Surah ash-Shura with Urdu Translation

Irfan-ul-Quran
  • 25پارہ نمبر
  • 53آيات
  • 5رکوع
  • 62ترتيب نزولي
  • 42ترتيب تلاوت
  • مکیسورہ
or

اللہ کے نام سے شروع جو نہایت مہربان ہمیشہ رحم فرمانے والا ہے

In the Name of Allah, the Most Compassionate, the Ever-Merciful

کَذٰلِکَ یُوۡحِیۡۤ اِلَیۡکَ وَ اِلَی الَّذِیۡنَ مِنۡ قَبۡلِکَ ۙ اللّٰہُ الۡعَزِیۡزُ الۡحَکِیۡمُ ﴿۳﴾

3. اسی طرح آپ کی طرف اور اُن (رسولوں) کی طرف جو آپ سے پہلے ہوئے ہیں اللہ وحی بھیجتا رہا ہے جو غالب ہے بڑی حکمت والا ہےo

3. In like manner has Allah, Almighty, All-Wise, been sending His Revelations to you and to those (Messengers) who have passed before you.

3. Kathalika yoohee ilayka waila allatheena min qablika Allahu alAAazeezu alhakeemu

3. Slik er det blitt gitt åpenbaringer til deg, og til de (sendebudene) som var før deg, av Allah, den Allmektige, den mest Vise.

3. इसी तरह आपकी तरफ और उन (रसूलों) की तरफ जो आपसे पहले हुए हैं अल्लाह वही भेजता रहा है जो ग़ालिब है बड़ी हिक्मत वाला है।

৩. এভাবেই আপনার প্রতি এবং আপনার পূর্ববর্তীদের (অর্থাৎ পূর্ববর্তী রাসূলগণের) প্রতি প্রত্যাদেশ করেন আল্লাহ্ যিনি পরাক্রমশালী, প্রজ্ঞাবান।

(الشُّوْرٰی، 42 : 3)
تَکَادُ السَّمٰوٰتُ یَتَفَطَّرۡنَ مِنۡ فَوۡقِہِنَّ وَ الۡمَلٰٓئِکَۃُ یُسَبِّحُوۡنَ بِحَمۡدِ رَبِّہِمۡ وَ یَسۡتَغۡفِرُوۡنَ لِمَنۡ فِی الۡاَرۡضِ ؕ اَلَاۤ اِنَّ اللّٰہَ ہُوَ الۡغَفُوۡرُ الرَّحِیۡمُ ﴿۵﴾

5. قریب ہے آسمانی کرّے اپنے اوپر کی جانب سے پھٹ پڑیں اور فرشتے اپنے رب کی حمد کے ساتھ تسبیح کرتے رہتے ہیں اور اُن لوگوں کے لئے جو زمین میں ہیں بخشش طلب کرتے رہتے ہیں۔ یاد رکھو! اللہ ہی بڑا بخشنے والا بہت رحم فرمانے والا ہےo

5. The heavenly spheres are nearly rent asunder from above them. And the angels keep glorifying their Lord with His praise, and begging for forgiveness for those on the earth. Remember! Allah alone is Most Forgiving, Ever-Merciful.

5. Takadu alssamawatu yatafattarna min fawqihinna waalmalaikatu yusabbihoona bihamdi rabbihim wayastaghfiroona liman fee alardi ala inna Allaha huwa alghafooru alrraheemu

5. Det er like før himmelsfærene revner ovenfra! Englene forherliger sin Herres hellighet med lovprisning, og de ber om tilgivelse for dem som er på jorden. Husk! Allah er den mest Tilgivende, den evig Nåderike.

5. क़रीब है आस्मानी कुर्रे अपने ऊपर की जानिब से फट पड़ें और फरिश्ते अपने रब की हम्द के साथ तस्बीह करते रहते हैं और उन लोगों के लिए जो ज़मीन में हैं बख़्शिश तलब करते रहते हैं। याद रखो, अल्लाह ही बड़ा बख़्शने वाला बहुत रहम फरमाने वाला है।

৫. আকাশমন্ডলী তাদের উর্ধ্বদেশ থেকে ফেটে পড়ার উপক্রম হয় এবং ফেরেশতারা তাদের প্রতিপালকের সপ্রশংস পবিত্রতা ও মহিমা ঘোষণা করতে থাকে, আর যারা পৃথিবীতে রয়েছে তাদের জন্যে ক্ষমাপ্রার্থনা করতে থাকে। মনে রেখো! আল্লাহ্ই মহাক্ষমাশীল, অসীম দয়ালু।

(الشُّوْرٰی، 42 : 5)
وَ الَّذِیۡنَ اتَّخَذُوۡا مِنۡ دُوۡنِہٖۤ اَوۡلِیَآءَ اللّٰہُ حَفِیۡظٌ عَلَیۡہِمۡ ۫ۖ وَ مَاۤ اَنۡتَ عَلَیۡہِمۡ بِوَکِیۡلٍ ﴿۶﴾

6. اور جن لوگوں نے اللہ کو چھوڑ کر بتوں کو دوست و کارساز بنا رکھا ہے اللہ اُن (کے حالات) پر خوب نگہبان ہے اور آپ ان (کافروں) کے ذمّہ دار نہیں ہیںo

6. And those who have taken idols instead of Allah as their protectors and guardians, Allah is Ever-Watchful over their (affairs). And you are not responsible for them (the disbelievers).

6. Waallatheena ittakhathoo min doonihi awliyaa Allahu hafeethun AAalayhim wama anta AAalayhim biwakeelin

6. Og de som holder avgudsstatuene som velyndere istedenfor Allah alene, med dem (deres affærer) holder Allah et vaktsomt øye, og du er ikke ansvarlig for dem (de vantro).

6. और जिन लोगों ने अल्लाह को छोड़कर बुतों को दोस्तो कारसाज़ बना रखा है अल्लाह उन (के हालात) पर ख़ूब निगहबान है और आप उन (काफिरों) के ज़िम्मेदार नहीं हैं।

৬. আর যারা আল্লাহ্‌র পরিবর্তে মূর্তিগুলোকে বন্ধু ও অভিভাবকরূপে গ্রহণ করেছে, আল্লাহ্ তাদের বিষয়ে সদা সচেতন। আর আপনি এদের (এসব কাফেরদের) জন্যে দায়বদ্ধ নন।

(الشُّوْرٰی، 42 : 6)
وَ کَذٰلِکَ اَوۡحَیۡنَاۤ اِلَیۡکَ قُرۡاٰنًا عَرَبِیًّا لِّتُنۡذِرَ اُمَّ الۡقُرٰی وَ مَنۡ حَوۡلَہَا وَ تُنۡذِرَ یَوۡمَ الۡجَمۡعِ لَا رَیۡبَ فِیۡہِ ؕ فَرِیۡقٌ فِی الۡجَنَّۃِ وَ فَرِیۡقٌ فِی السَّعِیۡرِ ﴿۷﴾

7. اور اسی طرح ہم نے آپ کی طرف عربی زبان میں قرآن کی وحی کی تاکہ آپ مکّہ والوں کو اور اُن لوگوں کو جو اِس کے اِردگرد رہتے ہیں ڈر سنا سکیں، اور آپ جمع ہونے کے اُس دن کا خوف دلائیں جس میں کوئی شک نہیں ہے۔ (اُس دن) ایک گروہ جنت میں ہوگا اور دوسرا گروہ دوزخ میں ہوگاo

7. And likewise, We have revealed to you the Holy Qur’an in the Arabic language so that you may warn the residents of Mecca and its suburbs, and that you may warn them of the Day of Assembly about which there is no doubt. (On that Day) one party will be in Paradise and the other in Hell.

7. Wakathalika awhayna ilayka quranan AAarabiyyan litunthira omma alqura waman hawlaha watunthira yawma aljamAAi la rayba feehi fareequn fee aljannati wafareequn fee alssaAAeeri

7. Og slik har Vi åpenbart Koranen for deg på arabisk, for at du skal advare Mekkas folk og dem som bor rundt omkring den. Og advar dem mot den samlingens dag, som det ikke er noen tvil om. Ett parti vil (på den dag) være i paradiset og ett i det flammende helvete.

7. और उसी तरह हमने आपकी तरफ अ़रबी जु़बान में क़ुरआन की वही की ताकि आप मक्का वालों को और उन लोगों को जो इसके इर्द गिर्द रहते हैं डर सुना सकें, और आप जमा होने के उस दिन का ख़ौफ दिलाएं जिसमें कोई शक नहीं है। (उस दिन) एक गिरोह जन्नत में होगा और दूसरा गिरोह दोज़ख़ में होगा।

৭. আর এভাবেই আমরা আপনার প্রতি কুরআন অবতীর্ণ করেছি আরবী ভাষায়, যাতে আপনি সতর্ক করতে পারেন তাদেরকে, যারা মক্কায় এবং এর আশেপাশে রয়েছে। আর আপনি সতর্ক করুন সমবেত হবার দিনের ব্যাপারে, যাতে কোনো সন্দেহ নেই। (সেদিন) একদল থাকবে জান্নাতে এবং আরেকদল থাকবে জাহান্নামে।

(الشُّوْرٰی، 42 : 7)
وَ لَوۡ شَآءَ اللّٰہُ لَجَعَلَہُمۡ اُمَّۃً وَّاحِدَۃً وَّ لٰکِنۡ یُّدۡخِلُ مَنۡ یَّشَآءُ فِیۡ رَحۡمَتِہٖ ؕ وَ الظّٰلِمُوۡنَ مَا لَہُمۡ مِّنۡ وَّلِیٍّ وَّ لَا نَصِیۡرٍ ﴿۸﴾

8. اور اگر اللہ چاہتا تو اُن سب کو ایک ہی امّت بنا دیتا لیکن وہ جسے چاہتا ہے اپنی رحمت میں داخل فرماتا ہے، اور ظالموں کے لئے نہ کوئی دوست ہوگا اور نہ کوئی مددگارo

8. And had Allah so willed, He would have made all of them a single community. But He admits to His mercy whom He likes. And for the wrongdoers there will be no protector or guardian.

