Surah ash-Shu‘ara’ with Urdu Translation

Irfan-ul-Quran
  • 19پارہ نمبر
  • 227آيات
  • 11رکوع
  • 47ترتيب نزولي
  • 26ترتيب تلاوت
  • مکیسورہ
or

اللہ کے نام سے شروع جو نہایت مہربان ہمیشہ رحم فرمانے والا ہے

In the Name of Allah, the Most Compassionate, the Ever-Merciful

وَ یَضِیۡقُ صَدۡرِیۡ وَ لَا یَنۡطَلِقُ لِسَانِیۡ فَاَرۡسِلۡ اِلٰی ہٰرُوۡنَ ﴿۱۳﴾

13. اور (ایسے ناسازگار ماحول میں) میرا سینہ تنگ ہوجاتا ہے اور میری زبان (روانی سے) نہیں چلتی سو ہارون (علیہ السلام) کی طرف (بھی جبرائیل علیہ السلام کو وحی کے ساتھ) بھیج دے (تاکہ وہ میرا معاون بن جائے)o

13. And my breast constricts (under such adverse circumstances) and my tongue does not express (fluently), so send (Gabriel with revelation) to Harun ([Aaron] as well so that he becomes my helper).

13. Wayadeequ sadree wala yantaliqu lisanee faarsil ila haroona

13. og brystet mitt blir trangt (i en slik djevelsk atmosfære), og tungen min uttrykker seg ikke (flytende), så send (engelen Gabriel) til Aron (med åpenbaring, slik at han blir min medhjelper).

13. और (ऐसे ना साज़गार माहौल में) मेरा सीना तंग हो जाता है और मेरी जु़बान (रवानी से) नहीं चलती सो हारून (अ़लैहिस्सलाम) की तरफ (भी जिब्राईल अ़लैहिस्सलाम को वही के साथ) भेज दे (ताकि वोह मेरा मुआविन बन जाए) ।

১৩. আর (এমন প্রতিকূল পরিবেশে) আমার বক্ষ সংকুচিত হয়ে যায় এবং আমার ভাষা (স্বতঃস্ফুর্তভাবে) চলে না। সুতরাং হারুন (আলাইহিস সালাম)-এঁর নিকটও (জিব্রাঈল আলাইহিস সালামকে ওহী সহকারে) প্রেরণ করুন (যাতে তিনি আমার সাহায্যকারী হতে পারেন)।

(الشُّعَرَآء، 26 : 13)
قَالَ اَلَمۡ نُرَبِّکَ فِیۡنَا وَلِیۡدًا وَّ لَبِثۡتَ فِیۡنَا مِنۡ عُمُرِکَ سِنِیۡنَ ﴿ۙ۱۸﴾

18. (فرعون نے) کہا: کیا ہم نے تمہیں اپنے یہاں بچپن کی حالت میں پالا نہیں تھا اور تم نے اپنی عمر کے کتنے ہی سال ہمارے اندر بسر کئے تھےo

18. Pharaoh said: ‘Did we not bring you up amongst us as a child, and you spent many years of your life with us?’

18. Qala alam nurabbika feena waleedan walabithta feena min AAumurika sineena

18. Farao sa: «Oppfostret vi ikke deg her hos oss som barn, og ble du ikke hos oss i mange år av livet ditt?

18. (फिरऔन ने) कहा: क्या हमने तुम्हें अपने यहां बचपन की हालत में पाला नहीं था और तुमने अपनी उम्र के कितने ही साल हमारे अन्दर बसर किए थे।

১৮. (ফেরাউন) বললো, ‘আমরা কি তোমাকে আমাদের তত্ত্বাবধানে শৈশবে লালন-পালন করিনি এবং তুমি কি তোমার জীবনের বহু বছর আমাদের মাঝে কাটাও নি?

(الشُّعَرَآء، 26 : 18)
وَ فَعَلۡتَ فَعۡلَتَکَ الَّتِیۡ فَعَلۡتَ وَ اَنۡتَ مِنَ الۡکٰفِرِیۡنَ ﴿۱۹﴾

19. اور (پھر) تم نے اپنا وہ کام کر ڈالا جو تم نے کیا تھا (یعنی ایک قبطی کو قتل کر دیا) اور تم ناشکر گزاروں میں سے ہو (ہماری پرورش اور احسانات کو بھول گئے ہو)o

19. And (then) you committed that deed which you committed (i.e., you killed a Copt), and you are one of the ungrateful (you have forgotten our guardianship and favours).

19. WafaAAalta faAAlataka allatee faAAalta waanta mina alkafireena

19. Og så gjorde du en gjerning som du gjorde (drepte en kopter), og du er av de utakknemlige (glemte at vi oppfostret deg, og vår godhet mot deg).»

19. और (फिर) तुमने अपना वोह काम कर डाला जो तुम ने किया था (यानी एक क़िब्ती को क़त्ल कर दिया) और तुम नाशुक्र गुज़ारों में से हो (हमारी परवरिश और एहसानात को भूल गए हो) ।

১৯. আর (এরপরও) তোমার যা করার তা তুমি করেছো (অর্থাৎ এক ক্বিবতীকে হত্যা করেছো।) এবং তুমি অকৃতজ্ঞদের মধ্যে অন্তর্ভুক্ত। (আমাদের তত্ত্বাবধান ও অনুগ্রহ ভুলে গেছো।)’

(الشُّعَرَآء، 26 : 19)
فَفَرَرۡتُ مِنۡکُمۡ لَمَّا خِفۡتُکُمۡ فَوَہَبَ لِیۡ رَبِّیۡ حُکۡمًا وَّ جَعَلَنِیۡ مِنَ الۡمُرۡسَلِیۡنَ ﴿۲۱﴾

21. پھر میں (اس وقت) تمہارے (دائرہ اختیار) سے نکل گیا جب میں تمہارے (ارادوں) سے خوفزدہ ہوا پھر میرے رب نے مجھے حکمِ (نبوت) بخشا اور (بالآخر) مجھے رسولوں میں شامل فرما دیاo

21. So (at that time), I went out of your (line of control) when I feared your (designs). Then my Lord bestowed on me the commandment (of Prophethood) and (finally) made me one of the Messengers.

