۚ وَ مَا کَانَ اللّٰہُ لِیَظۡلِمَہُمۡ وَ لٰکِنۡ کَانُوۡۤا اَنۡفُسَہُمۡ یَظۡلِمُوۡنَ ﴿۴۰﴾

40. سو ہم نے (ان میں سے) ہر ایک کو اس کے گناہ کے باعث پکڑ لیا، اور ان میں سے وہ (طبقہ بھی) تھا جس پر ہم نے پتھر برسانے والی آندھی بھیجی اوران میں سے وہ (طبقہ بھی) تھا جسے دہشت ناک آواز نے آپکڑا اور ان میں سے وہ (طبقہ بھی) تھا جسے ہم نے زمین میں دھنسا دیا اور ان میں سے (ایک) وہ (طبقہ بھی) تھا جسے ہم نے غرق کر دیا اور ہرگز ایسا نہ تھا کہ اللہ ان پر ظلم کرے بلکہ وہ خود ہی اپنی جانوں پر ظلم کرتے تھےo

40. So We seized (every one of) them for his sin. And there was (a faction) of those against whom We sent a storm of pelting stones. And of them was (also a group) whom a roaring blast seized. And (a party) of them were such whom We sank into the earth. And of them there was (yet another community) that We drowned. And Allah would never have wronged them, but they themselves wronged their own souls.

40. Fakullan akhathna bithanbihi faminhum man arsalna AAalayhi hasiban waminhum man akhathathu alssayhatu waminhum man khasafna bihi alarda waminhum man aghraqna wama kana Allahu liyathlimahum walakin kanoo anfusahum yathlimoona

40. Så Vi tok enhver (av dem) for synden hans. Og blant dem var det den (gruppen) som Vi sendte steinregnende storm over, og blant dem var det den (gruppen) som ble tatt av et forferdelig brak, og blant dem var det den (gruppen) som Vi senket ned i jorden, og blant dem var det den (gruppen) som Vi druknet, og aldri var det slik at Allah skulle være ondskapsfull mot dem; derimot gjorde de sin egen sjel ondt.

40. सो हमने (उनमें से) हर एक को उसके गुनाह के बाइस पकड़ लिया, और उन में से वोह (तब्क़ा भी) था जिस पर हमने पत्थर बरसाने वाली आंधी भेजी और उनमें से वोह (तब्क़ा भी) था जिसे दहशतनाक आवाज़ ने आ पकड़ा और उनमें से वोह (तब्क़ा भी) था जिसे हमने ज़मीन में धंसा दिया और उनमें से (एक) वोह (तब्क़ा भी) था जिसे हमने ग़र्क़ कर दिया और हर्गिज़ ऐसा न था कि अल्लाह उन पर जु़ल्म करे बल्कि वोह खु़द ही अपनी जानों पर ज़ुल्म करते थे।

৪০. অতঃপর আমরা (তাদের) প্রত্যেককে নিজ পাপের কারণে পাকড়াও করেছিলাম; সুতরাং তাদের মধ্যে এমনও (কেউ) ছিল যার উপর আমরা পাথর বর্ষণকারী প্রবল ঝটিকা প্রেরণ করেছিলাম; আর তাদের মধ্যে (কেউ) এমনও ছিল যাদেরকে ভয়ানক আওয়াজ এসে গ্রাস করেছিল; আর তাদের মধ্যে এমনও (কেউ) ছিল যাদেরকে আমরা ভু-গর্ভে ধ্বসিয়ে দিয়েছিলাম; এবং তাদের মধ্যে এমনও (কেউ) ছিল যাদেরকে আমি ডুবিয়ে দিয়েছিলাম। আর আল্লাহ্ তাদের প্রতি কখনই জুুলুম করেন নি, বরং তারা নিজেরাই নিজেদের প্রতি জুলুম করেছিল।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 40)
مَثَلُ الَّذِیۡنَ اتَّخَذُوۡا مِنۡ دُوۡنِ اللّٰہِ اَوۡلِیَآءَ کَمَثَلِ الۡعَنۡکَبُوۡتِ ۖۚ اِتَّخَذَتۡ بَیۡتًا ؕ وَ اِنَّ اَوۡہَنَ الۡبُیُوۡتِ لَبَیۡتُ الۡعَنۡکَبُوۡتِ ۘ لَوۡ کَانُوۡا یَعۡلَمُوۡنَ ﴿۴۱﴾

41. ایسے (کافر) لوگوں کی مثال جنہوں نے اللہ کو چھوڑ کر اوروں (یعنی بتوں) کو کارساز بنا لیا ہے مکڑی کی داستان جیسی ہے جس نے (اپنے لئے جالے کا) گھر بنایا، اور بیشک سب گھروں سے زیادہ کمزور مکڑی کا گھر ہے، کاش! وہ لوگ (یہ بات) جانتے ہوتےo

41. The example of those (disbelievers) who have taken others (i.e., idols) as guardians instead of Allah is like the story of a spider who builds (for herself) a house (of cobweb). And no doubt the weakest of all houses is the spider’s house. Would that they knew it!

41. Mathalu allatheena ittakhathoo min dooni Allahi awliyaa kamathali alAAankabooti ittakhathat baytan wainna awhana albuyooti labaytu alAAankabooti law kanoo yaAAlamoona

41. Lignelsen til de (vantro) som har gitt slipp på Allah og tatt andre (avgudsstatuer) som velyndere, er lik edderkoppens, som spinner et hus (av vev for seg). Og sannelig, det svakeste hus er edderkoppens hus. Om de bare visste!

41. ऐसे (काफिर) लोगों की मिसाल जिन्होंने अल्लाह को छोड़कर औरों (यानी बुतों) को कारसाज़ बना लिया है मकड़ी की दास्तान जैसी है जिसने (अपने लिए जाले का) घर बनाया और बेशक सब घरों से ज़ियादा कमज़ोर मकड़ी का घर है। काश! वोह लोग (ये बात) जानते होते।

৪১. যারা আল্লাহ্‌র পরিবর্তে অপরকে (অর্থাৎ মূর্তিকে) অভিভাবকরূপে গ্রহণ করেছে সেসব (অবিশ্বাসী) লোকদের দৃষ্টান্ত তো মাকড়সার কাহিনীর ন্যায়, যে (নিজের জন্যে জালের) ঘর তৈরি করে। আর সমস্ত ঘরের মধ্যে দূর্বলতম ঘর হল মাকড়সার। হায়! তারা যদি (এ কথা) জানতো।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 41)
اِنَّ اللّٰہَ یَعۡلَمُ مَا یَدۡعُوۡنَ مِنۡ دُوۡنِہٖ مِنۡ شَیۡءٍ ؕ وَ ہُوَ الۡعَزِیۡزُ الۡحَکِیۡمُ ﴿۴۲﴾

42. بیشک اللہ ان (بتوں کی حقیقت) کو جانتا ہے جن کی بھی وہ اس کے سوا پوجا کرتے ہیں، اور وہی غالب ہے حکمت والا ہےo

42. Surely, Allah knows (the truth of the idols) that they worship instead of Him and He alone is Almighty, Most Wise.

42. Inna Allaha yaAAlamu ma yadAAoona min doonihi min shayin wahuwa alAAazeezu alhakeemu

42. Sannelig, Allah kjenner svært vel til (sannheten) om alt det (avgudsstatuene) som de tilber utenom Ham. Og Han er den Allmektige, den mest Vise.