8. Walaw shaa Allahu lajaAAalahum ommatan wahidatan walakin yudkhilu man yashao fee rahmatihi waalththalimoona ma lahum min waliyyin wala naseerin

8. Og hvis Allah hadde villet, kunne Han ha gjort dem til ett samfunn, men Han fører den Han vil, i Sin nåde. Og de ondsinnede, for dem vil det ikke være en eneste velynder og ei heller hjelper.

8. और अगर अल्लाह चाहता तो उन सब को एक ही उम्मत बना देता लेकिन वोह जिसे चाहता है अपनी रहमत में दाख़िल फरमाता है, और ज़ालिमों के लिए न कोई दोस्त होगा और न कोई मददगार।

৮. আর আল্লাহ্ ইচ্ছা করলে তাদের সবাইকে একই উম্মত করতে পারতেন। বস্তুত তিনি যাকে ইচ্ছা তাকে স্বীয় রহমতে অন্তর্ভুক্ত করেন। আর অত্যাচারীদের, তাদের না আছে কোনো অভিভাবক, আর না আছে কোনো সাহায্যকারী।

(الشُّوْرٰی، 42 : 8)
اَمِ اتَّخَذُوۡا مِنۡ دُوۡنِہٖۤ اَوۡلِیَآءَ ۚ فَاللّٰہُ ہُوَ الۡوَلِیُّ وَ ہُوَ یُحۡیِ الۡمَوۡتٰی ۫ وَ ہُوَ عَلٰی کُلِّ شَیۡءٍ قَدِیۡرٌ ٪﴿۹﴾

9. کیا انہوں نے اللہ کو چھوڑ کر بتوں کو اولیاء بنا لیا ہے، پس اللہ ہی ولی ہے (اسی کے دوست ہی اولیاء ہیں)، اور وہی مُردوں کو زندہ کرتا ہے اور وہی ہر چیز پر بڑا قادر ہےo

9. Have they taken idols as their guardians instead of Allah? So Allah alone is the Guardian. (And only His friends are Awliya’.) And He alone gives life to the dead, and He alone is Most Powerful over everything.

9. Ami ittakhathoo min doonihi awliyaa faAllahu huwa alwaliyyu wahuwa yuhyee almawta wahuwa AAala kulli shayin qadeerun

9. Holder de avgudsstatuene som sine velyndere istedenfor Allah alene? Det er Allah alene som er Velynderen (og kun Hans hjertevenner er helgener), og det er Han som gir liv til de døde, og Han har fullstendig makt over alle ting.

9. क्या उन्होंने अल्लाह को छोड़कर बुतों को औलिया बना लिया है, पस अल्लाह ही वली है (उसी के दोस्त ही औलिया हैं) और वही मुर्दों को ज़िन्दा करता है और वोही हर चीज़ पर बड़ा क़ादिर है।

৯. তারা কি আল্লাহ্‌র পরিবর্তে মূর্তিগুলোকে অভিভাবকরূপে গ্রহণ করেছে? সুতরাং আল্লাহ্ই অভিভাবক (আর কেবল তাঁর বন্ধুরাই ‘আউলিয়া’)। আর তিনিই মৃতদেরকে জীবিত করেন এবং তিনিই সকল কিছুর উপর সর্বশক্তিমান।

(الشُّوْرٰی، 42 : 9)
وَ مَا اخۡتَلَفۡتُمۡ فِیۡہِ مِنۡ شَیۡءٍ فَحُکۡمُہٗۤ اِلَی اللّٰہِ ؕ ذٰلِکُمُ اللّٰہُ رَبِّیۡ عَلَیۡہِ تَوَکَّلۡتُ ٭ۖ وَ اِلَیۡہِ اُنِیۡبُ ﴿۱۰﴾

10. اور تم جس اَمر میں اختلاف کرتے ہو تو اُس کا فیصلہ اللہ ہی کی طرف (سے) ہوگا، یہی اللہ میرا رب ہے، اسی پر میں نے بھروسہ کیا اور اسی کی طرف میں رجوع کرتا ہوںo

10. And the decision of the matter in which you differ rests only with Allah. That is Allah, my Lord. In Him I put my trust, and to Him alone I turn.

10. Wama ikhtalaftum feehi min shayin fahukmuhu ila Allahi thalikumu Allahu rabbee AAalayhi tawakkaltu wailayhi oneebu

10. Og hvilken sak dere enn er uenige i, så vil dens dom komme fra Allah. Denne Allah er min Herre, til Ham setter jeg min lit, og til Ham alene vender jeg meg.

10.और तुम जिस अम्र में इख़्तिलाफ करते हो तो उसका फैसला अल्लाह ही की तरफ (से) होगा, येही अल्लाह मेरा रब है उसी पर मैंने भरोसा किया और उसी की तरफ में रुजूअ़ करता हूं।

১০. ‘আর তোমরা যে বিষয়ে মতবিরোধ করো, এর মীমাংসা তো আল্লাহ্‌রই নিকট। তিনিই আল্লাহ্, আমার প্রতিপালক, তাঁরই প্রতি আমি ভরসা করি এবং আমি তাঁরই অভিমুখী।’

(الشُّوْرٰی، 42 : 10)
فَاطِرُ السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضِ ؕ جَعَلَ لَکُمۡ مِّنۡ اَنۡفُسِکُمۡ اَزۡوَاجًا وَّ مِنَ الۡاَنۡعَامِ اَزۡوَاجًا ۚ یَذۡرَؤُکُمۡ فِیۡہِ ؕ لَیۡسَ کَمِثۡلِہٖ شَیۡءٌ ۚ وَ ہُوَ السَّمِیۡعُ الۡبَصِیۡرُ ﴿۱۱﴾

11. آسمانوں اور زمین کو عدم سے وجود میں لانے والا ہے، اسی نے تمہارے لئے تمہاری جنسوں سے جوڑے بنائے اور چوپایوں کے بھی جوڑے بنائے اور تمہیں اسی (جوڑوں کی تدبیر) سے پھیلاتا ہے، اُس کے مانند کوئی چیز نہیں ہے اور وہی سننے والا دیکھنے والا ہےo

11. He has brought into existence the heavens and the earth from nothingness. He is the One Who made pairs for you from your own kind and made pairs of cattle as well, and with this (pairing) He multiplies and spreads you. There is nothing like Him and He alone is All-Hearing, All-Seeing.

11. Fatiru alssamawati waalardi jaAAala lakum min anfusikum azwajan wamina alanAAami azwajan yathraokum feehi laysa kamithlihi shayon wahuwa alssameeAAu albaseeru

11. Opphaveren til himlene og jorden, Han skapte for dere par fra deres egen sort og par av kveget også, og Han sprer dere ved den (par-framgangsmåten). Ingenting er Ham lik! Og Han er den Allhørende, den Allseende.

11. आस्मानों और ज़मीन को अ़दम से वुजूद में लाने वाला है, उसी ने तुम्हारे लिए तुम्हारी जिन्सों से जोड़े बनाए और चौपायों के भी जोड़े बनाए और तुम्हें उसी (जोड़ों की तद्‌बीर) से फैलाता है, उसके मानिन्द कोई चीज़ नहीं है और वही सुनने वाला देखने वाला है।

১১. তিনি আকাশমন্ডলী ও পৃথিবীকে অনস্তিত্ব থেকে অস্তিত্বে আনয়নকারী। তিনিই তোমাদের জন্যে তোমাদের মধ্য থেকে জোড়া সৃষ্টি করেছেন এবং চতুষ্পদ প্রাণীদেরও জোড়া সৃষ্টি করেছেন। আর তোমাদেরকে এর (এ জোড়ার কৌশলের) মাধ্যমে বিস্তার করেন। তাঁর সদৃশ কোনো কিছুই নেই। আর তিনিই সর্বশ্রোতা, সর্বদ্রষ্টা।

(الشُّوْرٰی، 42 : 11)
لَہٗ مَقَالِیۡدُ السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضِ ۚ یَبۡسُطُ الرِّزۡقَ لِمَنۡ یَّشَآءُ وَ یَقۡدِرُ ؕ اِنَّہٗ بِکُلِّ شَیۡءٍ عَلِیۡمٌ ﴿۱۲﴾

12. وہی آسمانوں اور زمین کی کُنجیوں کا مالک ہے (یعنی جس کے لئے وہ چاہے خزانے کھول دیتا ہے) وہ جس کے لئے چاہتا ہے رِزق و عطا کشادہ فرما دیتا ہے اور (جس کے لئے چاہتا ہے) تنگ کر دیتا ہے۔ بیشک وہ ہر چیز کا خوب جاننے والا ہےo

12. To Him belong the keys of the heavens and the earth (i.e., He opens His treasures to whom He wills). He grants sustenance abundantly to whom He likes and sparingly (to whom He wills). Surely, He knows everything best.