21. Fafarartu minkum lamma khiftukum fawahaba lee rabbee hukman wajaAAalanee mina almursaleena

21. Så gikk jeg ut av deres (myndighets) rekkevidde (på den tiden) da jeg fryktet for dere (deres baktanker). Men så skjenket Herren min meg (profetskapets) visdom og gjorde meg til et av sendebudene.

21. फिर मैं (उस वक़्त) तुम्हारे (दाइरए इख़्तियार) से निकल गया जब मैं तुम्हारे (इरादों) से ख़ौफज़दा हुवा फिर मेरे रब ने मुझे हुक्मे (नुबुव्वत) बख़्शा और (बिल आख़िर) मुझे रसूलों में शामिल फरमा दिया।

২১. সুতরাং আমি (সে সময়) তোমাদের (নিয়ন্ত্রণ সীমা) থেকে বেরিয়ে গিয়েছিলাম যখন আমি তোমাদের (উদ্দেশ্য) সম্পর্কে ভীত হয়ে পড়েছিলাম। অতঃপর আমার প্রতিপালক আমাকে (নবুয়্যতের) নির্দেশ প্রদান করেছেন এবং (পরিশেষে) আমাকে রাসূলগণের অন্তর্ভুক্ত করেছেন।

(الشُّعَرَآء، 26 : 21)
وَ تِلۡکَ نِعۡمَۃٌ تَمُنُّہَا عَلَیَّ اَنۡ عَبَّدۡتَّ بَنِیۡۤ اِسۡرَآءِیۡلَ ﴿ؕ۲۲﴾

22. اور کیا وہ (کوئی) بھلائی ہے جس کا تو مجھ پر احسان جتا رہا ہے (اس کا سبب بھی یہ تھا) کہ تو نے (میری پوری قوم) بنی اسرائیل کو غلام بنا رکھا تھاo

22. And is that (any) favour of which you are reminding me? (That happened also because) you had enslaved (all my people) the Children of Israel.’

22. Watilka niAAmatun tamunnuha AAalayya an AAabbadta banee israeela

22. Og er det en godhet som du minner meg om? (Grunnen til den godheten var jo) at du hadde satt hele (mitt folk) Israels barn under ditt slaveris åk!»

22. और क्या वोह (कोई) भलाई है जिसका तू मुझ पर एहसान जता रहा है (उसका सबब भी ये था) कि तूने (मेरी पूरी क़ौम) बनी इस्राईल को ग़ुलाम बना रखा था।

২২. আর সেটা কি (কোনো) আনুকূল্য যার উল্লেখ তুমি করছো? (এর কারণও এই ছিল) যে, তুমি (আমার পুরো সম্প্রদায়) বনী ইসরাঈলকে দাস বানিয়ে রেখেছিলে।’

(الشُّعَرَآء، 26 : 22)
قَالَ رَبُّ السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضِ وَ مَا بَیۡنَہُمَا ؕ اِنۡ کُنۡتُمۡ مُّوۡقِنِیۡنَ ﴿۲۴﴾

24. (موسٰی علیہ السلام نے) فرمایا: (وہ) جملہ آسمانوں کا اور زمین کا اور اُس (ساری کائنات) کا رب ہے جو ان دونوں کے درمیان ہے اگر تم یقین کرنے والے ہوo

24. (Musa [Moses]) said: ‘(He) is the Lord of all the heavens and the earth and (the whole universe) between the two if you are a firm believer.’

24. Qala rabbu alssamawati waalardi wama baynahuma in kuntum mooqineena

24. Moses sa: «Herren over himlene og jorden og alt det (universet) som mellom dem begge er, hvis du er fullt forvisset i troen.»

24. (मूसा अ़लैहिस्सलाम ने) फरमाया: (वोह) जुम्ला आस्मानों का और ज़मीन का और उस (सारी काइनात) का रब है जो उन दोनों के दर्मियान है, अगर तुम यक़ीन करने वाले हो।

২৪. (মূসা আলাইহিস সালাম) বললেন, ‘(তিনি) সমস্ত আকাশমন্ডলী, পৃথিবী এবং এ দু’য়ের মাঝে যা কিছু (বিশ্বজগৎ) বিদ্যমান এর প্রতিপালক, যদি তোমরা নিশ্চিত বিশ্বাসী হও।’

(الشُّعَرَآء، 26 : 24)
قَالَ رَبُّ الۡمَشۡرِقِ وَ الۡمَغۡرِبِ وَ مَا بَیۡنَہُمَا ؕ اِنۡ کُنۡتُمۡ تَعۡقِلُوۡنَ ﴿۲۸﴾

28. (موسٰی علیہ السلام نے) کہا: (وہ) مشرق اور مغرب اور اس (ساری کائنات) کا رب ہے جو ان دونوں کے درمیان ہے اگر تم (کچھ) عقل رکھتے ہوo

28. (Musa [Moses]) said: ‘(He) is the Lord of the east and the west, and (the whole universe) between the two if you have (some) sense.’