42. बेशक अल्लाह उन (बुतों की हक़ीक़त) को जानता है जिनकी भी वोह उसके सिवा पूजा करते हैं, और वोही ग़ालिब है हिक्मत वाला है।

৪২. নিশ্চয়ই আল্লাহ্ এ (মূর্তিগুলোর প্রকৃত অবস্থা) সম্পর্কে অবগত যাদেরকে তারা তাঁকে ব্যতীত উপাসনা করে। আর তিনিই পরাক্রমশালী, প্রজ্ঞাবান।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 42)
خَلَقَ اللّٰہُ السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضَ بِالۡحَقِّ ؕ اِنَّ فِیۡ ذٰلِکَ لَاٰیَۃً لِّلۡمُؤۡمِنِیۡنَ ﴿٪۴۴﴾

44. اللہ نے آسمانوں اور زمین کو درست تدبیر کے ساتھ پیدا فرمایا ہے، بیشک اس (تخلیق) میں اہلِ ایمان کے لئے (اس کی وحدانیت اور قدرت کی) نشانی ہےo

44. Allah has created the heavens and the earth with a decreed celestial order. Surely, there is in this (creation) a sign (of His Oneness and Might) for those who believe.

44. Khalaqa Allahu alssamawati waalarda bialhaqqi inna fee thalika laayatan lilmumineena

44. Allah har skapt himlene og jorden med en feilfri plan. Sannelig, i denne (skapelsen) er det tegn for de troende (på Hans Enhet og allmakt).

44. अल्लाह ने आस्मानों और ज़मीन को दुरुस्त तद्‌बीर के साथ पैदा फरमाया है, बेशक इस (तख़्लीक़) में अह्‌ले ईमान के लिए (उसकी वहदानिय्यत और क़ुदरत की) निशानी है।

৪৪. আল্লাহ্ আকাশমন্ডলী ও পৃথিবী সৃষ্টি করেছেন নিখুঁতভাবে। নিশ্চয়ই এতে (এ সৃষ্টিতে) ঈমানদারদের জন্যে রয়েছে (তাঁর একত্ববাদ ও কুদরতের) নিদর্শন।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 44)
اُتۡلُ مَاۤ اُوۡحِیَ اِلَیۡکَ مِنَ الۡکِتٰبِ وَ اَقِمِ الصَّلٰوۃَ ؕ اِنَّ الصَّلٰوۃَ تَنۡہٰی عَنِ الۡفَحۡشَآءِ وَ الۡمُنۡکَرِ ؕ وَ لَذِکۡرُ اللّٰہِ اَکۡبَرُ ؕ وَ اللّٰہُ یَعۡلَمُ مَا تَصۡنَعُوۡنَ ﴿۴۵﴾

45. (اے حبیبِ مکرّم!) آپ وہ کتاب پڑھ کر سنائیے جو آپ کی طرف (بذریعہ) وحی بھیجی گئی ہے، اور نماز قائم کیجئے، بیشک نماز بے حیائی اور برائی سے روکتی ہے، اور واقعی اللہ کا ذکر سب سے بڑا ہے، اور اللہ ان (کاموں) کو جانتا ہے جو تم کرتے ہوo

45. (O Esteemed Beloved!) Recite the Book which has been revealed to you and establish prayer. Surely, prayer prohibits indecency and impiety; and verily, the remembrance of Allah is the greatest. And Allah knows whatever (deeds) you do.

45. Otlu ma oohiya ilayka mina alkitabi waaqimi alssalata inna alssalata tanha AAani alfahshai waalmunkari walathikru Allahi akbaru waAllahu yaAAlamu ma tasnaAAoona

45. (Kjære ærerike elskede ﷺ!) Resiter den skriften som er blitt åpenbart for deg, og forrett tidebønnen. Sannelig, tidebønnen forhindrer uanstendighet og umoral. Og visselig er Allahs ihukommelse det aller største, og Allah kjenner svært vel til alt det dere gjør.

45. (ऐ हबीबे मुकर्रम!) आप वोह किताब पढ़कर सुनाइये जो आपकी तरफ (बज़रीए) वही भेजी गई है, और नमाज़ क़ाइम कीजिए, बेशक नमाज़ बेहयाई और बुराई से रोकती है, और वाके़ई अल्लाह का ज़िक्र सबसे बड़ा है, और अल्लाह उन (कामों) को जानता है जो तुम करते हो।

৪৫. (হে সম্মানিত হাবীব!) আপনি এ কিতাব পাঠ করে শুনান যা আপনার প্রতি (ওহী হিসেবে) প্রত্যাদেশ করা হয়েছে এবং নামায কায়েম করুন। নিশ্চয়ই নামায অশ্লীল ও মন্দকর্ম থেকে বিরত রাখে। আর আল্লাহ্‌র স্মরণই শ্রেষ্ঠতম। আর আল্লাহ্ সেসব (কর্মকান্ড) সম্পর্কে অবগত যা তোমরা সম্পাদন করো।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 45)
وَ لَا تُجَادِلُوۡۤا اَہۡلَ الۡکِتٰبِ اِلَّا بِالَّتِیۡ ہِیَ اَحۡسَنُ ٭ۖ اِلَّا الَّذِیۡنَ ظَلَمُوۡا مِنۡہُمۡ وَ قُوۡلُوۡۤا اٰمَنَّا بِالَّذِیۡۤ اُنۡزِلَ اِلَیۡنَا وَ اُنۡزِلَ اِلَیۡکُمۡ وَ اِلٰـہُنَا وَ اِلٰـہُکُمۡ وَاحِدٌ وَّ نَحۡنُ لَہٗ مُسۡلِمُوۡنَ ﴿۴۶﴾

46. اور (اے مومنو!) اہلِ کتاب سے نہ جھگڑا کرو مگر ایسے طریقہ سے جو بہتر ہو سوائے ان لوگوں کے جنہوں نے ان میں سے ظلم کیا، اور (ان سے) کہہ دو کہ ہم اس (کتاب) پر ایمان لائے (ہیں) جو ہماری طرف اتاری گئی (ہے) اور جو تمہاری طرف اتاری گئی تھی، اور ہمارا معبود اور تمہارا معبود ایک ہی ہے، اور ہم اسی کے فرمانبردار ہیںo

46. And, (O believers,) do not argue with the People of the Book but in a suitable and decent way, except those of them who did injustice. And say (to them): ‘We believe in that (Book) which has been revealed to us and which was sent down to you, and our God and your God is but One and we obey Him alone.’