12. Lahu maqaleedu alssamawati waalardi yabsutu alrrizqa liman yashao wayaqdiru innahu bikulli shayin AAaleemun

12. Ham tilhører himlenes og jordens nøkler (Han åpner skattkamrene for den Han vil), Han utvider forsyningen rikelig for hvem Han enn vil, og gjør den trang (for hvem Han enn vil)! Sannelig, Han er allvitende om alle ting.

12. वोही आस्मानों और ज़मीन की कुंजियों का मालिक है (यानी जिसके लिए वोह चाहे ख़ज़ाने खोल देता है) वोह जिसके लिए चाहता है रिज़्क़ो अ़ता कुशादा फरमा देता है और (जिसके लिए चाहता है) तंग कर देता है। बेशक वोह हर चीज़ का ख़ूब जानने वाला है।

১২. তিনিই আকাশমন্ডলী ও পৃথিবীর চাবিকাঠির অধিকারী (অর্থাৎ তিনি যার জন্যে ইচ্ছা ধন-ভান্ডার উন্মুক্ত করেন)। তিনি যার জন্যে ইচ্ছা রিযিক বর্ধিত করেন এবং (যার জন্যে ইচ্ছা) সঙ্কুচিত করেন। নিশ্চয়ই তিনি সকল কিছু সম্পর্কে সম্যক অবগত।

(الشُّوْرٰی، 42 : 12)
شَرَعَ لَکُمۡ مِّنَ الدِّیۡنِ مَا وَصّٰی بِہٖ نُوۡحًا وَّ الَّذِیۡۤ اَوۡحَیۡنَاۤ اِلَیۡکَ وَ مَا وَصَّیۡنَا بِہٖۤ اِبۡرٰہِیۡمَ وَ مُوۡسٰی وَ عِیۡسٰۤی اَنۡ اَقِیۡمُوا الدِّیۡنَ وَ لَا تَتَفَرَّقُوۡا فِیۡہِ ؕ کَبُرَ عَلَی الۡمُشۡرِکِیۡنَ مَا تَدۡعُوۡہُمۡ اِلَیۡہِ ؕ اَللّٰہُ یَجۡتَبِیۡۤ اِلَیۡہِ مَنۡ یَّشَآءُ وَ یَہۡدِیۡۤ اِلَیۡہِ مَنۡ یُّنِیۡبُ ﴿۱۳﴾

13. اُس نے تمہارے لئے دین کا وہی راستہ مقرّر فرمایا جس کا حکم اُس نے نُوح (علیہ السلام) کو دیا تھا اور جس کی وحی ہم نے آپ کی طرف بھیجی اور جس کا حکم ہم نے ابراھیم اور موسٰی و عیسٰی (علیھم السلام) کو دیا تھا (وہ یہی ہے) کہ تم (اِسی) دین پر قائم رہو اور اس میں تفرقہ نہ ڈالو، مشرکوں پر بہت ہی گراں ہے وہ (توحید کی بات) جس کی طرف آپ انہیں بلا رہے ہیں۔ اللہ جسے (خود) چاہتا ہے اپنے حضور میں (قربِ خاص کے لئے) منتخب فرما لیتا ہے، اور اپنی طرف (آنے کی) راہ دکھا دیتا ہے (ہر) اس شخص کو جو (اللہ کی طرف) قلبی رجوع کرتا ہےo

13. He has prescribed for you the same path of the Din (Religion) that He enjoined on Nuh (Noah), and that We have revealed to you, and that We enjoined on Ibrahim (Abraham) and Musa (Moses) and ‘Isa (Jesus. And all it denotes is) that you should hold fast to the same Din (Religion) and do not make divisions in it. That (Oneness of Allah) to which you call them is quite hard for those who set up partners with Allah. Allah chooses whom He pleases (for exclusive nearness) in His presence, and shows the path to (come) towards Himself to everyone who turns (towards Allah) heartily.

13. SharaAAa lakum mina alddeeni ma wassa bihi noohan waallathee awhayna ilayka wama wassayna bihi ibraheema wamoosa waAAeesa an aqeemoo alddeena wala tatafarraqoo feehi kabura AAala almushrikeena ma tadAAoohum ilayhi Allahu yajtabee ilayhi man yashao wayahdee ilayhi man yuneebu

13. Han har ettertrykkelig forordnet for dere den samme levemåtens (religionens) vei som Han befalte Noah, og den som Vi har åpenbart for deg, og den Vi befalte Abraham og Moses og Jesus (det var): «Vær dere standhaftige i (denne) levemåten, og dann ikke splittelser i den!» Det er svært hardt for flergudsdyrkerne, det (ordet om troen på Allahs Enhet) som du inviterer dem til. Allah utvelger hvem Han enn vil, til Seg (for Sin særskilte nærhet) og viser veien (som fører) til Seg, til enhver som vender seg (til Allah) fra hjertets dypeste bunn.

13. उसने तुम्हारे लिए दीन का वोही रास्ता मुक़र्रर फरमाया जिसका हुक्म उसने नूह (अ़लैहिस्सलाम) को दिया था और जिसकी वही हमने आपकी तरफ भेजी और जिसका हुक्म हमने इब्राहीम और मूसा व ईसा (अ़लैहिमुस्सलाम) को दिया था (वोह येही है) कि तुम (इसी) दीन पर क़ाइम रहो और उसमें तफरिक़ा न डालो, मुश्रिकों पर बहुत ही गिरां है वोह (तौहीद की बात) जिसकी तरफ आप उन्हें बुला रहे हैं। अल्लाह जिसे (ख़ुद) चाहता है अपने हुजूर में (क़ुर्बे ख़ास के लिए) मुन्तख़ब फरमा लेता है और अपनी तरफ (आने की) राह दिखा देता है (हर) उस शख़्स को जो (अल्लाह की तरफ) क़लबी रुजूअ़ करता है।

১৩. তিনি তোমাদের জন্যে দ্বীনের সে পথই নির্ধারণ করেছেন, যার নির্দেশ তিনি দিয়েছিলেন নূহ (আলাইহিস সালাম)-কে। আর আমরা আপনার প্রতি যে ওহী প্রত্যাদেশ করেছি তার নির্দেশ আমরা প্রদান করেছিলাম ইবরাহীম, মূসা এবং ঈসা (আলাইহিমুস সালাম)-কে। (তা এই যে,) ‘তোমরা (এই) দ্বীনের উপর অটল থাকো এবং এতে পার্থক্য সৃষ্টি করো না’। মুশরিকদের জন্যে তা খুবই দুর্বহ, যে (আল্লাহ্‌র একত্ববাদের) দিকে আপনি তাদেরকে আহ্বান করছেন। আল্লাহ (স্বয়ং) যাদেরকে ইচ্ছা করেন নিজের প্রতি (বিশেষ নৈকট্য প্রদানের জন্যে) নির্বাচিত করেন এবং তাঁর অভিমুখে (আগমনের জন্যে) পথপ্রদর্শন করেন প্রত্যেক ব্যক্তিকে যারা (আল্লাহ্‌র দিকে) আন্তরিকভাবে অভিমুখী হয়।

(الشُّوْرٰی، 42 : 13)
وَ مَا تَفَرَّقُوۡۤا اِلَّا مِنۡۢ بَعۡدِ مَا جَآءَہُمُ الۡعِلۡمُ بَغۡیًۢا بَیۡنَہُمۡ ؕ وَ لَوۡ لَا کَلِمَۃٌ سَبَقَتۡ مِنۡ رَّبِّکَ اِلٰۤی اَجَلٍ مُّسَمًّی لَّقُضِیَ بَیۡنَہُمۡ ؕ وَ اِنَّ الَّذِیۡنَ اُوۡرِثُوا الۡکِتٰبَ مِنۡۢ بَعۡدِہِمۡ لَفِیۡ شَکٍّ مِّنۡہُ مُرِیۡبٍ ﴿۱۴﴾

14. اور انہوں نے فرقہ بندی نہیں کی تھی مگر اِس کے بعد جبکہ اُن کے پاس علم آچکا تھا محض آپس کی ضِد (اور ہٹ دھرمی) کی وجہ سے، اور اگر آپ کے رب کی جانب سے مقررہ مدّت تک (کی مہلت) کا فرمان پہلے صادر نہ ہوا ہوتا تو اُن کے درمیان فیصلہ کیا جا چکا ہوتا، اور بیشک جو لوگ اُن کے بعد کتاب کے وارث بنائے گئے تھے وہ خود اُس کی نسبت فریب دینے والے شک میں (مبتلا) ہیںo

14. And they did not break up into factions, but only after knowledge had reached them, merely on account of their mutual obstinacy (and stubbornness). And had the command of your Lord not gone forth concerning (a respite for) an appointed time, the judgment would have been given between them. And verily, those who were made inheritors of the Book after them are themselves in deceitful doubt about it.