28. Qala rabbu almashriqi waalmaghribi wama baynahuma in kuntum taAAqiloona

28. Moses sa: «(Han er) Herren over Østen og Vesten og alt det (universet) som mellom dem begge er, hvis dere har forstand.»

28. (मूसा अ़लैहिस्सलाम ने) कहा: (वोह) मश्रिक़ और मग़्रिब और उस (सारी काइनात) का रब है जो उन दोनों के दर्मियान है अगर तुम (कुछ) अ़क़्ल रखते हो।

২৮. (মূসা আলাইহিস সালাম) বললেন, ‘(তিনি) পূর্ব ও পশ্চিমের এবং এ দু’য়ের মাঝে যা কিছু (বিশ্বজগৎ) বিদ্যমান এর প্রতিপালক যদি তোমরা (কিছুটা) বুঝতে’।

(الشُّعَرَآء، 26 : 28)
قَالَ لَئِنِ اتَّخَذۡتَ اِلٰـہًا غَیۡرِیۡ لَاَجۡعَلَنَّکَ مِنَ الۡمَسۡجُوۡنِیۡنَ ﴿۲۹﴾

29. (فرعون نے) کہا: (اے موسٰی!) اگر تم نے میرے سوا کسی اور کو معبود بنایا تو میں تم کو ضرور (گرفتار کر کے) قیدیوں میں شامل کر دوں گاo

29. (Pharaoh) said: ‘(O Musa [Moses,]) if you take a god other than me, I will certainly (arrest and) put you amongst the prisoners.’

29. Qala laini ittakhathta ilahan ghayree laajAAalannaka mina almasjooneena

29. Farao sa: «(Å, du Moses!) Hvis du tar noen andre som tilbedelsesverdig unntatt meg, vil jeg visselig (arrestere deg og) gjøre deg til en av fangene.»

29. (फिरऔन ने) कहा: (ऐ मूसा!) अगर तुमने मेरे सिवा किसी और को माबूद बनाया तो मैं तुम को ज़रूर (गिरफ्तार करके) कै़दियों में शामिल कर दूंगा।

২৯. (ফেরাউন) বললো, ‘(হে মূসা!) তুমি যদি আমাকে ব্যতীত অন্য কাউকে উপাস্য রূপে গ্রহণ করো তবে আমি তোমাকে অবশ্যই (গ্রেফতার করে) বন্দীদের অন্তর্ভুক্ত করবো।’

(الشُّعَرَآء، 26 : 29)
قَالُوۡۤا اَرۡجِہۡ وَ اَخَاہُ وَ ابۡعَثۡ فِی الۡمَدَآئِنِ حٰشِرِیۡنَ ﴿ۙ۳۶﴾

36. وہ بولے کہ تو اسے اور اس کے بھائی (ہارون کے حکمِ سزا سنانے) کو مؤخر کر دے اور (تمام) شہروں میں (جادوگروں کو بلانے کے لئے) ہرکارے بھیج دےo

36. They said: ‘Put off (the announcement of sentence for) him and his brother (Harun [Aaron]) and send callers to (all) the cities (to summon the sorcerers).

36. Qaloo arjih waakhahu waibAAath fee almadaini hashireena

36. De sa: «Utsett (å kunngjøre straffedommen) hans og broren hans (Arons), og send herolder (for å samle inn magikere) i alle byene,

36. वोह बोले कि तू उसे और उसके भाई (हारून के हुक्मे सज़ा सुनाने) को मोअख़्ख़र कर दे और (तमाम) शहरों में (जादूगरों को बुलाने के लिए) हरकारे भेज दे।

৩৬. তারা বললো, ‘তাঁকে এবং তাঁর ভ্রাতাকে (শাস্তির বিধান শুনানো থেকে) কিঞ্চিৎ অবকাশ দাও। আর (সমস্ত) শহরে (যাদুকরদের খোঁজে) সংগ্রাহকদের পাঠাও।

(الشُّعَرَآء، 26 : 36)
فَلَمَّا جَآءَ السَّحَرَۃُ قَالُوۡا لِفِرۡعَوۡنَ اَئِنَّ لَنَا لَاَجۡرًا اِنۡ کُنَّا نَحۡنُ الۡغٰلِبِیۡنَ ﴿۴۱﴾

41. پھر جب وہ جادوگر آگئے (تو) انہوں نے فرعون سے کہا: کیا ہمارے لئے کوئی اُجرت (بھی مقرر) ہے اگر ہم (مقابلہ میں) غالب ہو جائیںo

41. Then when the sorcerers arrived, they said to Pharaoh: ‘Is there (also) any reward (fixed) for us if we gain the upper hand (in the contest)?’

41. Falamma jaa alssaharatu qaloo lifirAAawna ainna lana laajran in kunna nahnu alghalibeena

41. Da magikerne kom, sa de til farao: «Er det (avgjort) noen belønning for oss hvis vi blir seierherrene (i konkurransen)?»

41. फिर जब वोह जादूगर आ गए (तो) उन्होंने फिरऔन से कहा: क्या हमारे लिए कोई उजरत (भी मुक़र्रर) है अगर हम (मुक़ाबले में) ग़ालिब हो जाएं।

৪১. অতঃপর যাদুকরেরা এসে ফেরাউনকে বললো, ‘আমাদের জন্যে (নির্ধারিত) কোনো পুরস্কার আছে কি যদি আমরা (প্রতিযোগিতায়) বিজয়ী হই?’