46. Wala tujadiloo ahla alkitabi illa biallatee hiya ahsanu illa allatheena thalamoo minhum waqooloo amanna biallathee onzila ilayna waonzila ilaykum wailahuna wailahukum wahidun wanahnu lahu muslimoona

46. Og (å, dere troende!), ikke diskuter med skriftens folk på noen annen måte enn den som er svært god, unntatt med dem som har vært ondsinnede blant dem. Og si: «Vi har antatt troen på den (skriften) som ble sendt ned til oss, og den som ble sendt ned til dere, og vår tilbedelsesverdige Herre og deres tilbedelsesverdige Herre er Én, og vi er Ham alene underkastet.»

46. और (ऐ मोमिनो!) अह्‌ले किताब से न झगड़ा करो मगर ऐसे तरीक़े से जो बेहतर हो सिवाए उन लोगों के जिन्होंने उनमें से ज़ुल्म किया, और (उनसे) कह दो कि हम उस (किताब) पर ईमान लाए (हैं) जो हमारी तरफ उतारी गई (है) और जो तुम्हारी तरफ उतारी गई थी और हमारा माबूद और तुम्हारा माबूद एक ही है और हम उसी के फरमांबर्दार हैं।

৪৬. আর (হে মুমিনগণ!) আহলে কিতাবের সাথে তর্কবিতর্ক করো না, করলে এমন পন্থায় (করো) যা উৎকৃষ্ট; তবে তাদের মধ্যে যারা অন্যায় করেছে তারা ব্যতীত। আর (তাদেরকে) বলো, ‘আমরা বিশ্বাস স্থাপন করেছি তার উপর (অর্থাৎ কিতাবে) যা আমাদের প্রতি অবতীর্ণ করা হয়েছে এবং যা তোমাদের প্রতি অবতীর্ণ করা হয়েছিল। আর আমাদের ইলাহ্ ও তোমাদের ইলাহ্ একই এবং আমরা তাঁরই অনুগত।’

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 46)
وَ کَذٰلِکَ اَنۡزَلۡنَاۤ اِلَیۡکَ الۡکِتٰبَ ؕ فَالَّذِیۡنَ اٰتَیۡنٰہُمُ الۡکِتٰبَ یُؤۡمِنُوۡنَ بِہٖ ۚ وَ مِنۡ ہٰۤؤُلَآءِ مَنۡ یُّؤۡمِنُ بِہٖ ؕ وَ مَا یَجۡحَدُ بِاٰیٰتِنَاۤ اِلَّا الۡکٰفِرُوۡنَ ﴿۴۷﴾

47. اور اسی طرح ہم نے آپ کی طرف کتاب اتاری، تو جن (حق شناس) لوگوں کو ہم نے (پہلے سے) کتاب عطا کر رکھی تھی وہ اس (کتاب) پر ایمان لاتے ہیں، اور اِن (اہلِ مکّہ) میں سے (بھی) ایسے ہیں جو اس پر ایمان لاتے ہیں، اور ہماری آیتوں کا اِنکار کافروں کے سوا کوئی نہیں کرتاo

47. And in like manner, We revealed the Book to you. And those (knowers of the truth) whom We had given the Book (already) believe in this (Book). And of these (inhabitants of Mecca too) there are those who believe in it. And none but the disbelievers deny Our Revelations.

47. Wakathalika anzalna ilayka alkitaba faallatheena ataynahumu alkitaba yuminoona bihi wamin haolai man yuminu bihi wama yajhadu biayatina illa alkafiroona

47. Og slik åpenbarte Vi skriften for deg. De (besitterne av sannhetens erkjennelse) som Vi hadde tildelt skriften fra før, antar troen på denne (skriften). Og det finnes også slike blant disse (Mekkas beboere) som antar troen på den. Og ingen andre enn de vantro fornekter Våre åpenbaringer.

47. और इसी तरह हमने आपकी तरफ किताब उतारी, तो जिन (हक़्क़शनास) लोगों को हमने (पहले से) किताब अ़ता कर रखी थी वोह इस (किताब) पर ईमान लाते हैं, और उन (अह्‌ले मक्का) में से (भी) ऐसे हैं जो इस पर ईमान लाते हैं, और हमारी आयतों का इन्कार काफिरों के सिवा कोई नहीं करता।

৪৭. আর এভাবে আমরা আপনার প্রতি কিতাব অবতীর্ণ করেছি। কাজেই যে সকল (সত্যপন্থী) লোকদেরকে আমরা (পূর্ব থেকেই) কিতাব দিয়েছিলাম তারা এতে (এ কিতাবে) বিশ্বাস স্থাপান করে এবং এদের মধ্যে (মক্কার) সেসব লোকও রয়েছে যারা এর উপর ঈমান আনে। আর কাফের ব্যতীত অন্য কেউ আমার আয়াতসমূহকে অস্বীকার করে না।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 47)
وَ مَا کُنۡتَ تَتۡلُوۡا مِنۡ قَبۡلِہٖ مِنۡ کِتٰبٍ وَّ لَا تَخُطُّہٗ بِیَمِیۡنِکَ اِذًا لَّارۡتَابَ الۡمُبۡطِلُوۡنَ ﴿۴۸﴾

48. اور (اے حبیب!) اس سے پہلے آپ کوئی کتاب نہیں پڑھا کرتے تھے اور نہ ہی آپ اسے اپنے ہاتھ سے لکھتے تھے ورنہ اہلِ باطل اسی وقت ضرور شک میں پڑ جاتےo

48. And, (O Beloved,) you never recited any book before this, nor did you write it with your own hand in which case the disbelievers would certainly have doubted.

48. Wama kunta tatloo min qablihi min kitabin wala takhuttuhu biyameenika ithan lairtaba almubtiloona

48. Og (kjære elskede ﷺ!), du har aldri resitert en skrift før dette, og ei heller skrev du noen med din hånd; hadde det vært så, ville nok falskhetens tilhengere visselig havnet i tvil med det samme.

48. और (ऐ हबीब!) इससे पहले आप कोई किताब नहीं पढ़ा करते थे और न ही आप उसे अपने हाथ से लिखते थे वर्ना अह्‌ले बातिल उसी वक़्त ज़रूर शक में पड़ जाते।

৪৮. আর (হে হাবীব!) আপনি তো এর পূর্বে অন্য কোনো কিতাব পাঠ করেননি, আর আপনি স্বহস্তে কোনো কিতাব লিপিবদ্ধও করেননি যাতে ভ্রান্তরা সন্দেহ পোষণ করবে।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 48)
بَلۡ ہُوَ اٰیٰتٌۢ بَیِّنٰتٌ فِیۡ صُدُوۡرِ الَّذِیۡنَ اُوۡتُوا الۡعِلۡمَ ؕ وَ مَا یَجۡحَدُ بِاٰیٰتِنَاۤ اِلَّا الظّٰلِمُوۡنَ ﴿۴۹﴾

49. بلکہ وہ (قرآن ہی کی) واضح آیتیں ہیں جو ان لوگوں کے سینوں میں (محفوظ) ہیں جنہیں (صحیح) علم عطا کیا گیا ہے، اور ظالموں کے سوا ہماری آیتوں کا کوئی انکار نہیں کرتاo

49. But these are the clear Verses (of the Qur’an) that are (preserved) in the breasts of those who have been given (true) knowledge. And none other than the unjust deny Our Revelations.