14. Wama tafarraqoo illa min baAAdi ma jaahumu alAAilmu baghyan baynahum walawla kalimatun sabaqat min rabbika ila ajalin musamman laqudiya baynahum wainna allatheena oorithoo alkitaba min baAAdihim lafee shakkin minhu mureebin

14. Og de brøt opp i grupperinger først etter at det hadde kommet kunnskap til dem, (og dette gjorde de) kun på grunn av gjensidig strid (og stahet) mellom seg. Og hadde det ikke vært for et ord (for en frist) som på forhånd var utstedt av Herren din til en fastsatt tid, ville dommen ha falt mellom dem. Og sannelig, de som ble gjort til skriftens arvtakere etter dem, de er selv i (hjemfalne til) bedragende tvil om den.

14. और उन्होंने फिर्क़ा बन्दी नहीं की थी मगर इसके बाद जबकि उनके पास इल्म आ चुका था महज़ आपस की ज़िद (और हट धर्मी) की वजह से, और अगर आपके रब की जानिब से मुक़र्ररा मुद्दत तक (की मोहलत) का फरमान पहले सादिर न हुवा होता तो उनके दर्मियान फैसला किया जा चुका होता, और बेशक जो लोग उनके बाद किताब के वारिस बनाए गए थे वोह ख़ुद उसकी निस्बत फरेब देने वाले शक में (मुब्तला) हैं।

১৪. আর তাদের নিকট জ্ঞান আসার পর তারা বিভক্তি ঘটায়, কেবলমাত্র নিজেদের মধ্যে পারস্পরিক একগুঁয়েমির (এবং হঠকারিতার) কারণে। আর যদি আপনার প্রতিপালকের পক্ষ থেকে পূর্বনির্ধারিত সময়ের (অবকাশের) নির্দেশ না থাকতো তবে তাদের মাঝে ফায়সালা হয়ে যেতো। আর তাদের পর প্রকৃতই যাদেরকে কিতাবের উত্তরাধিকারী করা হয়েছে, তারা নিজেরাই এ বিষয়ে বিভ্রান্তিকর সন্দেহে (নিমজ্জিত) রয়েছে।

(الشُّوْرٰی، 42 : 14)
فَلِذٰلِکَ فَادۡعُ ۚ وَ اسۡتَقِمۡ کَمَاۤ اُمِرۡتَ ۚ وَ لَا تَتَّبِعۡ اَہۡوَآءَہُمۡ ۚ وَ قُلۡ اٰمَنۡتُ بِمَاۤ اَنۡزَلَ اللّٰہُ مِنۡ کِتٰبٍ ۚ وَ اُمِرۡتُ لِاَعۡدِلَ بَیۡنَکُمۡ ؕ اَللّٰہُ رَبُّنَا وَ رَبُّکُمۡ ؕ لَنَاۤ اَعۡمَالُنَا وَ لَکُمۡ اَعۡمَالُکُمۡ ؕ لَا حُجَّۃَ بَیۡنَنَا وَ بَیۡنَکُمۡ ؕ اَللّٰہُ یَجۡمَعُ بَیۡنَنَا ۚ وَ اِلَیۡہِ الۡمَصِیۡرُ ﴿ؕ۱۵﴾

15. پس آپ اسی (دین) کے لئے دعوت دیتے رہیں اور جیسے آپ کو حکم دیا گیا ہے (اسی پر) قائم رہئے اور اُن کی خواہشات پر کان نہ دھریئے، اور (یہ) فرما دیجئے: جو کتاب بھی اللہ نے اتاری ہے میں اُس پر ایمان رکھتا ہوں، اور مجھے حکم دیا گیا ہے کہ میں تمہارے درمیان عدل و انصاف کروں۔ اللہ ہمارا (بھی) رب ہے اور تمہارا (بھی) رب ہے، ہمارے لئے ہمارے اعمال ہیں اور تمہارے لئے تمہارے اعمال، ہمارے اور تمہارے درمیان کوئی بحث و تکرار نہیں، اللہ ہم سب کو جمع فرمائے گا اور اسی کی طرف (سب کا) پلٹنا ہےo

15. So keep calling them to this (Din [Religion]), and hold fast (to it) as the command has been given to you. And do not give any heed to their desires and say (this): ‘I believe in every Book that Allah has revealed, and I have been commanded to do justice between you. Allah is our Lord as well as your Lord. For us are our deeds and for you are your deeds. There is no debate and dispute between us and you. Allah will gather us all together and to Him is the return (of all).’

15. Falithalika faodAAu waistaqim kama omirta wala tattabiAA ahwaahum waqul amantu bima anzala Allahu min kitabin waomirtu liaAAdila baynakum Allahu rabbuna warabbukum lana aAAmaluna walakum aAAmalukum la hujjata baynana wabaynakumu Allahu yajmaAAu baynana wailayhi almaseeru

15. Så fortsett å invitere til denne (levemåten [religionen]), og vær standhaftig (i den) slik som det er deg befalt, og hør ikke på deres lyster, og si: «Jeg tror på enhver skrift som Allah har åpenbart, og det er meg befalt å vise rettferdighet mellom dere. Allah er vår Herre og deres Herre også! For oss er handlingene våre, og for dere er handlingene deres. Det er ingen ordstrid mellom oss, Allah vil samle oss alle, og hos Ham er slutten på ferden.»

15. पस आप उसी (दिन) के लिए दावत देते रहें और जैसे आपको हुक्म दिया गया है (उसी पर) क़ाइम रहिए और उनकी ख़्वाहिशात पर कान न धरिये, और (ये) फरमा दीजिए: जो किताब भी अल्लाह ने उतारी है मैं उस पर ईमान रखता हूं, और मुझे हुक्म दिया गया है कि मैं तुम्हारे दर्मियान अ़द्‌लो इन्साफ करूं। अल्लाह हमारा (भी) रब है और तुम्हारा (भी) रब है, हमारे लिए हमारे आमाल हैं और तुम्हारे लिए तुम्हारे आमाल, हमारे और तुम्हारे दर्मियान कोई बहसो तकरार नहीं, अल्लाह हम सब को जमा फरमाएगा और उसी की तरफ (सबका) पलटना है।

১৫. সুতরাং আপনি (এ দ্বীন)-এর প্রতি আহ্বান করতে থাকুন এবং (এরই উপর) অবিচল থাকুন যেভাবে আপনাকে নির্দেশ দেয়া হয়েছে, আর তাদের খেয়াল-খুশির অনুসরণ করবেন না। আর বলে দিন, ‘আমি বিশ্বাস করি তাতে যে কিতাবই আল্লাহ্ অবতীর্ণ করেছেন এবং আমাকে নির্দেশ দেয়া হয়েছে তোমাদের মাঝে ন্যায়বিচার করতে। আল্লাহ্ আমাদের প্রতিপালক এবং তোমাদেরও প্রতিপালক। আমাদের জন্যে আমাদের আমল এবং তোমাদের জন্যে তোমাদের আমল। আমাদের এবং তোমাদের মাঝে কোনো বিবাদ-বিসম্বাদ নেই। আল্লাহ্ আমাদের সবাইকে একত্রিত করবেন এবং তাঁরই নিকট (সবার) প্রত্যাবর্তন।’

(الشُّوْرٰی، 42 : 15)
وَ الَّذِیۡنَ یُحَآجُّوۡنَ فِی اللّٰہِ مِنۡۢ بَعۡدِ مَا اسۡتُجِیۡبَ لَہٗ حُجَّتُہُمۡ دَاحِضَۃٌ عِنۡدَ رَبِّہِمۡ وَ عَلَیۡہِمۡ غَضَبٌ وَّ لَہُمۡ عَذَابٌ شَدِیۡدٌ ﴿۱۶﴾

16. اور جو لوگ اللہ (کے دین کے بارے) میں جھگڑتے ہیں بعد اِس کے کہ اسے قبول کر لیا گیا اُن کی بحث و تکرار اُن کے رب کے نزدیک باطل ہے اور اُن پر (اللہ کا) غضب ہے اور اُن کے لئے سخت عذاب ہےo

16. And those who dispute about (the Din [Religion] of) Allah after it has been accepted, their discussion and contention is false in the sight of their Lord. And upon them is the wrath (of Allah) and for them is a severe torment.

16. Waallatheena yuhajjoona fee Allahi min baAAdi ma istujeeba lahu hujjatuhum dahidatun AAinda rabbihim waAAalayhim ghadabun walahum AAathabun shadeedun

16. Og de som krangler om Allah (Allahs utvalgte levemåte [religion]) etter at den er blitt godtatt, deres ordstrid er verdiløs i deres Herres øyne, og over dem er Allahs vrede, og dem venter en voldsom pine.

16. और जो लोग अल्लाह (के दीन के बारे) में झगड़ते हैं बाद इसके कि उसे क़बूल कर लिया गया उनकी बहसो तकरार उनके रब के नज़्दीक बातिल है और उन पर (अल्लाह का) गज़ब़ है और उनके लिए सख़्त अ़ज़ाब है।

১৬. আর মেনে নেয়ার পর যারা আল্লাহ্ (-এঁর দ্বীনের বিষয়) সম্পর্কে ঝগড়া করে, তাদের আলোচনা ও বাদানুবাদ তাদের প্রতিপালকের দৃষ্টিতে অসার। আর তাদের উপর (আল্লাহ্‌র) ক্রোধ এবং তাদের জন্যে রয়েছে কঠোর শাস্তি।

(الشُّوْرٰی، 42 : 16)
اَللّٰہُ الَّذِیۡۤ اَنۡزَلَ الۡکِتٰبَ بِالۡحَقِّ وَ الۡمِیۡزَانَ ؕ وَ مَا یُدۡرِیۡکَ لَعَلَّ السَّاعَۃَ قَرِیۡبٌ ﴿۱۷﴾

17. اللہ وہی ہے جس نے حق کے ساتھ کتاب نازل فرمائی اور (عدل و انصاف کا) ترازو (بھی اتارا)، اور آپ کو کس نے خبردار کیا، شاید قیامت قریب ہی ہوo

17. Allah is He Who has revealed the Book with the truth and (also sent down) the balance (of equity and justice). And who has put you on alert—perhaps the Last Hour is near?