(الشُّعَرَآء، 26 : 41)
فَاَلۡقٰی مُوۡسٰی عَصَاہُ فَاِذَا ہِیَ تَلۡقَفُ مَا یَاۡفِکُوۡنَ ﴿ۚۖ۴۵﴾

45. پھر موسٰی (علیہ السلام) نے اپنا ڈنڈا ڈال دیا تو وہ (اژدھا بن کر) فوراً ان چیزوں کو نگلنے لگا جو انہوں نے فریب کاری سے (اپنی اصل حقیقت سے) پھیر رکھی تھیںo

45. Then Musa (Moses) cast down his staff which, (changing into a serpent,) began swallowing up those things which they had made look different (from reality) through trickery.

45. Faalqa moosa AAasahu faitha hiya talqafu ma yafikoona

45. Så la Moses ned staven sin, (den ble til en slange), og med det samme begynte den å sluke det de hadde fått til å se annerledes ut (fra sin virkelighet) ved bedrag.

45. फिर मूसा (अ़लैहिस्सलाम) ने अपना डंडा डाल दिया तो वोह (अज़्दहा बनकर) फौरन उन चीज़ों को निगलने लगा जो उन्हों ने फरेबकारी से (अपनी अस्ल हक़ीक़त से) फेर रखी थीं।

৪৫. অতঃপর মূসা (আলাইহিস সালাম) তাঁর লাঠি নিক্ষেপ করলেন। সহসা তা (অজগরে পরিণত হয়ে) সেগুলোকে গিলে ফেলতে লাগলো যেগুলোকে তারা চাতুরীর মাধ্যমে (প্রকৃত অবস্থা হতে) পরিবর্তন করেছিল।

(الشُّعَرَآء، 26 : 45)
قَالَ اٰمَنۡتُمۡ لَہٗ قَبۡلَ اَنۡ اٰذَنَ لَکُمۡ ۚ اِنَّہٗ لَکَبِیۡرُکُمُ الَّذِیۡ عَلَّمَکُمُ السِّحۡرَ ۚ فَلَسَوۡفَ تَعۡلَمُوۡنَ ۬ؕ لَاُقَطِّعَنَّ اَیۡدِیَکُمۡ وَ اَرۡجُلَکُمۡ مِّنۡ خِلَافٍ وَّ لَاُوصَلِّبَنَّکُمۡ اَجۡمَعِیۡنَ ﴿ۚ۴۹﴾

49. (فرعون نے) کہا: تم اس پر ایمان لے آئے ہو قبل اس کے کہ میں تمہیں اجازت دیتا، بیشک یہ (موسٰی علیہ السلام) ہی تمہارا بڑا (استاد) ہے جس نے تمہیں جادو سکھایا ہے، تم جلد ہی (اپنا انجام) معلوم کر لو گے، میں ضرور ہی تمہارے ہاتھ اور تمہارے پاؤں الٹی طرف سے کاٹ ڈالوں گا اور تم سب کو یقیناً سولی پر چڑھا دوں گاo

49. (Pharaoh) said: ‘You have believed in Him before I granted you permission. Surely, it is he (Musa [Moses]) who is your chief (coach) and who has taught you magic. You will soon come to know (your end). I will definitely cut off your hands and your feet on opposite sides and will surely crucify you all.’

49. Qala amantum lahu qabla an athana lakum innahu lakabeerukumu allathee AAallamakumu alssihra falasawfa taAAlamoona laoqattiAAanna aydiyakum waarjulakum min khilafin walaosallibannakum ajmaAAeena

49. Farao sa: «Dere har antatt troen på ham før jeg har tillatt dere det! Sannelig, han (Moses) er deres store (læremester), som har lært dere magiens kunst! Snart skal dere få vite (deres ende). Jeg skal visselig kappe av hendene og føttene deres i kryss og visselig korsfeste dere alle sammen.»

49. (फिरऔन ने) कहा: तुम उस पर ईमान ले आए हो क़ब्ल इसके कि मैं तुम्हें इजाज़त देता, बेशक ये (मूसा अ़लैहिस्सलाम) ही तुम्हारा बड़ा (उस्ताद) है जिसने तुम्हें जादू सिखाया है, तुम जल्द ही (अपना अंजाम) मालूम कर लोगे मैं ज़रूर ही तुम्हारे हाथ और तुम्हारे पांव उल्टी तरफ से काट डालूंगा और तुम सब को यक़ीनन सूली पर चढ़ा दूंगा।

৪৯. (ফেরাউন) বললো, ‘তোমরা এঁর উপর ঈমান এনেছো আমি তোমাদেরকে অনুমতি দেওয়ার আগেই! নিশ্চিত সে (মূসা আলাইহিস সালাম) তোমাদের প্রধান (উস্তাদ), সেই তোমাদেরকে যাদু শিক্ষা দিয়েছে। তোমরা অতি শীঘ্রই (নিজের পরিণতি) জানতে পারবে। আমি অবশ্যই তোমাদের হাত এবং তোমাদের পা বিপরীত দিক থেকে কেটে ফেলবো এবং তোমাদের সবাইকে শুলে চড়াবো।’

(الشُّعَرَآء، 26 : 49)
وَ اَوۡحَیۡنَاۤ اِلٰی مُوۡسٰۤی اَنۡ اَسۡرِ بِعِبَادِیۡۤ اِنَّکُمۡ مُّتَّبَعُوۡنَ ﴿۵۲﴾

52. اور ہم نے موسٰی (علیہ السلام) کی طرف وحی بھیجی کہ تم میرے بندوں کو راتوں رات (یہاں سے) لے جاؤ بیشک تمہارا تعاقب کیا جائے گاo

52. And We revealed to Musa (Moses): ‘Take away My servants (from here) by night; you will certainly be chased.’

52. Waawhayna ila moosa an asri biAAibadee innakum muttabaAAoona

52. Og Vi åpenbarte for Moses: «Kom deg av gårde (herfra) med Mine tjenere i nattens stund. Sannelig, dere vil bli forfulgt.»

