Surah al-Qalam with Urdu Translation

Irfan-ul-Quran
  • 29پارہ نمبر
  • 52آيات
  • 2رکوع
  • 2ترتيب نزولي
  • 68ترتيب تلاوت
  • مکیسورہ
or

اللہ کے نام سے شروع جو نہایت مہربان ہمیشہ رحم فرمانے والا ہے

In the Name of Allah, the Most Compassionate, the Ever-Merciful

اِنَّ رَبَّکَ ہُوَ اَعۡلَمُ بِمَنۡ ضَلَّ عَنۡ سَبِیۡلِہٖ ۪ وَ ہُوَ اَعۡلَمُ بِالۡمُہۡتَدِیۡنَ ﴿۷﴾

7. بے شک آپ کا رب اس شخص کو (بھی) خوب جانتا ہے جو اس کی راہ سے بھٹک گیا ہے، اور وہ ان کو (بھی) خوب جانتا ہے جو ہدایت یافتہ ہیںo

7. Surely, your Lord knows him best who has strayed from the straight path and (also) knows best those who are rightly guided.

7. Inna rabbaka huwa aAAlamu biman dalla AAan sabeelihi wahuwa aAAlamu bialmuhtadeena

7. Sannelig, Herren din kjenner svært vel til den som er villfaren fra Hans vei, og Han kjenner svært vel til dem som er rettledet.

7. बेशक आपका रब उस शख़्स को (भी) ख़ूब जानता है जो उसकी राह से भटक गया है, और वोह उनको (भी) ख़ूब जानता है जो हिदायत याफ्ता हैं।

৭. নিশ্চয়ই আপনার প্রতিপালক তার সম্পর্কেও সম্যক অবগত, যে তাঁর পথ থেকে বিচ্যুত হয়েছে এবং তিনি তাদের ব্যাপারেও সম্যক অবগত যারা হেদায়াতপ্রাপ্ত।

(الْقَلَم، 68 : 7)
عُتُلٍّۭ بَعۡدَ ذٰلِکَ زَنِیۡمٍ ﴿ۙ۱۳﴾

13. (جو) بد مزاج درُشت خو ہے، مزید برآں بد اَصل (بھی) ہے٭o

٭ یہ آیات ولید بن مغیرہ کے بارے میں نازل ہوئیں۔ حضرت عبد اﷲ بن عباس رضی اﷲ عنہما فرماتے ہیں کہ جتنے ذِلت آمیز اَلقاب باری تعالیٰ نے اس بدبخت کو دئیے آج تک کلامِ اِلٰہی میں کسی اور کے لئے استعمال نہیں ہوئے۔ وجہ یہ تھی کہ اُس نے حضور نبی اکرم صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم کی شانِ اَقدس میں گستاخی کی، جس پر غضبِ اِلٰہی بھڑک اٹھا۔ ولید نے حضور نبی اکرم صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم کی شان میں گستاخی کا ایک کلمہ بولا تھا، جواباً باری تعالیٰ نے اُس کے دس رذائل بیان کیے اور آخر میں نطفۂ حرام ہونا بھی ظاہر کر دیا، اور اس کی ماں نے بعد ازاں اِس اَمر کی بھی تصدیق کر دی۔ (تفسیر قرطبی، رازی، نسفی وغیرھم)

13. (The one who is) rude, unmannerly, crooked and, moreover, of doubtful birth.*

* These Verses were sent down about Walid b. Mughira. The venerable ‘Abd Allah b. ‘Abbas states: ‘For no one else have so many humiliating titles been used to date in the Holy Book as Allah has given to this evil soul.’ Because Walid b. Mughira blasphemed against the glory of the Holy Prophet (blessings and peace be upon him), Allah replied, describing ten of Walid b. Mughira’s evils, and He also revealed his illegitimacy in the end. Later his mother validated this fact. See: Tafsir al-Qurtubi, al-Razi, al-Nasafi, etc.