49. Bal huwa ayatun bayyinatun fee sudoori allatheena ootoo alAAilma wama yajhadu biayatina illa alththalimoona

49. Faktisk er det (Koranens) innlysende åpenbaringer som er (vel bevart) i brystet til dem som er blitt tildelt den (rette) vitenen. Og ingen andre enn de ondskapsfulle fornekter Våre åpenbaringer.

49. बल्कि वोह (क़ुरआन ही की) वाज़ेह आयतें हैं जो उन लोगों के सीनों में (महफ़ूज़) हैं जिन्हें (सहीह) इल्म अ़ता किया गया है, और ज़ालिमों के सिवा हमारी आयतों का कोई इन्कार नहीं करता।

৪৯. বরং এ (কুরআনেরই) সুস্পষ্ট আয়াতসমূহ সেসব লোকের অন্তরে (সংরক্ষিত) রয়েছে যাদেরকে (বিশুদ্ধ) জ্ঞান দেয়া হয়েছে। আর সীমালঙ্ঘনকারী ব্যতীত কেউ আমার আয়াতসমূহকে অস্বীকার করে না।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 49)
وَ قَالُوۡا لَوۡ لَاۤ اُنۡزِلَ عَلَیۡہِ اٰیٰتٌ مِّنۡ رَّبِّہٖ ؕ قُلۡ اِنَّمَا الۡاٰیٰتُ عِنۡدَ اللّٰہِ ؕ وَ اِنَّمَاۤ اَنَا نَذِیۡرٌ مُّبِیۡنٌ ﴿۵۰﴾

50. اور کفّار کہتے ہیں کہ اِن پر (یعنی نبی اکرم صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم پر) ان کے رب کی طرف سے نشانیاں کیوں نہیں اتاری گئیں، آپ فرما دیجئے کہ نشانیاں تو اللہ ہی کے پاس ہیں اور میں تو محض صریح ڈر سنانے والا ہوںo

50. And the disbelievers say: ‘Why have signs not been sent down on him (the Holy Prophet [blessings and peace be upon him]) from his Lord?’ Say: ‘The signs are with Allah alone and I am simply an open Warner.’

50. Waqaloo lawla onzila AAalayhi ayatun min rabbihi qul innama alayatu AAinda Allahi wainnama ana natheerun mubeenun

50. Og de vantro sier: «Hvorfor er det ikke blitt nedsendt noen tegn til ham (Profeten ﷺ) fra Herren hans?» Si: «Tegnene er hos Allah alene, og jeg er kun en soleklar advarer.»

50. और कुफ्फार कहते हैं कि उन पर (यानी नबिय्ये अकरम सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम पर) उनके रब की तरफ से निशानियां क्यों नहीं उतारी गईं, आप फरमा दीजिए कि निशानियां तो अल्लाह ही के पास हैं, और मैं तो महज़ सरीह डर सुनाने वाला हूं।

৫০. আর কাফেরেরা বলে, ‘তাঁর উপর (অর্থাৎ নবী আকরাম সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়া আলিহী ওয়াসাল্লামের উপর) তাঁর প্রতিপালকের পক্ষ থেকে কেন অলৌকিক নিদর্শনাবলী প্রেরিত হয়নি?’ বলে দিন, ‘নিদর্শনাবলী তো আল্লাহ্‌রই নিকট। আর আমি তো কেবল সুস্পষ্ট সতর্ককারী।’

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 50)
اَوَ لَمۡ یَکۡفِہِمۡ اَنَّاۤ اَنۡزَلۡنَا عَلَیۡکَ الۡکِتٰبَ یُتۡلٰی عَلَیۡہِمۡ ؕ اِنَّ فِیۡ ذٰلِکَ لَرَحۡمَۃً وَّ ذِکۡرٰی لِقَوۡمٍ یُّؤۡمِنُوۡنَ ﴿٪۵۱﴾

51. کیا ان کے لئے یہ (نشانی) کافی نہیں ہے کہ ہم نے آپ پر (وہ) کتاب نازل فرمائی ہے جو ان پر پڑھی جاتی ہے (یا ہمیشہ پڑھی جاتی رہے گی)، بیشک اس (کتاب) میں رحمت اور نصیحت ہے ان لوگوں کے لئے جو ایمان رکھتے ہیںo

51. Is this (sign) not enough for them that We have revealed to you (that) Book which is recited to them (or will always be recited)? Surely, in this (Book) there is mercy and direction and guidance for the believers.

51. Awalam yakfihim anna anzalna AAalayka alkitaba yutla AAalayhim inna fee thalika larahmatan wathikra liqawmin yuminoona

51. Er da ikke dette (tegnet) mer enn nok for dem, at Vi åpenbarte skriften for deg, som blir resitert for dem (eller alltid vil bli resitert for dem)? Sannelig, i denne (skriften) er det nåde og formaning for det folk som tror.

51. क्या उनके लिए ये (निशानी) काफी नहीं है कि हमने आप पर (वोह) किताब नाज़िल फरमाई है जो उन पर पढ़ी जाती है (या हमेशा पढ़ी जाती रहेगी), बेशक इस (किताब) में रहमत और नसीहत है उन लोगों के लिए जो ईमान रखते हैं।

৫১. তাদের জন্যে কি এ (নিদর্শনাবলী) যথেষ্ট নয় যে, আমরা আপনার প্রতি (এ) কিতাব অবতীর্ণ করেছি যা তাদের নিকট পাঠ করা হয় (অথবা সর্বদা পঠিত হতে থাকবে)? নিশ্চয়ই এতে (এ কিতাবে) রয়েছে রহমত এবং উপদেশ সেসব ব্যক্তির জন্যে যারা ঈমান আনয়ন করে।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 51)
قُلۡ کَفٰی بِاللّٰہِ بَیۡنِیۡ وَ بَیۡنَکُمۡ شَہِیۡدًا ۚ یَعۡلَمُ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضِ ؕ وَ الَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡا بِالۡبَاطِلِ وَ کَفَرُوۡا بِاللّٰہِ ۙ اُولٰٓئِکَ ہُمُ الۡخٰسِرُوۡنَ ﴿۵۲﴾

52. آپ فرما دیجئے: میرے اور تمہارے درمیان اللہ ہی گواہ کافی ہے۔ وہ جو کچھ آسمانوں اور زمین میں ہے (سب کا حال) جانتا ہے، اور جو لوگ باطل پر ایمان لائے اور اللہ کا انکار کیا وہی نقصان اٹھانے والے ہیںo

52. Say: ‘Sufficient is Allah as a Witness between me and you. He knows (the state of) all that is in the heavens and in the earth. And those who believe in falsehood and disbelieve in Allah, it is they who are the losers.’

