وَ الَّذٰنِ یَاۡتِیٰنِہَا مِنۡکُمۡ فَاٰذُوۡہُمَا ۚ فَاِنۡ تَابَا وَ اَصۡلَحَا فَاَعۡرِضُوۡا عَنۡہُمَا ؕ اِنَّ اللّٰہَ کَانَ تَوَّابًا رَّحِیۡمًا ﴿۱۶﴾
16. اور تم میں سے جو بھی کوئی بدکاری کا ارتکاب کریں تو ان دونوں کو ایذا پہنچاؤ، پھر اگر وہ توبہ کر لیں اور (اپنی) اصلاح کر لیں تو انہیں سزا دینے سے گریز کرو، بیشک اللہ بڑا توبہ قبول فرمانے والا مہربان ہےo
16. And the two persons who commit adultery from amongst you, punish them both. Then, if they repent and mend (their) ways, refrain from punishing them. Indeed, Allah is Most Forgiving, Ever-Merciful.
16. Waallathani yatiyaniha minkum faathoohuma fain taba waaslaha faaAAridoo AAanhuma inna Allaha kana tawwaban raheeman
16. Og de to personene blant dere som begår hor, straff dem begge. Men hvis de deretter angrer og forbedrer sin væremåte, så la være å straffe dem. Sannelig, Allah er mest benådende, evig nåderik.
16. और तुम में से जो भी कोई बदकारी का इर्तिकाब करें तो उन दोनों को ईज़ा पहुंचाओ, फिर अगर वोह तौबा कर लें और (अपनी) इस्लाह कर लें तो उन्हें सज़ा देने से गुरेज़ करो, बेशक अल्लाह बड़ा तौबा क़बूल फरमाने वाला मेहरबान हैं।
১৬. আর তোমাদের মধ্যে যে দু’জন ব্যভিচারে লিপ্ত হয় তাদেরকে শাস্তি প্রদান করো। অতঃপর যদি তারা তওবা করে এবং (নিজেদেরকে) সংশোধন করে নেয় তবে তাদেরকে শাস্তি দেয়া থেকে নিবৃত হও। নিশ্চয়ই আল্লাহ্ তওবা কবুলকারী, অসীম দয়ালু।
واللذان يأتيانها منكم فآذوهما فإن تابا وأصلحا فأعرضوا عنهما إن الله كان توابا رحيما