13. AAutullin baAAda thalika zaneemin

13. (som) er gretten og streng; i tillegg til dette er han uekte.*

* Disse versene ble åpenbart om Walīd bin Moghīrah. Følgesvennen Ibn ‛Abbās رضي الله عنه sa at så fornedrende tilnavn som Allah ga denne vanskjebnede, er aldri blitt brukt om noen andre av Allah. Grunnen til dette var at han opptrådte ærekrenkende mot den mest sjenerøse Profeten ﷺ, noe som vekket Allahs vrede. Walīd bin Moghīrah hadde sagt et ærekrenkende ord mot Profeten ﷺ og Allah svarte ham med å framlegge ti æreløse kjennetegn, og til slutt ble det også tydeliggjort at han var et uekte barn («løsunge», barn født utenfor ekteskap), og moren hans bekreftet dette i etterkant. Se: Qortobi, Nasafi og Rāzi.

13. (जो) बद मिज़ाज दुरुश्त ख़ू है, मज़ीद बर आं बद अस्ल (भी) है। *

* (ये आयात वलीद बिन मुग़ीरा के बारे में नाज़िल हुईं, हज़रत अ़ब्दुल्लाह इब्ने अ़ब्बास रदियल्लाहु अ़न्हुमा फरमाते हैं कि जितने ज़िल्लत आमेज़ अल्क़ाब बारी तआला ने इस बद बख़्त को दिए आज तक कलामे इलाही में किसी और के लिए इस्ति’माल नहीं हुए, वजह ये थी कि उसने हुज़ूर नबिय्ये अकरम सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम की शाने अक़्दस में गुस्ताख़ी की, जिस पर ग़ज़बे इलाही भड़क उठा, वलीद ने हुज़ूर नबिय्ये अकरम सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम की शान में गुस्ताख़ी का एक कलिमा बोला था, जवाबन बारी तआला ने उसके दस रज़ाइल बयान किए और आख़िर में नुत्फए हराम होना भी ज़ाहिर कर दिया, और उसकी मां ने बाद अज़ां इस अम्र की तस्दीक़ भी कर दी। (तफ्सीरे क़ुर्तबी, राज़ी, नस्फी वग़ैरह) )

,১৩. (যে) বদমেজাজী, রূঢ় স্বভাবের; তদুপরি তার মূলে রয়েছে ত্রুটি।*

* এ আয়াত কয়টি ওলিদ বিন মুগিরাহর ব্যাপারে অবতীর্ণ হয়। হযরত আব্দুল্লাহ্ ইবনে আব্বাস রাদ্বিয়াল্লাহু আনহু বলেন, যতগুলো অপমানজনক উপাধি বারী তা’আলা এ দুর্ভাগাকে দিয়েছেন, আজ পর্যন্ত আল্লাহ্‌র কালামে তা আর কারো জন্যে ব্যবহৃত হয়নি। কারণ, সে হুযুর নবী আকরাম সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়া আলিহী ওয়াসাল্লামের পবিত্রতম শানে বেআদবী করেছিল; ফলে আল্লাহ্ প্রচন্ড ক্রোধান্বিত হয়েছিলেন। ওলিদ হুযুর নবী আকরাম সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়া আলিহী ওয়াসাল্লামের শানে বেআদবীপূর্ণ একটি বাক্য বলেছিল, জবাবে আল্লাহ্ তা’আলা তার দশটি নীচু বৈশিষ্ট্য বর্ণনা করেছেন। আর পরিশেষে ‘অবৈধ জন্মের’ বিষয়টি প্রকাশ করে দিয়েছেন এবং তার মা পরবর্তীতে এ ঘটনার সত্যায়নও করেছিল। (তাফসীরে কুরতুবী, রাযী, নাসাফী ও অন্যান্য।)