52. Qul kafa biAllahi baynee wabaynakum shaheedan yaAAlamu ma fee alssamawati waalardi waallatheena amanoo bialbatili wakafaroo biAllahi olaika humu alkhasiroona

52. Si: «Mer enn nok er Allah som vitne mellom meg og dere, Han kjenner alt det som er i himlene og på jorden, svært vel.» Og de som antar troen på det falske og fornekter Allah, disse er taperne.

52. आप फरमा दीजिए: मेरे और तुम्हारे दर्मियान अल्लाह ही गवाह काफी है। वोह जो कुछ आस्मानों और ज़मीन में है (सब का हाल) जानता है, और जो लोग बातिल पर ईमान लाए और अल्लाह का इन्कार किया वोही नुक़्सान उठाने वाले हैं।

৫২. বলে দিন, তোমাদের এবং আমার মাঝে ‘সাক্ষী হিসেবে আল্লাহ্ই যথেষ্ট। তিনি (সবকিছুর অবস্থা সম্পর্কে) অবগত যা কিছু আকাশমন্ডলী ও পৃথিবীতে রয়েছে। আর যারা অসত্যে বিশ্বাস করে এবং আল্লাহ্কে অস্বীকার করে তারাই ক্ষতিগ্রস্ত।’

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 52)
وَ یَسۡتَعۡجِلُوۡنَکَ بِالۡعَذَابِ ؕ وَ لَوۡ لَاۤ اَجَلٌ مُّسَمًّی لَّجَآءَہُمُ الۡعَذَابُ ؕ وَ لَیَاۡتِیَنَّہُمۡ بَغۡتَۃً وَّ ہُمۡ لَا یَشۡعُرُوۡنَ ﴿۵۳﴾

53. اور یہ لوگ آپ سے عذاب میں جلدی چاہتے ہیں، اور اگر (عذاب کا) وقت مقرر نہ ہوتا تو ان پر عذاب آچکا ہوتا، اور وہ (عذاب یا وقتِ عذاب) ضرور انہیں اچانک آپہنچے گا اور انہیں خبر بھی نہ ہوگیo

53. And they want you to hasten the torment. And had the time (of the torment) not been fixed, the torment would have overtaken them. And that (torment, or the time of the torment,) shall certainly come upon them all of a sudden and they will not be aware (of it).

53. WayastaAAjiloonaka bialAAathabi walawla ajalun musamman lajaahumu alAAathabu walayatiyannahum baghtatan wahum la yashAAuroona

53. Og de ber deg om å framskynde pinen. Og hvis ikke tiden (for pinen) hadde vært fastsatt, så ville pinen ha kommet over dem til nå. Og den (pinen eller pinens tid) vil visselig komme over dem overraskende, mens de intet aner.

53. और ये लोग आपसे अ़ज़ाब में जल्दी चाहते हैं, और अगर (अ़ज़ाब का) वक़्त मुक़र्रर न होता, तो उन पर अ़ज़ाब आ चुका होता, और वोह (अ़ज़ाब या वक़्ते अ़ज़ाब) ज़रूर उन्हें अचानक आ पहुंचेगा और उन्हें ख़बर भी न होगी।

৫৩. আর তারা আপনাকে শাস্তি ত্বরান্বিত করতে বলে। যদি (শাস্তির) কাল নির্ধারিত না থাকতো তবে তাদের উপর শাস্তি নেমে আসতো। আর নিশ্চয়ই তা হঠাৎ এসে পৌঁছুবে, তারা টেরও পাবে না।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 53)
یَوۡمَ یَغۡشٰہُمُ الۡعَذَابُ مِنۡ فَوۡقِہِمۡ وَ مِنۡ تَحۡتِ اَرۡجُلِہِمۡ وَ یَقُوۡلُ ذُوۡقُوۡا مَا کُنۡتُمۡ تَعۡمَلُوۡنَ ﴿۵۵﴾

55. جس دن عذاب انہیں ان کے اوپر سے اور ان کے پاؤں کے نیچے سے ڈھانپ لے گا تو ارشاد ہوگا: تم ان کاموں کا مزہ چکھو جو تم کرتے تھےo

55. The Day when the torment wraps them from above them and from beneath their feet, Allah will say: ‘Savour the taste of works you used to perform.’

55. Yawma yaghshahumu alAAathabu min fawqihim wamin tahti arjulihim wayaqoolu thooqoo ma kuntum taAAmaloona

55. Den dag pinen dekker dem ovenfra og fra under føttene deres, vil Allah si: «Smak nå på det dere pleide å bedrive!»

55. जिस दिन अ़ज़ाब उन्हें उनके ऊपर से और उनके पांव के नीचे से ढांप लेगा तो इर्शाद होगा: तुम उन कामों का मज़ा चखो जो तुम करते थे।

৫৫. যেদিন শাস্তি তাদেরকে গ্রাস করবে তাদের উপর থেকে এবং তাদের পদতল থেকে, এরশাদ হবে, ‘তার স্বাদ আস্বাদন করো যা তোমরা সম্পাদন করতে’।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 55)
وَ الَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡا وَ عَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَنُبَوِّئَنَّہُمۡ مِّنَ الۡجَنَّۃِ غُرَفًا تَجۡرِیۡ مِنۡ تَحۡتِہَا الۡاَنۡہٰرُ خٰلِدِیۡنَ فِیۡہَا ؕ نِعۡمَ اَجۡرُ الۡعٰمِلِیۡنَ ﴿٭ۖ۵۸﴾

58. اور جو لوگ ایمان لائے اور نیک اعمال کرتے رہے ہم انہیں ضرور جنت کے بالائی محلّات میں جگہ دیں گے جن کے نیچے سے نہریں بہہ رہی ہوں گی وہ ان میں ہمیشہ رہیں گے، یہ عملِ (صالح) کرنے والوں کا کیا ہی اچھا اجر ہےo

58. And those who believe and persevere with right actions, We shall certainly house them in the upper palaces of Paradise with streams flowing beneath them; they will live there forever. What an excellent reward for those who do (constructive) works!

58. Waallatheena amanoo waAAamiloo alssalihati lanubawwiannahum mina aljannati ghurafan tajree min tahtiha alanharu khalideena feeha niAAma ajru alAAamileena

58. Og de som antar troen og handler rettskaffent, dem vil Vi visselig la bosette seg i paradisets høye palasser, som det vil flyte elver under; de vil bo i dem for alltid, en praktfull belønning for dem som handler (rettskaffent).

58. और जो लोग ईमान लाए और नेक आमाल करते रहे हम उन्हें ज़रूर जन्नत के बालाई महल्लात में जगह देंगे जिनके नीचे से नहरें बह रही होंगी वोह उनमें हमेशा रहेंगे, (ये) अ़मले (सालेह) करने वालों का क्या ही अच्छा अज्र है।

৫৮. যারা ঈমান আনয়ন করে এবং নেক কাজ করে, আমি অবশ্যই তাদেরকে জান্নাতে উঁচু প্রাসাদসমূহে স্থান দেবো যার তলদেশ দিয়ে নহরসমূহ প্রবাহিত হবে; তারা সেখানে চিরদিন থাকবে। সেসব (সৎকর্ম) সম্পাদনকারীদের জন্যে কতোই না উত্তম প্রতিদান!