52. और हमने मूसा (अ़लैहिस्सलाम) की तरफ वही भेजी कि तुम मेरे बन्दों को रातों रात (यहां से) ले जाओ बेशक तुम्हारा तआक़ुब किया जाएगा।

৫২. আর আমরা মূসা (আলাইহিস সালাম)-এঁর নিকট প্রত্যাদেশ করেছিলাম, ‘তুমি আমার বান্দাদের নিয়ে রজনীতে (এখান থেকে) বের হয়ে যাও। তোমাদেরকে অবশ্যই পশ্চাদ্ধাবন করা হবে।’

(الشُّعَرَآء، 26 : 52)
فَاَوۡحَیۡنَاۤ اِلٰی مُوۡسٰۤی اَنِ اضۡرِبۡ بِّعَصَاکَ الۡبَحۡرَ ؕ فَانۡفَلَقَ فَکَانَ کُلُّ فِرۡقٍ کَالطَّوۡدِ الۡعَظِیۡمِ ﴿ۚ۶۳﴾

63. پھر ہم نے موسٰی (علیہ السلام) کی طرف وحی بھیجی کہ اپنا عصا دریا پر مارو، پس دریا (بارہ حصوں میں) پھٹ گیا اور ہر ٹکڑا زبردست پہاڑ کی مانند ہو گیاo

63. Then We revealed to Musa (Moses): ‘Strike the sea with your staff.’ So the sea split (into twelve parts) and each part became like a huge mountain.

63. Faawhayna ila moosa ani idrib biAAasaka albahra fainfalaqa fakana kullu firqin kaalttawdi alAAatheemi

63. Så åpenbarte Vi for Moses: «Slå havet med staven din!», og havet ble splittet (i tolv deler), og hver del var som et enormt fjell.

63. फिर हमने मूसा (अ़लैहिस्सलाम) की तरफ वही भेजी कि अपना अ़सा दरिया पर मारो, पस दरिया (बारह हिस्सों में) फट गया और हर टुकड़ा ज़बर्दस्त पहाड़ की मानिन्द हो गया।

৬৩. অতঃপর আমি মূসা (আলাইহিস সালাম)-এঁর প্রতি প্রত্যাদেশ করলাম, ‘তোমার লাঠি দ্বারা সমুদ্রে আঘাত করো’। ফলে সমুদ্র (বারোটি অংশে) বিভক্ত হয়ে গেল এবং প্রত্যেক অংশ বিশাল পর্বতসদৃশ হয়ে গেল।

(الشُّعَرَآء، 26 : 63)
اِذۡ قَالَ لِاَبِیۡہِ وَ قَوۡمِہٖ مَا تَعۡبُدُوۡنَ ﴿۷۰﴾

70. جب انہوں نے اپنے باپ ٭ اور اپنی قوم سے فرمایا: تم کس چیز کو پوجتے ہوo

٭ (یہ حقیقی باپ نہ تھا، چچا تھا۔ اسی نے حضرت ابراہیم علیہ السلام کی پرورش کی تھی جس کی وجہ سے اسے باپ کہا کرتے تھے۔ اس کا نام آزر ہے جبکہ آپ کے حقیقی والد کا نام تارخ ہے۔)

70. When he said to his father* and his people: ‘What do you worship?’

* It was his uncle and not his real father who brought him up. In view of that he used to call him father. His name was Azar, whereas his real father’s name was Tarakh.

70. Ith qala liabeehi waqawmihi ma taAAbudoona

70. Den gang han sa til sin far* og sitt folk: «Hva er det dere tilber?»,

* Mannen som er nevnt som far i dette verset, var ikke profeten Abrahams عليه السلام biologiske far. Han oppdro profeten Abraham عليه السلام, derfor kalte denne عليه السلام ham for far. Denne mannen het Azar, mens profeten Abrahams عليه السلام biologiske far het Tarah.

70. जब उन्होंने अपने बाप * और अपनी क़ौम से फरमाया: तुम किस चीज़ को पूजते हो।

* (ये हक़ीक़ी बाप न था। चचा था उसी ने हज़रत इब्राहीम अ़लैहिस्सलाम की परवरिश की थी जिसकी वजह से उसे बाप कहा करते थे। उसका नाम आज़र है जबकि आपके हक़ीक़ी वालिद का नाम तारिख़ है) ।

৭০. যখন তিনি তাঁর বাবা* এবং নিজ সম্প্রদায়কে বললেন, ‘তোমরা কিসের পূজা করো?’

* তিনি প্রকৃত বাবা ছিলেন না, তিনি ছিলেন চাচা। ইনিই হযরত ইবরাহীম আলাইহিস সালামকে লালন পালন করেছিলেন, যার কারণে তাকে বাবা বলে ডাকতেন। তার নাম আযর। ইবরাহীম আলাইহিস সালামের প্রকৃত বাবার নাম তারাখ।

(الشُّعَرَآء، 26 : 70)
فَکَذَّبُوۡہُ فَاَہۡلَکۡنٰہُمۡ ؕ اِنَّ فِیۡ ذٰلِکَ لَاٰیَۃً ؕ وَ مَا کَانَ اَکۡثَرُہُمۡ مُّؤۡمِنِیۡنَ ﴿۱۳۹﴾

139. سو انہوں نے اس کو (یعنی ھود علیہ السلام کو) جھٹلا دیا پس ہم نے انہیں ہلاک کر ڈالا، بیشک اس (قصہ) میں (قدرتِ الٰہیہ کی) بڑی نشانی ہے، اور ان میں سے اکثر لوگ مومن نہ تھےo

139. So they rejected him (Hud) and We destroyed them. Surely, in this (incident), there is a great sign (of Allah’s Infinite Power) and most of them were not the believers.