(الْقَلَم، 68 : 13)
اِنَّا بَلَوۡنٰہُمۡ کَمَا بَلَوۡنَاۤ اَصۡحٰبَ الۡجَنَّۃِ ۚ اِذۡ اَقۡسَمُوۡا لَیَصۡرِمُنَّہَا مُصۡبِحِیۡنَ ﴿ۙ۱۷﴾

17. بے شک ہم ان (اہلِ مکہ) کی (اُسی طرح) آزمائش کریں گے جس طرح ہم نے (یمن کے) ان باغ والوں کو آزمایا تھا جب انہوں نے قَسم کھائی تھی کہ ہم صبح سویرے یقیناً اس کے پھل توڑ لیں گےo

17. Surely, We will try them (the inhabitants of Mecca in the same way) as We tried (in Yemen) the owners of the garden when they swore that they would surely pluck its fruit the next morning.

17. Inna balawnahum kama balawna ashaba aljannati ith aqsamoo layasrimunnaha musbiheena

17. Sannelig, Vi vil teste dem (Mekkas beboere på samme måte) som Vi testet hagens folk (fra Yemen) da de sverget at de visselig kom til å plukke dens frukt neste morgen,

17. बेशक हम उन (अह्‌ले मक्का) की (उसी तरह) आज़माइश करेंगे जिस तरह हमने (यमन के) उन बाग़ वालों को आज़माया था जब उन्होंने क़सम खाई थी कि हम सुब्ह सवेरे यक़ीनन उसके फल तोड़ लेंगे।

১৭. নিশ্চয়ই আমরা এদেরকে (এ মক্কাবাসীদেরকে) পরীক্ষা করবো, যেমন পরীক্ষা করেছিলাম (ইয়ামানের) সে উদ্যানপতিদেরকে, যখন তারা শপথ করেছিল যে প্রত্যুষেই তারা আহরণ করবে এর ফল।

(الْقَلَم، 68 : 17)
اَمۡ لَکُمۡ اَیۡمَانٌ عَلَیۡنَا بَالِغَۃٌ اِلٰی یَوۡمِ الۡقِیٰمَۃِ ۙ اِنَّ لَکُمۡ لَمَا تَحۡکُمُوۡنَ ﴿ۚ۳۹﴾

39. یا تمہارے لئے ہمارے ذِمّہ کچھ (ایسے) پختہ عہد و پیمان ہیں جو روزِ قیامت تک باقی رہیں (جن کے ذریعے ہم پابند ہوں) کہ تمہارے لئے وہی کچھ ہوگا جس کا تم (اپنے حق میں) فیصلہ کرو گےo

39. Or have you any (such) firm covenants from Us as will subsist till the Day of Resurrection (by means of which We are bound) that you will be provided with whatever you shall decide (for yourselves)?

39. Am lakum aymanun AAalayna balighatun ila yawmi alqiyamati inna lakum lama tahkumoona

39. Eller påligger det Oss høytidelige eder som skal vare til oppstandelsens dag for dere, (som gjør Oss forpliktet til) at det skal være det dere selv dømmer (til deres egen fordel)?

39. या तुम्हारे लिए हमारे ज़िम्मा कुछ (ऐसे) पुख़्ता अ़हदो पैमान हैं जो रोज़े क़ियामत तक बाक़ी रहें (जिनके ज़रीए हम पाबन्द हों) कि तुम्हारे लिए वोही कुछ होगा जिसका तुम (अपने हक़्क़ में) फैसला करोगे।

৩৯. নাকি তোমাদের জন্যে আমাদের পক্ষ থেকে (এমন) কোনো দৃঢ় অঙ্গীকার রয়েছে, যা কিয়ামত পর্যন্ত বলবৎ থাকবে (যার মাধ্যমে আমরা বাধ্য) যে, তোমরা নিজেদের জন্যে যা সিদ্ধান্ত নেবে তাই পাবে?