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 58)
وَ کَاَیِّنۡ مِّنۡ دَآبَّۃٍ لَّا تَحۡمِلُ رِزۡقَہَا ٭ۖ اَللّٰہُ یَرۡزُقُہَا وَ اِیَّاکُمۡ ۫ۖ وَ ہُوَ السَّمِیۡعُ الۡعَلِیۡمُ ﴿۶۰﴾

60. اور کتنے ہی جانور ہیں جو اپنی روزی (اپنے ساتھ) نہیں اٹھائے پھرتے، اللہ انہیں بھی رزق عطا کرتا ہے اور تمہیں بھی، اور وہ خوب سننے والا جاننے والا ہےo

60. And many an animal there is that does not carry its sustenance (with it)! Allah provides for them and for you too. And He is All-Hearing, All-Knowing.

60. Wakaayyin min dabbatin la tahmilu rizqaha Allahu yarzuquha waiyyakum wahuwa alssameeAAu alAAaleemu

60. Og hvor mange dyr er det ikke som ikke bærer på sin forsyning (med seg)? Allah forsyner dem og dere også! Og Han er den Allhørende, den Allvitende.

60. और कितने ही जानवर हैं जो अपनी रोज़ी (अपने साथ) नहीं उठाए फिरते अल्लाह उन्हें भी रिज़्क़ अ़ता करता है और तुम्हें भी, और वोह ख़ूब सुनने वाला जानने वाला है।

৬০. আর এমন অনেক জীবজন্তু রয়েছে যারা নিজেদের জীবিকা (সাথে) বহন করে না, আল্লাহ্ তাদেরকেও রিযিক প্রদান করেন এবং তোমাদেরকেও। আর তিনি সর্বশ্রোতা, সর্বজ্ঞানী।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 60)
وَ لَئِنۡ سَاَلۡتَہُمۡ مَّنۡ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضَ وَ سَخَّرَ الشَّمۡسَ وَ الۡقَمَرَ لَیَقُوۡلُنَّ اللّٰہُ ۚ فَاَنّٰی یُؤۡفَکُوۡنَ ﴿۶۱﴾

61. اور اگر آپ اِن (کفّار) سے پوچھیں کہ آسمانوں اور زمین کو کس نے پیدا کیا اور سورج اور چاند کو کس نے تابع فرمان بنا دیا، تو وہ ضرور کہہ دیں گے: اللہ نے، پھر وہ کدھر الٹے جا رہے ہیںo

61. And if you ask these (disbelievers): ‘Who created the heavens and the earth and made the sun and the moon law-abiding?’ they will certainly say: ‘Allah.’ Then where are they turning away?

61. Walain saaltahum man khalaqa alssamawati waalarda wasakhkhara alshshamsa waalqamara layaqoolunna Allahu faanna yufakoona

61. Og hvis du spør dem (de vantro): «Hvem har skapt himlene og jorden og gjort solen og månen underdanige?», vil de visselig si: «Allah!» Hvor hen vender de bort?

61. और अगर आप इन (कुफ्फार) से पूछें कि आस्मानों और ज़मीन को किसने पैदा किया और सूरज और चांद को किसने ताबेअ़ फरमान बना दिया तो ज़रूर कह देंगे अल्लाह ने, फिर वोह किधर उल्टे जा रहे हैं।

৬১. আর যদি আপনি এদেরকে (এ কাফেরদেরকে) জিজ্ঞেস করেন, ‘আকাশমন্ডলী এবং পৃথিবী কে সৃষ্টি করেছেন এবং সূর্য ও চন্দ্রকে কে অনুগত করে দিয়েছেন?’ তারা অবশ্যই বলবে, ‘আল্লাহ্’। অতঃপর তারা কোথায় ফিরে যাচ্ছে?

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 61)
اَللّٰہُ یَبۡسُطُ الرِّزۡقَ لِمَنۡ یَّشَآءُ مِنۡ عِبَادِہٖ وَ یَقۡدِرُ لَہٗ ؕ اِنَّ اللّٰہَ بِکُلِّ شَیۡءٍ عَلِیۡمٌ ﴿۶۲﴾

62. اللہ اپنے بندوں میں سے جس کے لئے چاہتا ہے رزق کشادہ فرما دیتا ہے، اور جس کے لئے (چاہتا ہے) تنگ کر دیتا ہے، بیشک اللہ ہر چیز کو خوب جاننے والا ہےo

62. Allah increases sustenance for whom He pleases of His servants and restrains for whom He wills. Surely, Allah knows everything full well.

62. Allahu yabsutu alrrizqa liman yashao min AAibadihi wayaqdiru lahu inna Allaha bikulli shayin AAaleemun

62. Allah utvider forsyningen rikelig for hvem Han enn vil av Sine tjenere, og gjør den trang (for hvem Han enn vil). Sannelig, Allah er allvitende om alle ting.

62. अल्लाह अपने बन्दों में से जिसके लिए चाहता है रिज़्क़ कुशादा फरमा देता है, और जिसके लिए (चाहता है) तंग कर देता है, बेशक अल्लाह हर चीज़ को ख़ूब जानने वाला है।

৬২. আল্লাহ্ তাঁর বান্দাদের মধ্যে যার জন্যে চান জীবনোপকরণ বর্ধিত করেন এবং যার জন্যে (চান) সংকুচিত করে দেন। নিশ্চয়ই আল্লাহ সর্ববিষয়ে সম্যক অবগত।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 62)
وَ لَئِنۡ سَاَلۡتَہُمۡ مَّنۡ نَّزَّلَ مِنَ السَّمَآءِ مَآءً فَاَحۡیَا بِہِ الۡاَرۡضَ مِنۡۢ بَعۡدِ مَوۡتِہَا لَیَقُوۡلُنَّ اللّٰہُ ؕ قُلِ الۡحَمۡدُ لِلّٰہِ ؕ بَلۡ اَکۡثَرُہُمۡ لَا یَعۡقِلُوۡنَ ﴿٪۶۳﴾

63. اور اگر آپ ان سے پوچھیں کہ آسمان سے پانی کس نے اتارا پھر اس سے زمین کو اس کی مُردنی کے بعد حیات (اور تازگی) بخشی، تو وہ ضرور کہہ دیں گے: اللہ نے، آپ فرما دیں: ساری تعریفیں اللہ ہی کے لئے ہیں، بلکہ ان میں سے اکثر (لوگ) عقل نہیں رکھتےo

63. And if you ask them: ‘Who sends down water from the sky, then gives life (and freshness) to the earth after its death?’ they will surely say: ‘Allah.’ Say: ‘All praise belongs to Allah alone.’ But most of them do not have sense.