17. Allahu allathee anzala alkitaba bialhaqqi waalmeezani wama yudreeka laAAalla alssaAAata qareebun

17. Allah er Den som åpenbarte skriften med sannheten og (nedsendte rettferdighetens) vektskål også. Og hvem har latt deg vite, kanskje timen er nær?

17. अल्लाह वोही है जिसने हक़्क़ के साथ किताब नाज़िल फरमाई और (अ़द्‌लो इन्साफ का) तराज़ू (भी उतारा), और आपको किसने ख़बरदार किया, शायद क़ियामत क़रीब ही हो।

১৭. আল্লাহ্ তিনিই যিনি সত্য সহকারে অবতীর্ণ করেছেন কিতাব এবং (সমতা ও ন্যায়বিচারের) মানদন্ড। আর আপনাকে কে সতর্ক করেছে, সম্ভবত কিয়ামত নিকটেই?

(الشُّوْرٰی، 42 : 17)
یَسۡتَعۡجِلُ بِہَا الَّذِیۡنَ لَا یُؤۡمِنُوۡنَ بِہَا ۚ وَ الَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡا مُشۡفِقُوۡنَ مِنۡہَا ۙ وَ یَعۡلَمُوۡنَ اَنَّہَا الۡحَقُّ ؕ اَلَاۤ اِنَّ الَّذِیۡنَ یُمَارُوۡنَ فِی السَّاعَۃِ لَفِیۡ ضَلٰلٍۭ بَعِیۡدٍ ﴿۱۸﴾

18. اِس (قیامت) میں وہ لوگ جلدی مچاتے ہیں جو اِس پر ایمان (ہی) نہیں رکھتے اور جو لوگ ایمان رکھتے ہیں اس سے ڈرتے ہیں اور جانتے ہیں کہ اِس کا آنا حق ہے، جان لو! جو لوگ قیامت کے بارے میں جھگڑا کرتے ہیں وہ پرلے درجہ کی گمراہی میں ہیںo

18. They who do not put (any) belief in it seek to hasten this (Hour), and those who believe fear it and know that its coming is the truth. Beware! Those who argue about the Hour are in extreme error.

18. YastaAAjilu biha allatheena la yuminoona biha waallatheena amanoo mushfiqoona minha wayaAAlamoona annaha alhaqqu ala inna allatheena yumaroona fee alssaAAati lafee dalalin baAAeedin

18. De som ber om å få den (timen) framskyndet, er de som ikke tror på den. Men de som er troende, de frykter den og vet at dens komme er sannheten! Vit! De som krangler om timen, er i en langt kommen villfarelse.

18. इस (क़ियामत) में वोह लोग जल्दी मचाते हैं जो इस पर ईमान (ही) नहीं रखते और जो लोग ईमान रखते हैं उससे डरते हैं और जानते हैं कि इसका आना हक़्क़ है, जान लो! जो लोग क़ियामत के बारे में झगड़ा करते हैं वोह परले दर्जे की गुमराही में हैं।

১৮. তারাই একে (এ কিয়ামত) দ্রুত কামনা করে যারা এতে বিশ্বাসই রাখে না। আর যারা বিশ্বাস রাখে তারা একে ভয় করে এবং জানে যে, এর আগমন সত্য। জেনে রাখো! যারা কিয়ামত সম্পর্কে বিতর্ক করে তারা ঘোর বিভ্রান্তিতে রয়েছে।

(الشُّوْرٰی، 42 : 18)
اَللّٰہُ لَطِیۡفٌۢ بِعِبَادِہٖ یَرۡزُقُ مَنۡ یَّشَآءُ ۚ وَ ہُوَ الۡقَوِیُّ الۡعَزِیۡزُ ﴿٪۱۹﴾

19. اللہ اپنے بندوں پر بڑا لطف و کرم فرمانے والا ہے، جسے چاہتا ہے رِزق و عطا سے نوازتا ہے اور وہ بڑی قوت والا بڑی عزّت والا ہےo

19. Allah is Most Bountiful and Benevolent towards His servants. He bestows His sustenance and bounty upon whom He wills. And He is Most Strong, Almighty.

19. Allahu lateefun biAAibadihi yarzuqu man yashao wahuwa alqawiyyu alAAazeezu

19. Allah er mest vennlig mot Sine tjenere, Han forsyner hvem Han enn vil, og Han er den Overhendige, den Allmektige.

19. अल्लाह अपने बन्दों पर बड़ा लुत्फो करम फरमाने वाला है, जिसे चाहता है रिज़्क़ो अ़ता से नवाज़ता है और वोह बड़ी क़ुव्वत वाला बडी इज़्ज़त वाला है।

১৯. আল্লাহ্ তাঁর বান্দাদের প্রতি অনুগ্রহশীল ও দাতা; তিনি যাকে ইচ্ছা রিযিক ও অনুগ্রহ দান করেন। আর তিনি প্রবল, পরাক্রমশালী।

(الشُّوْرٰی، 42 : 19)
مَنۡ کَانَ یُرِیۡدُ حَرۡثَ الۡاٰخِرَۃِ نَزِدۡ لَہٗ فِیۡ حَرۡثِہٖ ۚ وَ مَنۡ کَانَ یُرِیۡدُ حَرۡثَ الدُّنۡیَا نُؤۡتِہٖ مِنۡہَا وَ مَا لَہٗ فِی الۡاٰخِرَۃِ مِنۡ نَّصِیۡبٍ ﴿۲۰﴾

20. جو شخص آخرت کی کھیتی چاہتا ہے ہم اُس کے لئے اُس کی کھیتی میں مزید اضافہ فرما دیتے ہیں اور جو شخص دنیا کی کھیتی کا طالب ہوتا ہے (تو) ہم اُس کو اس میں سے کچھ عطا کر دیتے ہیں، پھر اُس کے لئے آخرت میں کچھ حصہ نہیں رہتاo

20. He who seeks the harvest of the Hereafter, We grant him further increase in his harvest. And he who desires the harvest of this world, We give him some of it, but in the Hereafter there does not remain any share for him.

20. Man kana yureedu hartha alakhirati nazid lahu fee harthihi waman kana yureedu hartha alddunya nutihi minha wama lahu fee alakhirati min naseebin

20. Den som ønsker å dyrke det hinsidige, for ham øker Vi på i hans dyrking. Og den som ønsker å dyrke denne verden, tildeler Vi noe av den, men for ham er det ikke noen andel i det hinsidige.

20. जो शख़्स आख़िरत की खेती चाहता है हम उसके लिए उसकी खेती में मज़ीद इज़ाफा फरमा देते हैं और जो शख़्स दुन्या की खेती का तालिब होता है (तो) हम उसको उसमें से कुछ अ़ता कर देते हैं फिर उसके लिए आख़िरत में कुछ हिस्सा नहीं रहता।

২০. যে ব্যক্তি পরকালের ফসল কামনা করে তার জন্যে আমরা তার ফসল আরো বৃদ্ধি করে দেই; আর যে ব্যক্তি ইহকালের ফসল কামনা করে, আমরা তাকে এ থেকেই কিছু প্রদান করি। তবে তার জন্যে পরকালে কিছুই থাকবে না।

(الشُّوْرٰی، 42 : 20)
اَمۡ لَہُمۡ شُرَکٰٓؤُا شَرَعُوۡا لَہُمۡ مِّنَ الدِّیۡنِ مَا لَمۡ یَاۡذَنۡۢ بِہِ اللّٰہُ ؕ وَ لَوۡ لَا کَلِمَۃُ الۡفَصۡلِ لَقُضِیَ بَیۡنَہُمۡ ؕ وَ اِنَّ الظّٰلِمِیۡنَ لَہُمۡ عَذَابٌ اَلِیۡمٌ ﴿۲۱﴾

21. کیا اُن کے لئے کچھ (ایسے) شریک ہیں جنہوں نے اُن کے لئے دین کا ایسا راستہ مقرر کر دیا ہو جس کا اللہ نے حکم نہیں دیا تھا، اور اگر فیصلہ کا فرمان (صادر) نہ ہوا ہوتا تو اُن کے درمیان قصہ چکا دیا جاتا، اور بیشک ظالموں کے لئے دردناک عذاب ہےo

21. Have they any (such) partners that have established for them a path of din (religion) about which Allah has not given any command? And had the command of judgment not (gone forth) already, the matter between them would have been settled. And surely, there is a painful torment for the wrongdoers.

21. Am lahum shurakao sharaAAoo lahum mina alddeeni ma lam yathan bihi Allahu walawla kalimatu alfasli laqudiya baynahum wainna alththalimeena lahum AAathabun aleemun

21. Er det noen likestilt (med Allah) som har besluttet en slik vei av levemåte (religion) for dem som Allah ikke har befalt om? Hadde ikke dommens ord vært (utstedt), ville saken ha vært avgjort mellom dem. Og sannelig, de ondskapsfulle, for dem er det en smertelig pine.