139. Fakaththaboohu faahlaknahum inna fee thalika laayatan wama kana aktharuhum mumineena

139. De forsverget ham (Eber), så Vi tilintetgjorde dem. Sannelig, i denne (hendelsen) er det et stort tegn (på Allahs allmakt), og de fleste av dem var ikke troende.

139. सो उन्होंने उसको (यानी हूद अ़लैहिस्सलाम को) झुटला दिया पस हमने उन्हें हलाक कर डाला, बेशक इस (क़िस्से) में (क़ुदरते इलाहिय्या की) बड़ी निशानी है, और उनमें से अक्सर लोग मोमिन न थे।

১৩৯. সুতরাং তারা তাঁকে (অর্থাৎ হুদ আলাইহিস সালামকে) মিথ্যাপ্রতিপন্ন করলো। ফলে আমরা তাদেরকে ধ্বংস করে দিলাম। অবশ্যই এতে (এ ঘটনায় আল্লাহ্‌র ক্ষমতার) মহান নিদর্শন রয়েছে। আর তাদের অধিকাংশই মু’মিন ছিল না।

(الشُّعَرَآء، 26 : 139)
وَ مَاۤ اَسۡـَٔلُکُمۡ عَلَیۡہِ مِنۡ اَجۡرٍ ۚ اِنۡ اَجۡرِیَ اِلَّا عَلٰی رَبِّ الۡعٰلَمِیۡنَ ﴿۱۴۵﴾ؕ

145. اور میں تم سے اس (تبلیغِ حق) پر کچھ معاوضہ طلب نہیں کرتا، میرا اجر تو صرف سارے جہانوں کے پروردگار کے ذمہ ہےo

145. And I do not demand of you any wages for this (preaching of the truth). My reward is only with the Lord of all the worlds.

145. Wama asalukum AAalayhi min ajrin in ajriya illa AAala rabbi alAAalameena

145. Og jeg ber dere ikke om noen lønn for dette (forkynnelsen av sannheten), lønnen min er kun alle verdeners Herres ansvar.

145. और मैं तुमसे इस (तब्लीगे़ हक़्क़) पर कुछ मुआवज़ा तलब नहीं करता, मेरा अज्र तो सिर्फ़ सारे जहानों के परवरदिगार के ज़िम्मे है।

১৪৫. আর আমি তোমাদের নিকট এ (সত্য প্রচারের) জন্যে কোনো প্রতিদান চাই না। আমার প্রতিদান তো (কেবল) বিশ্ব জাহানের প্রতিপালকের নিকটেই রয়েছে।

(الشُّعَرَآء، 26 : 145)
قَالَ ہٰذِہٖ نَاقَۃٌ لَّہَا شِرۡبٌ وَّ لَکُمۡ شِرۡبُ یَوۡمٍ مَّعۡلُوۡمٍ ﴿۱۵۵﴾ۚ

155. (صالح علیہ السلام نے) فرمایا: (وہ نشانی) یہ اونٹنی ہے پانی کا ایک وقت اس کے لئے (مقرر) ہے اور ایک مقررہ دن تمہارے پانی کی باری ہےo

155. (Salih) said: ‘(That sign) is this she-camel. A time for water is (appointed) for her, and on an appointed day is your turn for water.

155. Qala hathihi naqatun laha shirbun walakum shirbu yawmin maAAloomin

155. ßālih sa: «(Det tegnet er) denne kamelhoppen, en tid for å drikke vann er (fastsatt) for henne, og en fastsatt dag er det deres tur til å drikke vann.

155. (सालेह अ़लैहिस्सलाम ने) फरमाया: (वोह निशानी) ये ऊंटनी है पानी का एक वक़्त उसके लिए (मुक़र्रर) है और एक मुक़र्ररा दिन तुम्हारे पानी की बारी है।

১৫৫. (সালেহ আলাইহিস সালাম) বললেন, ‘(সে নিদর্শন) এ যে উষ্ট্রী, এর জন্যে পানি পানের একটি সময় (নির্ধারিত) আর একটি সুনির্দিষ্ট দিন তোমাদের পানের জন্যে।

(الشُّعَرَآء، 26 : 155)
وَ تَذَرُوۡنَ مَا خَلَقَ لَکُمۡ رَبُّکُمۡ مِّنۡ اَزۡوَاجِکُمۡ ؕ بَلۡ اَنۡتُمۡ قَوۡمٌ عٰدُوۡنَ ﴿۱۶۶﴾

166. اور اپنی بیویوں کو چھوڑ دیتے ہو جو تمہارے رب نے تمہارے لئے پیدا کی ہیں، بلکہ تم (سرکشی میں) حد سے نکل جانے والے لوگ ہوo

166. And you leave your wives your Lord has created for you? You are rather of those who exceed bounds (in transgression).’

166. Watatharoona ma khalaqa lakum rabbukum min azwajikum bal antum qawmun AAadoona

166. og forlater deres hustruer, som Herren deres har skapt for dere? Faktisk er dere et folk som overskrider grensen (i oppsetsighet).»