63. Walain saaltahum man nazzala mina alssamai maan faahya bihi alarda min baAAdi mawtiha layaqoolunna Allahu quli alhamdu lillahi bal aktharuhum la yaAAqiloona

63. Og hvis du spør dem: «Hvem nedsender vann fra himmelen og gir derpå jorden liv (og friskhet) etter dens dvale?», vil de visselig si: «Allah!» Si: «All lovprisning er for Allah alene!» Men de fleste av dem eier ikke forstand.

63. और अगर आप उनसे पूछें कि आस्मान से पानी किस ने उतारा फिर उससे ज़मीन को उसकी मुर्दनी के बाद हयात (और ताज़गी) बख़्शी तो वोह ज़रूर कह देंगे कि अल्लाह ने, आप फरमा दें: सारी तारीफें अल्लाह ही के लिए हैं, बल्कि उनमें से अक्सर (लोग) अ़क़्ल नहीं रखते।

৬৩. আর যদি আপনি এদেরকে জিজ্ঞেস করেন, ‘আকাশ থেকে কে পানি বর্ষণ করেন, অতঃপর তা দ্বারা মৃত অবস্থার পর এ পৃথিবীকে জীবন (এবং সতেজতা) দান করেন?’ তারা অবশ্যই বলবে, ‘আল্লাহ্’। আপনি বলে দিন, ‘সকল প্রশংসা আল্লাহ্‌রই জন্যে’, বরং তাদের অধিকাংশই অনুধাবন করে না।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 63)
وَ مَا ہٰذِہِ الۡحَیٰوۃُ الدُّنۡیَاۤ اِلَّا لَہۡوٌ وَّ لَعِبٌ ؕ وَ اِنَّ الدَّارَ الۡاٰخِرَۃَ لَہِیَ الۡحَیَوَانُ ۘ لَوۡ کَانُوۡا یَعۡلَمُوۡنَ ﴿۶۴﴾

64. اور (اے لوگو!) یہ دنیا کی زندگی کھیل اور تماشے کے سوا کچھ نہیں ہے، اور حقیقت میں آخرت کا گھر ہی (صحیح) زندگی ہے۔ کاش! وہ لوگ (یہ راز) جانتے ہوتےo

64. And, (O people,) the life of this world is nothing but sport and pastime and the Home of the Hereafter is the only (true) life. Would that they knew (this secret)!

64. Wama hathihi alhayatu alddunya illa lahwun walaAAibun wainna alddara alakhirata lahiya alhayawanu law kanoo yaAAlamoona

64. Og (å, dere mennesker!), dette jordelivet (jordelivets luksus) er ikke noe annet enn moro og lek. Og det hinsidiges hjem er i sannhet (det ekte) livet. Om de bare visste (om denne hemmeligheten)!

64. और (ऐ लोगो!) ये दुन्या की ज़िन्दगी खेल और तमाशे के सिवा कुछ नहीं है, और हक़ीक़त में आख़िरत का घर ही (सहीह) ज़िन्दगी है। काश! वोह लोग (ये राज़) जानते होते।

৬৪. আর (হে মানুষ!) এ পার্থিব জীবন তো ক্রীড়াকৌতুক ব্যতীত আর কিছুই নয়। আর বস্তুতঃ পারলৌকিক গৃহই (প্রকৃত) জীবন। হায়! এরা যদি (এ গোপন রহস্য) জানতো!

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 64)
فَاِذَا رَکِبُوۡا فِی الۡفُلۡکِ دَعَوُا اللّٰہَ مُخۡلِصِیۡنَ لَہُ الدِّیۡنَ ۬ۚ فَلَمَّا نَجّٰہُمۡ اِلَی الۡبَرِّ اِذَا ہُمۡ یُشۡرِکُوۡنَ ﴿ۙ۶۵﴾

65. پھر جب وہ کشتی میں سوار ہوتے ہیں تو (مشکل وقت میں بتوں کو چھوڑ کر) صرف اللہ کو اس کے لئے (اپنا) دین خالص کرتے ہوئے پکارتے ہیں، پھر جب اللہ انہیں بچا کر خشکی تک پہنچا دیتا ہے تو اس وقت وہ (دوبارہ) شرک کرنے لگتے ہیںo

65. When they board a vessel they (abandon the idols in hard times and) call upon Allah alone, making their Din (faith and devotion) sincerely (and purely) for Him. Then, when Allah rescues and brings them safe to the land, they start setting up partners with Him (again),

65. Faitha rakiboo fee alfulki daAAawoo Allaha mukhliseena lahu alddeena falamma najjahum ila albarri itha hum yushrikoona

65. Når de går om bord på skip, anroper de Allah (i vanskens time ved å gi slipp på alle avgudsstatuene og) ved å vie sin levemåte (religion) oppriktig til Ham alene. Men når Allah berger dem til det tørre land, begynner de (igjen) å likestille (andre med Ham),

65. फिर जब वोह कश्ती में सवार होते हैं तो (मुश्किल वक़्त में बुतों को छोड़कर) सिर्फ अल्लाह को उसके लिए (अपना) दीन ख़ालिस करते हुए पुकारते हैं, फिर जब अल्लाह उन्हें बचाकर ख़ुश्की तक पहुंचा देता है तो उस वक़्त वोह (दोबारा) शिर्क करने लगते हैं।

৬৫. অতঃপর যখন তারা নৌকায় আরোহণ করে তখন (বিপদে মূর্তিদের ছেড়ে নিজের বিশ্বাস ও ঐকান্তিক নিবেদনে) দ্বীনকে একনিষ্ঠ করে কেবল আল্লাহ্কে ডাকে করে। অতঃপর যখন আল্লাহ্ তাদেরকে উদ্ধার করে তীরে পৌঁছে দেন তখন তারা (আবার) অংশীদারিত্ব সাব্যস্ত করতে শুরু করে

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 65)
لِیَکۡفُرُوۡا بِمَاۤ اٰتَیۡنٰہُمۡ ۚۙ وَ لِیَتَمَتَّعُوۡا ٝ فَسَوۡفَ یَعۡلَمُوۡنَ ﴿۶۶﴾

66. تاکہ اس (نعمتِ نجات) کی ناشکری کریں جو ہم نے انہیں عطا کی اور (کفر کی زندگی کے حرام) فائدے اٹھاتے رہیں۔ پس وہ عنقریب (اپنا انجام) جان لیں گےo

66. So that they may show ingratitude towards that (favour of deliverance) which We granted them and enjoy (the unlawful) benefits (of the life of disbelief). But soon they will know (their fate).

66. Liyakfuroo bima ataynahum waliyatamattaAAoo fasawfa yaAAlamoona

66. for å vise utakknemlighet mot det (bergingens velsignelse) som Vi skjenket dem, og for å nyte (de ulovlige) fordelene (ved vantroens liv). Snart vil de få vite (om sin ende).