21. क्या उनके लिए कुछ (ऐसे) शरीक हैं जिन्होंने उनके लिए दीन का ऐसा रास्ता मुक़र्रर कर दिया हो जिसका अल्लाह ने हुक्म नहीं दिया था, और अगर फैसले का फरमान (सादिर) न हुवा होता तो उनके दर्मियान क़िस्सा चुका दिया जाता, और बेशक ज़ालिमों के लिए दर्दनाक अ़ज़ाब है।

২১. তাদের কি (এমন) কোনো অংশীদার রয়েছে যারা তাদের জন্যে দ্বীনের এমন পথ নির্ধারণ করেছে যার নির্দেশ আল্লাহ্ প্রদান করেননি? আর যদি বিচারের নির্দেশ (বিদ্যমান) না থাকতো তবে তাদের মাঝে ফায়সালা হয়ে যেতো। নিশ্চয় অত্যাচারীদের জন্যে রয়েছে যন্ত্রণাদায়ক শাস্তি।

(الشُّوْرٰی، 42 : 21)
تَرَی الظّٰلِمِیۡنَ مُشۡفِقِیۡنَ مِمَّا کَسَبُوۡا وَ ہُوَ وَاقِعٌۢ بِہِمۡ ؕ وَ الَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡا وَ عَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ فِیۡ رَوۡضٰتِ الۡجَنّٰتِ ۚ لَہُمۡ مَّا یَشَآءُوۡنَ عِنۡدَ رَبِّہِمۡ ؕ ذٰلِکَ ہُوَ الۡفَضۡلُ الۡکَبِیۡرُ ﴿۲۲﴾

22. آپ ظالموں کو اُن (اعمال) سے ڈرنے والا دیکھیں گے جو انہوں نے کما رکھے ہیں اور وہ (عذاب) اُن پر واقع ہو کر رہے گا، اور جو لوگ ایمان لائے اور نیک اعمال کرتے رہے وہ بہشت کے چَمنوں میں ہوں گے، اُن کے لئے اُن کے رب کے پاس وہ (تمام نعمتیں) ہوں گی جن کی وہ خواہش کریں گے، یہی تو بہت بڑا فضل ہےo

22. You will see the wrongdoers fearing those (deeds) that they have earned. And that (torment) is bound to befall them. And they who believe and persist in pious deeds will be in the Gardens of Paradise. There will be for them with their Lord (all those blessings) which they will long for. That is indeed a great bounty.

22. Tara alththalimeena mushfiqeena mimma kasaboo wahuwa waqiAAun bihim waallatheena amanoo waAAamiloo alssalihati fee rawdati aljannati lahum ma yashaoona AAinda rabbihim thalika huwa alfadlu alkabeeru

22. Du vil se de ondsinnede være fryktsomme for det (de handlingene) som de har fortjent, og den (pinen) må ramme dem. Men de som antar troen og handler rettskaffent, vil være i paradisets blomstrende enger, for dem vil det hos Herren deres være det (alle de velsignelsene) som de måtte begjære. Dette er den kjempemessige velviljen.

22. आप ज़ालिमों को उन (आमाल) से डरने वाला देखेंगे जो उन्होंने कमा रखे हैं और वोह (अ़ज़ाब) उन पर वाक़ेअ़ होकर रहेगा, और जो लोग ईमान लाए और नेक आमाल करते रहे वोह बहिश्त के चमनों में होंगे, उनके लिए उनके रब के पास वोह (तमाम नेअ़मतें) होंगी जिनकी वोह ख़्वाहिश करेंगे, येही तो बहुत बड़ा फज़्ल है।

২২. আপনি অত্যাচারীদেরকে তাদের অর্জিত কৃতকর্মে ভীত দেখবেন; আর এ (শাস্তি) তাদের উপর আপতিত হবেই। আর যারা ঈমান আনে এবং সৎকর্মে নিয়োজিত থাকে তারা অবস্থান করবে বেহেশতের উদ্যানসমূহে; তাদের জন্যে তাদের প্রতিপালকের নিকট থাকবে (সেসব নিয়ামতরাজি) যা তারা কামনা করবে। এটাই তো মহাঅনুগ্রহ।

(الشُّوْرٰی، 42 : 22)
ذٰلِکَ الَّذِیۡ یُبَشِّرُ اللّٰہُ عِبَادَہُ الَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡا وَ عَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ ؕ قُلۡ لَّاۤ اَسۡـَٔلُکُمۡ عَلَیۡہِ اَجۡرًا اِلَّا الۡمَوَدَّۃَ فِی الۡقُرۡبٰی ؕ وَ مَنۡ یَّقۡتَرِفۡ حَسَنَۃً نَّزِدۡ لَہٗ فِیۡہَا حُسۡنًا ؕ اِنَّ اللّٰہَ غَفُوۡرٌ شَکُوۡرٌ ﴿۲۳﴾

23. یہ وہ (انعام) ہے جس کی خوشخبری اللہ ایسے بندوں کو سناتا ہے جو ایمان لائے اور نیک اعمال کرتے رہے، فرما دیجئے: میں اِس (تبلیغ رسالت) پر تم سے کوئی اجرت نہیں مانگتا مگر (میری) قرابت (اور اللہ کی قربت) سے محبت (چاہتا ہوں) اور جو شخص نیکی کمائے گا ہم اس کے لئے اس میں اُخروی ثواب اور بڑھا دیں گے۔ بیشک اللہ بڑا بخشنے والا قدر دان ہےo

23. That is (the award) of which Allah gives the good news to those servants who believe and do pious works persistently. Say: ‘I do not ask for any recompense for this (preaching the faith in Messengership), but (seek) love for (my) kindreds (and Allah’s nearness).’ And whoever earns good, We shall increase for him the reward in the Hereafter. Surely, Allah is Most Forgiving, Most Appreciative.

23. Thalika allathee yubashshiru Allahu AAibadahu allatheena amanoo waAAamiloo alssalihati qul la asalukum AAalayhi ajran illa almawaddata fee alqurba waman yaqtarif hasanatan nazid lahu feeha husnan inna Allaha ghafoorun shakoorun

23. Dette er den (gunsten) som Allah bebuder gladmeldingen om til dem av Sine tjenere som antar troen og handler rettskaffent. Si: «Jeg ber ikke om noen lønn fra dere for dette (budskapets forkynnelse), men (ønsker) kun at dere har kjærlighet for (min) slekt og for (min og Allahs) nærhet!» Og den som utfører en from handling, for ham vil Vi øke den hinsidige belønningen for handlingen hans. Sannelig, Allah er mest tilgivende, mest verdsettende.

23. ये वोह (इन्आम) है जिसकी ख़ुश ख़बरी अल्लाह ऐसे बन्दों को सुनाता है जो ईमान लाए और नेक आमाल करते रहे, फरमा दीजिए: मैं इस (तब्लीग़ो रिसालत) पर तुमसे कोई उज्रत नहीं मांगता मगर (मेरी) क़राबत (और अल्लाह की क़ुर्बत) से महब्बत (चाहता हूं) और जो शख़्स नेकी कमाएगा हम उसके लिए इसमें उख़रवी सवाब और बढ़ा देंगे। बेशक अल्लाह बड़ा बख़्शने वाला क़द्रदान है।

২৩. এটিই (সে পুরস্কার) যার সুসংবাদ আল্লাহ্ সেসব বান্দাদেরকে প্রদান করেন যারা ঈমান আনে এবং সৎকর্ম করে। বলে দিন, ‘আমি এর (এ রিসালাতের প্রচারের) বিনিময়ে তোমাদের কাছ থেকে কোনো প্রতিদান চাই না, (আমার) নিকটাত্মীয়ের (এবং আল্লাহ্‌র নৈকট্যের) প্রতি ভালোবাসা ব্যতীত।’ আর যে উত্তম কিছু উপার্জন করবে তার জন্যে আমরা পরকালীন পুরস্কার আরো বৃদ্ধি করে দেবো। নিশ্চয়ই আল্লাহ মহাক্ষমাশীল, মূল্যায়নকারী।

(الشُّوْرٰی، 42 : 23)
اَمۡ یَقُوۡلُوۡنَ افۡتَرٰی عَلَی اللّٰہِ کَذِبًا ۚ فَاِنۡ یَّشَاِ اللّٰہُ یَخۡتِمۡ عَلٰی قَلۡبِکَ ؕ وَ یَمۡحُ اللّٰہُ الۡبَاطِلَ وَ یُحِقُّ الۡحَقَّ بِکَلِمٰتِہٖ ؕ اِنَّہٗ عَلِیۡمٌۢ بِذَاتِ الصُّدُوۡرِ ﴿۲۴﴾

24. کیا یہ لوگ کہتے ہیں کہ اس (رسول صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) نے اللہ پر جھوٹا بہتان تراشا ہے، سو اگر اللہ چاہے توآپ کے قلبِ اطہر پر (صبر و استقامت کی) مُہر ثبت فرما دے (تاکہ آپ کو اِن کی بیہودہ گوئی کا رنج نہ پہنچے)، اور اللہ باطل کو مٹا دیتا ہے اور اپنے کلمات سے حق کو ثابت رکھتا ہے۔ بیشک وہ سینوں کی باتوں کو خوب جاننے والا ہےo

24. Do they say that this (Messenger [blessings and peace be upon him]) has invented a lie against Allah? So if Allah wills, He may set a seal (of patience and steadfastness) on your holy heart (so that their absurd talk may not hurt you). And Allah eliminates falsehood and maintains the truth established by His Words. Surely, He knows best the secrets of the breasts.