(الْقَلَم، 68 : 39)
یَوۡمَ یُکۡشَفُ عَنۡ سَاقٍ وَّ یُدۡعَوۡنَ اِلَی السُّجُوۡدِ فَلَا یَسۡتَطِیۡعُوۡنَ ﴿ۙ۴۲﴾

42. جس دن ساق (یعنی اَحوالِ قیامت کی ہولناک شدت) سے پردہ اٹھایا جائے گا اور وہ (نافرمان) لوگ سجدہ کے لئے بلائے جائیں گے تو وہ (سجدہ) نہ کر سکیں گےo

42. The Day when the ‘shin’ (i.e., the terrifying fierceness of the Hour of Rising) will be laid bare, and (the disobedient) people will be called to prostrate themselves, but they will not be able to do so (i.e., to prostrate themselves).

42. Yawma yukshafu AAan saqin wayudAAawna ila alssujoodi fala yastateeAAoona

42. Den dag da skinnebenet (oppstandelsens dags skrekkelige og mektige fenomen) vil bli avdekket og de (ulydige) vil bli kalt til å knele med ansiktet ned, vil de ikke makte det (å knele med ansiktet ned).

42. जिस दिन साक़ (यानी अहवाले क़ियामत की हौलनाक शिद्दत) से पर्दा उठाया जाएगा और वोह नाफरमान) लोग सज्दे के लिए बुलाए जाएंगे तो वोह (सज्दा) न कर सकेंगे।

৪২. যেদিন পায়ের গোছা (অর্থাৎ কিয়ামতের ভয়াবহ প্রচন্ডতা) থেকে পর্দা উন্মোচিত হয়ে পড়বে এবং এসব (নাফরমান) লোকদেরকে সেজদা করতে আহ্বান করা হবে, তখন তারা সক্ষম হবে না।

(الْقَلَم، 68 : 42)
خَاشِعَۃً اَبۡصَارُہُمۡ تَرۡہَقُہُمۡ ذِلَّۃٌ ؕ وَ قَدۡ کَانُوۡا یُدۡعَوۡنَ اِلَی السُّجُوۡدِ وَ ہُمۡ سٰلِمُوۡنَ ﴿۴۳﴾

43. ان کی آنکھیں (ہیبت اور ندامت کے باعث) جھکی ہوئی ہوں گی (اور) ان پر ذِلت چھا رہی ہوگی، حالانکہ وہ (دنیا میں بھی) سجدہ کے لئے بلائے جاتے تھے جبکہ وہ تندرست تھے (مگر پھر بھی سجدہ کے اِنکاری تھے)o

43. Their eyes will be cast down (with terror and shame) and disgrace will be spreading over them, whereas they were called to prostrate themselves (in the world also) when they were healthy (but they, even then, refused to fall prostrate).

43. KhashiAAatan absaruhum tarhaquhum thillatun waqad kanoo yudAAawna ila alssujoodi wahum salimoona

43. Blikket deres vil være nedslått (av skrekk og samvittighetskval) mens nedverdigelsen vil senke seg over dem, for de pleide å bli kalt til å knele med ansiktet ned (i det dennesidige også) mens de var friske (men fortsatt pleide de ikke å knele med ansiktet ned).

43. उनकी आंखें (हैबत और नदामत के बाइस) झुकी हुई होंगी, (और) उन पर ज़िल्लत छा रही होगी, हालांकि वोह (दुन्या में भी) सज्दे के लिए बुलाए जाते थे जबकि वोह तंदुरुस्त थे (मगर फिर भी सज्दे के इन्कारी थे) ।

৪৩. (ভয়ে ও লজ্জায়) তাদের দৃষ্টি অবনত থাকবে, (এবং) তাদেরকে লাঞ্ছনা আচ্ছন্ন করবে। অথচ তাদেরকে (পৃথিবীতেও) সেজদার জন্যে আহ্বান করা হতো, যখন তারা সুস্থ ও স্বাভাবিক ছিল। (কিন্তু তারা সেজদা করতে অস্বীকৃতি জানাতো।)