66. ताकि उस (नेअ़मते नजात) की नाशुक्री करें जो हमने उन्हें अ़ता की और (कुफ्र की ज़िन्दगी के हराम) फाइदे उठाते रहें। पस वोह अ़नक़रीब (अपना अंजाम) जान लेंगे।

,৬৬. যাতে (এ মুক্তির মাধ্যমে অনুগ্রহ)-এর উপর অকৃতজ্ঞ হয় যা আমি তাদেরকে দান করলাম এবং (কুফরী জীবনের অবৈধ) উপকার গ্রহণ করতে থাকে। অতঃপর নিশ্চয়ই তারা অচিরেই (নিজেদের পরিণতি) জানতে পারবে।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 66)
اَوَ لَمۡ یَرَوۡا اَنَّا جَعَلۡنَا حَرَمًا اٰمِنًا وَّ یُتَخَطَّفُ النَّاسُ مِنۡ حَوۡلِہِمۡ ؕ اَفَبِالۡبَاطِلِ یُؤۡمِنُوۡنَ وَ بِنِعۡمَۃِ اللّٰہِ یَکۡفُرُوۡنَ ﴿۶۷﴾

67. اور کیا انہوں نے نہیں دیکھا کہ ہم نے حرمِ (کعبہ) کو جائے امان بنا دیا ہے اور اِن کے اِردگرِد کے لوگ اُچک لئے جاتے ہیں، تو کیا (پھر بھی) وہ باطل پر ایمان رکھتے اور اللہ کے احسان کی ناشکری کرتے رہیں گےo

67. And have they not seen that We have made the Sanctuary (of the Ka‘ba) a safe haven while people are abducted from all around them? Do they (still) believe in falsehood, and will they continue disregarding the favour of Allah?

67. Awalam yaraw anna jaAAalna haraman aminan wayutakhattafu alnnasu min hawlihim afabialbatili yuminoona wabiniAAmati Allahi yakfuroona

67. Har de da ikke sett at Vi har gjort (Ka‛bahs) helligdom til et trygt sted, mens folk rundt omkring dem blir rykket bort? Vil de da (fortsatt) tro på falskheten og fortsette å vise utakknemlighet mot Allahs gunst?

67. और क्या उन्होंने नहीं देखा कि हमने हरमे (का’बा) को जाए अमान बना दिया है और उनके इर्द-गिर्द के लोग उचक लिए जाते हैं तो क्या (फिर भी) वोह बातिल पर ईमान रखते और अल्लाह के एहसान की नाशुक्री करते रहेंगे।

৬৭. আর তারা কি দেখে না আমি (কা’বার) হারামকে নিরাপদ স্থান বানিয়েছি অথচ এর চারপাশ থেকে মানুষকে অপহরণ করা হচ্ছে। (তারপরও) কি এরা মিথ্যার উপর বিশ্বাস রাখে এবং আল্লাহ্‌র অনুগ্রহের অকৃতজ্ঞতা প্রকাশ করতে থাকবে?

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 67)
وَ مَنۡ اَظۡلَمُ مِمَّنِ افۡتَرٰی عَلَی اللّٰہِ کَذِبًا اَوۡ کَذَّبَ بِالۡحَقِّ لَمَّا جَآءَہٗ ؕ اَلَیۡسَ فِیۡ جَہَنَّمَ مَثۡوًی لِّلۡکٰفِرِیۡنَ ﴿۶۸﴾

68. اور اس شخص سے بڑھ کر ظالم کون ہو سکتا ہے جو اللہ پر جھوٹا بہتان باندھے یا حق کو جھٹلا دے جب وہ اس کے پاس آپہنچے۔ کیا دوزخ میں کافروں کے لئے ٹھکانہ (مقرر) نہیں ہےo

68. And who can be more unjust than someone who fabricates a lie concerning Allah or belies the truth when it comes to him? Is there not an apartment in Hell (appointed) for the disbelievers?

68. Waman athlamu mimmani iftara AAala Allahi kathiban aw kaththaba bialhaqqi lamma jaahu alaysa fee jahannama mathwan lilkafireena

68. Og hvem er mer ondsinnet enn han som dikter opp løgn om Allah eller forsverger sannheten når den har kommet til ham? Er ikke de vantros oppholdssted (bestemt) i helvete?

68. और उस शख़्स से बढ़कर ज़ालिम कौन हो सकता है जो अल्लाह पर झूटा बोहतान बांधे या हक़्क़ को झुटला दे जब वोह उसके पास आ पहुंचे। क्या दोज़ख़ में काफिरों के लिए ठिकाना (मुक़र्रर) नहीं है।

৬৮. আর তার চেয়ে বড় যালিম আর কে, যে আল্লাহ্‌র প্রতি মিথ্যা অপবাদ আরোপ করে অথবা তার কাছে আগত সত্যকে মিথ্যাপ্রতিপন্ন করে? জাহান্নাম কি কাফেরদের (নির্ধারিত) ঠিকানা নয়?

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 68)
وَ الَّذِیۡنَ جَاہَدُوۡا فِیۡنَا لَنَہۡدِیَنَّہُمۡ سُبُلَنَا ؕ وَ اِنَّ اللّٰہَ لَمَعَ الۡمُحۡسِنِیۡنَ ﴿٪۶۹﴾

69. اور جو لوگ ہمارے حق میں جہاد (یعنی مجاہدہ) کرتے ہیں تو ہم یقینا انہیں اپنی (طرف سَیر اور وصول کی) راہیں دکھا دیتے ہیں، اور بے شک اللہ صاحبانِ احسان کو اپنی معیّت سے نوازتا ہےo

69. And those who strive hard (and struggle against the lower self vehemently) for Our cause, We certainly guide them to Our ways, and verily Allah blesses the men of spiritual excellence with His companionship.

69. Waallatheena jahadoo feena lanahdiyannahum subulana wainna Allaha lamaAAa almuhsineena

69. Og de som anstrenger seg for Vår sak (og evig kjemper mot sitt eget jegs onde begjær), dem viser Vi visselig Vår sti (som fører til reisen mot Vår erkjennelse og tilknytning til Oss). Og sannelig, Allah velsigner de åndelig fullkomne med Sin nærhet og vennskap.

69. और जो लोग हमारे हक़्क़ में जिहाद (यानी मुजाहिदा) करते हैं तो हम यक़ीनन उन्हें अपनी (तरफ सैर और वुसूल की) राहें दिखा देते हैं, और बेशक अल्लाह साहिबाने एह्‌सान को अपनी मइय्यत से नवाज़ता है।

৬৯. আর যারা আমাদের জন্যে কঠোর সাধনায় (ও নাফসের সাথে তীব্র সংগ্রামে) আত্মনিয়োগ করে, তবে আমরা অবশ্যই তাদেরকে আমাদের (দিকে চলার এবং পৌঁছার) পথ দেখিয়ে দেই। নিশ্চয়ই আল্লাহ্ আধ্যাত্নিক উৎকর্ষতাপ্রাপ্ত লোকদেরকে আপন সাহচর্য প্রদান করে ধন্য করেন।

(الْعَنْکَبُوْت، 29 : 69)