166. और अपनी बीवियों को छोड़ देते हो जो तुम्हारे रब ने तुम्हारे लिए पैदा की हैं, बल्कि तुम (सर्कशी में) हद से निकल जाने वाले लोग हो।

১৬৬. আর বর্জন করো তোমাদের স্ত্রীদেরকে যাদেরকে তোমাদের প্রতিপালক তোমাদের জন্যে সৃষ্টি করেছেন? তোমরা তো বরং (অবাধ্যতায়) সীমা অতিক্রমকারী সম্প্রদায়। ’

(الشُّعَرَآء، 26 : 166)
وَ لَا تَبۡخَسُوا النَّاسَ اَشۡیَآءَہُمۡ وَ لَا تَعۡثَوۡا فِی الۡاَرۡضِ مُفۡسِدِیۡنَ ﴿۱۸۳﴾ۚ

183. اور لوگوں کو ان کی چیزیں کم (تول کے ساتھ) مت دیا کرو اور ملک میں (ایسی اخلاقی، مالی اور سماجی خیانتوں کے ذریعے) فساد انگیزی مت کرتے پھروo

183. And do not give to the people their things (weighing) less than what is due, nor provoke strife in the land (by such moral, economic and social corruption and fraud).

183. Wala tabkhasoo alnnasa ashyaahum wala taAAthaw fee alardi mufsideena

183. Og kort ikke av på folks ting når dere gir dem det, og vandre ei heller rundt i landet for å anstifte ufred (ved brudd på høy moral, korrupsjon og sosialt bedrag).

183. और लोगों को उनकी चीजें कम (तौल के साथ) मत दिया करो और मुल्क में (ऐसी अख़्लाक़ी, माली और समाजी ख़यानतों के ज़रीए) फसाद अंगेज़ी मत करते फिरो।

১৮৩. আর লোকদেরকে তাদের প্রাপ্যবস্তু (ওজনে) কম দিও না এবং (এরকম নৈতিক, অর্থনৈতিক এবং সামাজিক অবক্ষয়ের মাধ্যমে) পৃথিবীতে বিপর্যয় সৃষ্টি করো না।

(الشُّعَرَآء، 26 : 183)
فَکَذَّبُوۡہُ فَاَخَذَہُمۡ عَذَابُ یَوۡمِ الظُّلَّۃِ ؕ اِنَّہٗ کَانَ عَذَابَ یَوۡمٍ عَظِیۡمٍ ﴿۱۸۹﴾

189. سو انہوں نے شعیب (علیہ السلام) کو جھٹلا دیا پس انہیں سائبان کے دن کے عذاب نے آپکڑا، بیشک وہ زبردست دن کا عذاب تھاo

189. So they rejected Shu‘ayb, and the torment of the Day of Shadow seized them. No doubt, that was the torment of a terrible day.

189. Fakaththaboohu faakhathahum AAathabu yawmi alththullati innahu kana AAathaba yawmin AAatheemin

189. De forsverget Jetro, og så ble de tatt av skyggens dags pine. Sannelig, det var en mektig dags pine.

189. सो उन्होंने शुऐब (अ़लैहिस्सलाम) को झुटला दिया पस उन्हें साइबान के दिन के अ़ज़ाब ने आ पकड़ा, बेशक वोह ज़बर्दस्त दिन का अ़ज़ाब था।

১৮৯. সুতরাং তারা শুয়াইব (আলাইহিস সালাম)-কে মিথ্যাপ্রতিপন্ন করলো। অতঃপর তাদেরকে আচ্ছন্নতার দিনের শাস্তি এসে গ্রাস করলো। নিশ্চয়ই তা ছিল এক ভয়ঙ্কর দিবসের শাস্তি।

(الشُّعَرَآء، 26 : 189)
اَوَ لَمۡ یَکُنۡ لَّہُمۡ اٰیَۃً اَنۡ یَّعۡلَمَہٗ عُلَمٰٓؤُا بَنِیۡۤ اِسۡرَآءِیۡلَ ﴿۱۹۷﴾ؕ

197. اور کیا ان کے لئے (صداقتِ قرآن اور صداقتِ نبوتِ محمدی صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم کی) یہ دلیل (کافی) نہیں ہے کہ اسے بنی اسرائیل کے علماء (بھی) جانتے ہیںo

197. And is it not for them a (sufficient) proof (of the truth of the Qur’an and the truth of Muhammad’s Prophethood [blessings and peace be upon him]) that the learned scholars of the Children of Israel (also) recognize it?

197. Awalam yakun lahum ayatan an yaAAlamahu AAulamao banee israeela

197. Og er ikke det bevis (nok) for dem (på Koranens sannhet og Profeten Mohammads ﷺ profetskaps sannhet) at Israels barns skriftlærde også kjenner til den?

197. और क्या उन के लिए (सदाक़ते क़ुरआन और सदाक़ते नुबुव्वते मुहम्मदी सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम की) ये दलील (काफी) नहीं है कि उसे बनी इस्राईल के उलमा (भी) जानते हैं।

১৯৭. আর তাদের জন্যে কি (কুরআনে পাক এবং মুহাম্মদ সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়া আলিহী ওয়াসাল্লাম -এঁর নবুয়্যতের সত্যতার) এ দলিল (যথেষ্ট) নয় যে, একে বনী ইসরাঈলের আলেমগণ(ও) স্বীকৃতি দেন?

(الشُّعَرَآء، 26 : 197)
اَلَمۡ تَرَ اَنَّہُمۡ فِیۡ کُلِّ وَادٍ یَّہِیۡمُوۡنَ ﴿۲۲۵﴾ۙ

225. کیا تو نے نہیں دیکھا کہ وہ (شعراء) ہر وادئ (خیال) میں (یونہی) سرگرداں پھرتے رہتے ہیں (انہیں حق میں سچی دلچسپی اور سنجیدگی نہیں ہوتی بلکہ فقط لفظی و فکری جولانیوں میں مست اور خوش رہتے ہیں)o

225. Have you not seen that these (poets) wander distracted (purposelessly) in every valley (of reflections? They take little serious and true interest in reality. They rather remain happy and lost in verbal leaps and imaginative jumps).