24. Am yaqooloona iftara AAala Allahi kathiban fain yashai Allahu yakhtim AAala qalbika wayamhu Allahu albatila wayuhiqqu alhaqqa bikalimatihi innahu AAaleemun bithati alssudoori

24. Sier de: «Han (Sendebudet ﷺ) har oppdiktet løgn om Allah!»? Hvis Allah vil, kan Han sette et (tålmods og standhaftighets) seglstempel på ditt hellige hjerte (sånn at deres sludder ikke skal såre deg). Og Allah utvisker falskheten og foreviger sannheten med Sitt ord. Sannelig, Han er allvitende om det som er (skjuler seg) i brystet.

24. क्या ये लोग कहते हैं कि इस (रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने अल्लाह पर झूटा बोहतान तराशा है, सो अगर अल्लाह चाहे तो आपके क़ल्बे अत्हर पर (सब्रो इस्तिक़ामत की) मुहर सब्त फरमा दे (ताकि आपको इनकी बेहूदा गोई का रंज न पहुंचे), और अल्लाह बातिल को मिटा देता है और अपने कलिमात से हक़्क़ को साबित रखता है। बेशक वोह सीनों की बातों को ख़ूब जानने वाला है।

২৪. তারা কি বলে যে, এ (রাসূল সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়া আলিহী ওয়াসাল্লাম) আল্লাহ্ সম্পর্কে মিথ্যা উদ্ভাবন করেছেন? যদি তাই হতো তবে আল্লাহ্ ইচ্ছা করলে আপনার পবিত্রতম অন্তরে (ধৈর্য ও দৃঢ়তার) মোহর লাগিয়ে দিতে পারেন (যাতে আপনাকে তাদের অনর্থক কথাবার্তা কষ্ট না দেয়)। আর আল্লাহ্ মিথ্যাকে ধূলিস্যাৎ করেন এবং তাঁর বাণী দ্বারা সত্যকে অবিচল রাখেন। নিশ্চয়ই তিনি অন্তরের বিষয়ে সবিশেষ অবগত।

(الشُّوْرٰی، 42 : 24)
وَ یَسۡتَجِیۡبُ الَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡا وَ عَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَ یَزِیۡدُہُمۡ مِّنۡ فَضۡلِہٖ ؕ وَ الۡکٰفِرُوۡنَ لَہُمۡ عَذَابٌ شَدِیۡدٌ ﴿۲۶﴾

26. اور اُن لوگوں کی دعا قبول فرماتا ہے جو ایمان لائے اور نیک اعمال کرتے رہے اور اپنے فضل سے انہیں (اُن کی دعا سے بھی) زیادہ دیتا ہے، اور جو کافر ہیں اُن کے لئے سخت عذاب ہےo

26. And He grants the prayers of those who believe and keep doing pious works, and gives them of His bounty more (than they pray for). But there is severe punishment for those who do not believe.

26. Wayastajeebu allatheena amanoo waAAamiloo alssalihati wayazeeduhum min fadlihi waalkafiroona lahum AAathabun shadeedun

26. Og Han bønnhører deres bønn som antar troen og handler rettskaffent, og Han øker Sin velvilje overfor dem (gir dem mer enn det de ber om). Men de som er vantro, for dem er det en streng pine.

26. और उन लोगों की दुआ क़बूल फरमाता है जो ईमान लाए और नेक आमाल करते रहे और अपने फज़्ल से उन्हें (उनकी दुआ से भी) ज़ियादा देता है, और जो काफिर हैं उनके लिए सख़्त अ़ज़ाब है।

২৬. আর তিনি সেসব লোকদের আহ্বানে সাড়া দেন যারা ঈমান এনেছে এবং সৎকর্ম করছে; আর তিনি নিজ অনুগ্রহে (তাদের চাওয়ার চেয়েও) তাদেরকে অধিক প্রদান করেন; কাফেরদের জন্যে রয়েছে কঠিন শাস্তি।

(الشُّوْرٰی، 42 : 26)
وَ لَوۡ بَسَطَ اللّٰہُ الرِّزۡقَ لِعِبَادِہٖ لَبَغَوۡا فِی الۡاَرۡضِ وَ لٰکِنۡ یُّنَزِّلُ بِقَدَرٍ مَّا یَشَآءُ ؕ اِنَّہٗ بِعِبَادِہٖ خَبِیۡرٌۢ بَصِیۡرٌ ﴿۲۷﴾

27. اور اگر اللہ اپنے تمام بندوں کے لئے روزی کشادہ فرما دے تو وہ ضرور زمین میں سرکشی کرنے لگیں لیکن وہ (ضروریات کے) اندازے کے ساتھ جتنی چاہتا ہے اتارتا ہے، بیشک وہ اپنے بندوں (کی ضرورتوں) سے خبردار ہے خوب دیکھنے والا ہےo

27. And if Allah were to expand sustenance for all His servants abundantly, they would surely transgress and revolt in the earth. But He sends it down as He pleases according to the measure (of needs). Surely, He is Best Aware of His servants’ (needs), All-Seeing.

27. Walaw basata Allahu alrrizqa liAAibadihi labaghaw fee alardi walakin yunazzilu biqadarin ma yashao innahu biAAibadihi khabeerun baseerun

27. Og hvis Allah hadde utvidet forsyningen rikelig for alle Sine tjenere, ville de visselig ha vist oppsetsighet på jorden. Men Han nedsender utmålt (ifølge behovet) så mye som Han vil. Sannelig, Han er om (behovet til) Sine tjenere vel underrettet, allseende.

27. और अगर अल्लाह अपने तमाम बन्दों केलिए रोज़ी कुशादा फरमा दे तो वोह ज़रूर ज़मीन में सर्कशी करने लगें लेकिन वोह (ज़रूरियात के) अंदाजे़ के साथ जितनी चाहता है उतारता है, बेशक वोह अपने बन्दों (की ज़रूरतों) से ख़बरदार है ख़ूब देखने वाला है।

২৭. আর যদি আল্লাহ্ তাঁর সকল বান্দাকে জীবনোপকরণে প্রাচুর্য দিতেন তবে তারা পৃথিবীতে অবশ্যই সীমালঙ্ঘন করতো। তবে তিনি (প্রয়োজনানুসারে) যেমন ইচ্ছা পরিমাণমত প্রেরণ করেন। তিনি তাঁর বান্দাদের (প্রয়োজন) সম্পর্কে সম্যক অবগত, সর্বদ্রষ্টা।

(الشُّوْرٰی، 42 : 27)
وَ ہُوَ الَّذِیۡ یُنَزِّلُ الۡغَیۡثَ مِنۡۢ بَعۡدِ مَا قَنَطُوۡا وَ یَنۡشُرُ رَحۡمَتَہٗ ؕ وَ ہُوَ الۡوَلِیُّ الۡحَمِیۡدُ ﴿۲۸﴾

28. اور وہ ہی ہے جو بارش برساتا ہے اُن کے مایوس ہو جانے کے بعد اور اپنی رحمت پھیلا دیتا ہے، اور وہ کار ساز بڑی تعریفوں کے لائق ہےo

28. And He is the One Who sends down rain after they lose hope and He spreads His mercy. And He, the Guardian, is Most Praiseworthy.

28. Wahuwa allathee yunazzilu alghaytha min baAAdi ma qanatoo wayanshuru rahmatahu wahuwa alwaliyyu alhameedu

28. Og Han er Den som nedsender regnet etter at de har mistet alt håp, og Han sprer ut Sin nåde. Og Han er Velynderen, den all pris verdige.

28. और वोही है जो बारिश बरसाता है उनके मायूस हो जाने के बाद और अपनी रहमत फैला देता है, और वोह कारसाज़ बड़ी तारीफों के लाइक़ है।

২৮. আর তারা হতাশাগ্রস্ত হয়ে পড়লে তিনিই বৃষ্টি বর্ষণ করেন এবং তাঁর অনুগ্রহ বিস্তার করেন। আর তিনি তো অভিভাবক, প্রশংসার্হ।

(الشُّوْرٰی، 42 : 28)
وَ مِنۡ اٰیٰتِہٖ خَلۡقُ السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضِ وَ مَا بَثَّ فِیۡہِمَا مِنۡ دَآبَّۃٍ ؕ وَ ہُوَ عَلٰی جَمۡعِہِمۡ اِذَا یَشَآءُ قَدِیۡرٌ ﴿٪۲۹﴾

29. اور اُس کی نشانیوں میں سے آسمانوں اور زمین کی پیدائش ہے اور اُن چلنے والے (جانداروں) کا (پیدا کرنا) بھی جو اُس نے اِن میں پھیلا دیئے ہیں، اور وہ اِن (سب) کے جمع کرنے پر بھی جب چاہے گا بڑا قادر ہےo

29. And amongst His signs is the creation of the heavens and the earth and (the creation) of the moving (i.e., living) creatures which He has scattered in them. And He is also Most Powerful to assemble them (all) when He wills.