(الْقَلَم، 68 : 43)
فَذَرۡنِیۡ وَ مَنۡ یُّکَذِّبُ بِہٰذَا الۡحَدِیۡثِ ؕ سَنَسۡتَدۡرِجُہُمۡ مِّنۡ حَیۡثُ لَا یَعۡلَمُوۡنَ ﴿ۙ۴۴﴾

44. پس (اے حبیبِ مکرم!) آپ مجھے اور اس شخص کو جو اس کلام کو جھٹلاتا ہے (اِنتقام کے لئے) چھوڑ دیں، اب ہم انہیں آہستہ آہستہ (تباہی کی طرف) اس طرح لے جائیں گے کہ انہیں معلوم تک نہ ہوگاo

44. So, (O Esteemed Beloved,) leave Me (to exact revenge) from the one who rejects this Revelation. Now We shall take them (towards disaster) so gradually that they will not perceive it.

44. Fatharnee waman yukaththibu bihatha alhadeethi sanastadrijuhum min haythu la yaAAlamoona

44. Så (kjære høyaktede elskede ﷺ!), la Meg være alene (for hevn) med den som forsverger denne forkynnelsen. Nå vil Vi føre dem gradvis (til undergangen) uten at de vet det.

44. पस (ऐ हबीबे मुकर्रम!) आप मुझे और उस शख़्स को जो इस कलाम को झुटलाता है (इन्तिक़ाम के लिए) छोड़ दें, अब हम उन्हें आहिस्ता आहिस्ता (तबाही की तरफ) इस तरह ले जाएंगे कि उन्हें मालूम तक न होगा।

৪৪. অতঃপর (হে সম্মানিত হাবীব! প্রতিশোধের জন্যে) আমাকে এবং ওই ব্যক্তিকে ছেড়ে দিন, যে এ বাণীকে মিথ্যাপ্রতিপন্ন করে। এখন আমি তাদেরকে ধীরে ধীরে এমনভাবে (ধ্বংসের দিকে) নিয়ে যাবো যে, তারা বুঝতেও পারবে না।

(الْقَلَم، 68 : 44)
فَاصۡبِرۡ لِحُکۡمِ رَبِّکَ وَ لَا تَکُنۡ کَصَاحِبِ الۡحُوۡتِ ۘ اِذۡ نَادٰی وَ ہُوَ مَکۡظُوۡمٌ ﴿ؕ۴۸﴾

48. پس آپ اپنے رب کے حکم کے انتظار میں صبر فرمائیے اور مچھلی والے (پیغمبر یونس علیہ السلام) کی طرح (دل گرفتہ) نہ ہوں، جب انہوں نے (اللہ کو) پکارا اس حال میں کہ وہ (اپنی قوم پر) غم و غصہ سے بھرے ہوئے تھےo

48. So be steadfast in waiting for the command of your Lord, and do not (take it to your heart) like (Yunus [Jonah], the Messenger with) fish episode, when he cried out (to Allah) in a state pent up with rage and grief (against his community).

48. Faisbir lihukmi rabbika wala takun kasahibi alhooti ith nada wahuwa makthoomun

48. Vis du tålmodighet når du venter på din Herres dom, og bli ikke (la det ikke gå inn på deg) som hvalfiskmannen (sendebudet Jonas) da han anropte (Allah) idet han var full av sorg og raseri (mot folket sitt).

48. पस आप अपने रब के हुक्म के इन्तिज़ार में सब्र फरमाइये और मछली वाले (पैग़म्बर यूनुस अ़लैहिस्सलाम) की तरह (दिल गिरफ्ता) न हों, जब उन्होंने (अल्लाह को) पुकारा इस हाल में कि वोह (अपनी क़ौम पर) ग़मो ग़ुस्से से भरे हुए थे।

৪৮. অতঃপর আপনি আপনার প্রতিপালকের নির্দেশের অপেক্ষায় ধৈর্য ধারণ করুন এবং মৎস-সহচর (পয়গম্বর ইউনুস আলাইহিস সালাম)-এঁর মতো (চিন্তিত) হবেন না। যখন তিনি (আল্লাহ্কে) ডাকলেন (তাঁর সম্প্রদায়ের বিরুদ্ধে) ক্রোধ ও মর্মযন্ত্রণায় আড়ষ্ট অবস্থায়।