225. Alam tara annahum fee kulli wadin yaheemoona

225. Har du ikke sett at de (poetene) vandrer rundt rådløse i enhver dal (av tanker, de interesserer seg ikke for sannheten, og heller ikke tar de den alvorlig, de fornøyer seg heller med å være fordrukne i ords og tankers oppfinnsomhet),

225. क्या तुमने नहीं देखा के वोह (शोअ़रा) हर वादिए (ख़याल) में (यूं ही) सरगरदां फिरते रहते हैं (उन्हें हक़्क़ में सच्ची दिलचस्पी और संजीदगी नहीं होती बल्कि फक़त लफ्ज़ी-व-फिक्री जौलानियों में मस्त और ख़ुश रहते हैं) ।

২২৫. আর আপনি কি দেখেননি, এরা (এ কবিরা) সকল (খেয়ালী) উপত্যকায় (উদ্দেশ্যহীন) হতাশায় ঘুরে বেড়ায়? (সত্যিকারার্থে তাদের চিত্তাকর্ষণ ও গাম্ভীর্য নেই বরং তারা শাব্দিক ও কাল্পনিক উদ্যমতায় মত্ত ও উল্লসিত থাকে।)

(الشُّعَرَآء، 26 : 225)
اِلَّا الَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡا وَ عَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَ ذَکَرُوا اللّٰہَ کَثِیۡرًا وَّ انۡتَصَرُوۡا مِنۡۢ بَعۡدِ مَا ظُلِمُوۡا ؕ وَ سَیَعۡلَمُ الَّذِیۡنَ ظَلَمُوۡۤا اَیَّ مُنۡقَلَبٍ یَّنۡقَلِبُوۡنَ ﴿۲۲۷﴾٪

227. سوائے ان (شعراء) کے جو ایمان لائے اور نیک عمل کرتے رہے اور اللہ کو کثرت سے یاد کرتے رہے (یعنی اللہ اور رسول صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم کے مدح خواں بن گئے) اور اپنے اوپر ظلم ہونے کے بعد (ظالموں سے بزبانِ شعر) انتقام لیا (اور اپنے کلام کے ذریعے اسلام اور مظلوموں کا دفاع کیا بلکہ ان کاجوش بڑھایا تو یہ شاعری مذموم نہیں)، اور وہ لوگ جنہوں نے ظلم کیا عنقریب جان لیں گے کہ وہ (مرنے کے بعد) کونسی پلٹنے کی جگہ پلٹ کر جاتے ہیںo

227. Except for those (poets) who believe and do pious deeds persistently and remember Allah abundantly (i.e., they eulogize Allah and the Holy Prophet [blessings and peace be upon him] in their poetry), and avenge themselves after they are wronged (by means of poetic compositions, and defend Islam and the oppressed rather inspire them with zeal through their poetry. This type of poetry is not condemnable.) And those who do wrong will soon come to know to what place of turning they will turn back (after death).

227. Illa allatheena amanoo waAAamiloo alssalihati wathakaroo Allaha katheeran waintasaroo min baAAdi ma thulimoo wasayaAAlamu allatheena thalamoo ayya munqalabin yanqaliboona

227. Unntatt de (poetene) som antar troen og handler rettskaffent og kommer Allah i hu rikelig (at de blir Allahs og Sendebudets ﷺ lovprisere), og som hevner seg etter at det er gjort dem noe ondt (med diktningen sin, og forsvarer islam og de undertrykte med sin poesi, eller faktisk oppildner dem, slik poesi er ikke klanderverdig). Og de som har vært ondsinnede, vil snart få vite hvilket sted de vil bli brakt tilbake til (etter døden).

227. सिवाए उन (शोअ़रा) के जो ईमान लाए और नेक अ़मल करते रहे और अल्लाह को कसरत से याद करते रहे (यानी अल्लाह और रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम के मदह ख़्वां बन गए) और अपने ऊपर ज़ुल्म होने के बाद (ज़ालिमों से बजु़बाने शे’र) इन्तेकाम लिया (और अपने कलाम के ज़रीए इस्लाम और मज़्लूमों का दिफा किया बल्कि उनका जौश बढ़ाया तो ये शाइरी मज़मूम नहीं), और वोह लोग जिन्होंने ज़ुल्म किया अ़न क़रीब जान लेंगे कि वोह (मरने के बाद) कौन सी पलटने की जगह पलट कर जाते हैं।

২২৭. সেসব (কবিরা) ব্যতীত যারা ঈমান আনে, নেক আমল করে, আল্লাহ্কে অধিক পরিমাণে স্মরণ করে (অর্থাৎ আল্লাহ্ এবং রাসূল সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়া আলিহী ওয়াসাল্লাম-এঁর প্রশংসাকারীতে পরিণত হয়) এবং নিজেরা অত্যাচারিত হওয়ার পর (অত্যাচারীদের প্রতি কবিতার ভাষায়) প্রতিশোধ গ্রহণ করে। (আর নিজের বক্তব্যের মাধ্যমে ইসলাম এবং অত্যাচারিতদের প্রতিহত করে বরং তাদের উদ্যম বাড়িয়ে দেয়। এ ধরণের কাব্যচর্চা নিন্দনীয় নয়।) আর অত্যাচারীরা শীঘ্রই জানতে পারবে (মৃত্যুর পর) তারা কোন্ প্রত্যাবর্তনের স্থলে প্রত্যাবর্তন করছে।

(الشُّعَرَآء، 26 : 227)