(الْقَلَم، 68 : 48)
لَوۡ لَاۤ اَنۡ تَدٰرَکَہٗ نِعۡمَۃٌ مِّنۡ رَّبِّہٖ لَنُبِذَ بِالۡعَرَآءِ وَ ہُوَ مَذۡمُوۡمٌ ﴿۴۹﴾

49. اگر ان کے رب کی رحمت و نعمت ان کی دستگیری نہ کرتی تو وہ ضرور چٹیل میدان میں پھینک دئیے جاتے اور وہ ملامت زدہ ہوتے (مگر اللہ نے انہیں ا س سے محفوظ رکھا)o

49. Had the mercy and blessing of his Lord not helped him, he would certainly have been thrown in the barren field, blamed. (But Allah saved him from that.)

49. Lawla an tadarakahu niAAmatun min rabbihi lanubitha bialAAarai wahuwa mathmoomun

49. Hadde ikke hans Herres gunst kommet ham til unnsetning, ville han visselig ha blitt kastet på en ubevokst slette, og han hadde vært klanderverdig (men Allah bevarte ham fra dette).

49. अगर उनके रब की रहमतो नेअ़मत उनकी दस्तगीरी न करती तो वोह ज़रूर चट्‌यल मैदान में फैंक दिए जाते और वोह मलामत ज़दा होते (मगर अल्लाह ने उन्हें उससे महफूज़ रखा) ।

৪৯. যদি তাঁর প্রতিপালকের অনুগ্রহ ও নিয়ামত তাঁর নিকট না পৌঁছতো, তবে অবশ্যই তিনি নিক্ষিপ্ত হতেন জনশুন্য ময়দানে এবং হতেন নিন্দিত। (কিন্তু আল্লাহ্ তাঁকে তা থেকে নিরাপদ রেখেছেন।)

(الْقَلَم، 68 : 49)
وَ اِنۡ یَّکَادُ الَّذِیۡنَ کَفَرُوۡا لَیُزۡلِقُوۡنَکَ بِاَبۡصَارِہِمۡ لَمَّا سَمِعُوا الذِّکۡرَ وَ یَقُوۡلُوۡنَ اِنَّہٗ لَمَجۡنُوۡنٌ ﴿ۘ۵۱﴾

51. اور بے شک کافر لوگ جب قرآن سنتے ہیں تو ایسے لگتا ہے کہ آپ کو اپنی (حاسدانہ بد) نظروں سے نقصان پہنچانا چاہتے ہیں اور کہتے ہیں کہ یہ تو دیوانہ ہےo

51. And indeed, when the disbelievers listen to the Qur’an, it seems as if they wish to damage you with their (jealously evil) looks and say: ‘He is insane.’

51. Wain yakadu allatheena kafaroo layuzliqoonaka biabsarihim lamma samiAAoo alththikra wayaqooloona innahu lamajnoonun

51. Og sannelig, det virker som om de vantro ønsker å skade deg med sine (onde, sjalu) blikk når de hører Koranen og sier: «Sannelig, han er besatt!»

51. और बेशक काफिर लोग जब क़ुरआन सुनते हैं तो ऐसे लगता है कि आपको अपनी (हासिदाना बद) नज़रों से नुक़्सान पहुंचाना चाहते हैं और कहते हैं कि ये तो दीवाना है।

৫১. আর নিশ্চয়ই কাফেরেরা যখন কুরআন শ্রবণ করে, মনে হয় তারা তাদের (হিংসাত্মক) দৃষ্টি দ্বারা আপনাকে ক্ষতিগ্রস্ত করবে এবং তারা বলে, ‘এ তো উন্মাদ’।

(الْقَلَم، 68 : 51)