29. Wamin ayatihi khalqu alssamawati waalardi wama baththa feehima min dabbatin wahuwa AAala jamAAihim itha yashao qadeerun

29. Og blant Hans tegn er skapingen av himlene og jorden og (skapingen av) alle de bevegende (levende) skapningene som Han har spredd utover i og på dem begge. Og Han har fullstendig makt til å samle dem alle når Han vil.

29. और उसकी निशानियों में से आस्मानों और ज़मीन की पैदाइश है और उन चलने वाले (जानदारों) का (पैदा करना) भी जो उसने उनमें फैला दिए हैं, और वोह उन (सब) के जमा करने पर भी जब चाहेगा बड़ा क़ादिर है।

২৯. আর তাঁর নিদর্শনাবলীর মধ্যে রয়েছে আকাশমন্ডলী ও পৃথিবীর সৃষ্টি এবং এ দু’য়ের মাঝে বিচরণশীল (প্রাণীকুলের সৃষ্টি) যেগুলো তিনি ছড়িয়ে দিয়েছেন। আর তিনি যখনই চান তখনোই এদেরকে একত্রিত করতে সক্ষম।

(الشُّوْرٰی، 42 : 29)
وَ مَاۤ اَصَابَکُمۡ مِّنۡ مُّصِیۡبَۃٍ فَبِمَا کَسَبَتۡ اَیۡدِیۡکُمۡ وَ یَعۡفُوۡا عَنۡ کَثِیۡرٍ ﴿ؕ۳۰﴾

30. اور جو مصیبت بھی تم کو پہنچتی ہے تو اُس (بد اعمالی) کے سبب سے ہی (پہنچتی ہے) جو تمہارے ہاتھوں نے کمائی ہوتی ہے حالانکہ بہت سی(کوتاہیوں) سے تو وہ درگزر بھی فرما دیتا ہےo

30. And whatever misfortune befalls you (comes upon you) as a result of that (evil work) which your own hands have done whilst He forgives most of your (misdoings).

30. Wama asabakum min museebatin fabima kasabat aydeekum wayaAAfoo AAan katheerin

30. Og hva som enn når dere av vansker, når dere på grunn av det (de illgjerningene) som hendene deres har begått, enda Han unnskylder veldig mange (forgåelser).

30. और जो मुसीबत भी तुम को पहुंचती है तो उस (बद आमाली) के सबब से ही (पहुंचती है) जो तुम्हारे हाथों ने कमाई होती है हालांकि बहुत सी (कोताहियों) से तो वोह दरगुज़र भी फरमा देता है।

৩০. আর তোমাদের যে বিপদই ঘটে তা তোমাদের (মন্দকর্মের) কারণেই যা তোমাদের হস্তসমূহ অর্জন করেছে, এমতাবস্থায় (অপরাধের) অনেক কিছু তিনি ক্ষমাও করে দেন।

(الشُّوْرٰی، 42 : 30)
وَ مَاۤ اَنۡتُمۡ بِمُعۡجِزِیۡنَ فِی الۡاَرۡضِ ۚۖ وَ مَا لَکُمۡ مِّنۡ دُوۡنِ اللّٰہِ مِنۡ وَّلِیٍّ وَّ لَا نَصِیۡرٍ ﴿۳۱﴾

31. اور تم (اپنی تدبیروں سے) اللہ کو (پوری) زمین میں عاجِز نہیں کر سکتے اور اللہ کو چھوڑ کر (بتوں میں سے) نہ کوئی تمہارا حامی ہوگا اور نہ مددگارo

31. And you cannot thwart Allah (anywhere) on earth (with your schemes). And, except Allah, none (of your idols) will be your guardian and helper.

31. Wama antum bimuAAjizeena fee alardi wama lakum min dooni Allahi min waliyyin wala naseerin

31. Og dere kan ikke gjøre Allah maktesløs (hvor som helst) på jorden (med deres listige planer), og istedenfor Allah vil ikke noen (avgudsstatuer) kunne være velynder eller hjelper for dere.

31. और तुम (अपनी तद्‌बीरों से) अल्लाह को (पूरी) ज़मीन में आजिज़ नहीं कर सकते और अल्लाह को छोड़कर (बुतों में से) न कोई तुम्हारा हामी होगा और न मददगार।

৩১. আর তোমরা (তোমাদের পরিকল্পনার মাধ্যমে) আল্লাহ্কে পৃথিবীতে (কোথাও) অক্ষম করতে পারবে না এবং আল্লাহ্ ব্যতীত (মূর্তিগুলোর মধ্যে) না তোমাদের কোনো অভিভাবক থাকবে আর না কোনো সাহায্যকারী।

(الشُّوْرٰی، 42 : 31)
اِنۡ یَّشَاۡ یُسۡکِنِ الرِّیۡحَ فَیَظۡلَلۡنَ رَوَاکِدَ عَلٰی ظَہۡرِہٖ ؕ اِنَّ فِیۡ ذٰلِکَ لَاٰیٰتٍ لِّکُلِّ صَبَّارٍ شَکُوۡرٍ ﴿ۙ۳۳﴾

33. اگر وہ چاہے ہوا کو بالکل ساکِن کر دے تو کشتیاں سطحِ سمندر پر رُکی رہ جائیں، بیشک اس میں ہر صبر شعار و شکر گزار کے لئے نشانیاں ہیںo

33. If He wills, He causes the wind to be absolutely still, and the vessels stand halted on the surface of the sea. Surely, there are signs in it for everyone who observes patience and remains grateful.

33. In yasha yuskini alrreeha fayathlalna rawakida AAala thahrihi inna fee thalika laayatin likulli sabbarin shakoorin

33. Hvis Han vil, kan Han stilne vinden helt, og skipene var blitt stillestående på havets overflate. Sannelig, i dette er det flere tegn for enhver som er veldig tålmodig og dypt takknemlig.

33. अगर वोह चाहे हवा को बिल्कुल साकिन कर दे तो कश्तियां सत्हे़ समन्दर पर रुकी रह जाएं, बेशक उसमें हर सब्र शिआरो शुक्र गुज़ार के लिए निशानियां हैं।

৩৩. আর তিনি ইচ্ছা করলে সম্পূর্ণরূপে স্থির করে দেন বায়ু, ফলে নিশ্চল হয়ে যায় সমুদ্রপৃষ্ঠের জাহাজসমূহ। নিশ্চয়ই এতে নিদর্শন রয়েছে প্রত্যেক ধৈর্যশীল এবং কৃতজ্ঞ ব্যক্তির জন্যে।

(الشُّوْرٰی، 42 : 33)
اَوۡ یُوۡبِقۡہُنَّ بِمَا کَسَبُوۡا وَ یَعۡفُ عَنۡ کَثِیۡرٍ ﴿۫۳۴﴾

34. یا اُن (جہازوں اور کشتیوں) کو اُن کے اعمالِ (بد) کے باعث جو انہوں نے کما رکھے ہیں غرق کر دے، مگر وہ بہت (سی خطاؤں) کو معاف فرما دیتا ہےo

34. Or He would drown those (vessels or ships) due to their (evil) deeds which they have earned but He forgives many (mistakes).

34. Aw yoobiqhunna bima kasaboo wayaAAfu AAan katheerin

34. Eller Han lar dem (fartøyene og skipene) grunnstøte på grunn av de illgjerningene de har fortjent, men Han unnskylder veldig mange (feiltrinn).

34. या उन (जहाज़ों और कश्तियों) को उनके आमाले (बद) के बाइस जो उन्होंने कमा रखे हैं ग़र्क़ कर दे, मगर वोह बहुत (सी ख़ताओं) को मुआफ फरमा देता है।

৩৪. অথবা সেগুলোকে (জাহাজ বা নৌযানসমূহকে) তিনি তাদের অর্জিত (মন্দ) কৃতকর্মের কারণে ডুবিয়ে দিতে পারেন। তবে তিনি অনেককে (তাদের অপরাধ) ক্ষমাও করে দেন।

(الشُّوْرٰی، 42 : 34)
فَمَاۤ اُوۡتِیۡتُمۡ مِّنۡ شَیۡءٍ فَمَتَاعُ الۡحَیٰوۃِ الدُّنۡیَا ۚ وَ مَا عِنۡدَ اللّٰہِ خَیۡرٌ وَّ اَبۡقٰی لِلَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡا وَ عَلٰی رَبِّہِمۡ یَتَوَکَّلُوۡنَ ﴿ۚ۳۶﴾

36. سو تمہیں جو کچھ بھی (مال و متاع) دیا گیا ہے وہ دنیوی زندگی کا (چند روزہ) فائدہ ہے اور جو کچھ اللہ کے پاس ہے وہ بہتر اور پائیدار ہے، (یہ) اُن لوگوں کے لئے ہے جو ایمان لاتے اور اپنے رب پر توکّل کرتے ہیںo

36. And whatever (wealth and comforts) have been given to you is a small benefit for (a few days’) worldly life, and what is with Allah is better and everlasting. And (that) is for those who believe and put trust in their Lord,

36. Fama ooteetum min shayin famataAAu alhayati alddunya wama AAinda Allahi khayrun waabqa lillatheena amanoo waAAala rabbihim yatawakkaloona

36. Den (rikdom og luksus) som er blitt dere tildelt, er (noen få dagers) fordel i jordelivet. Men det som er hos Allah, er bedre og evigvarende, (dette er) for dem som antar troen og setter sin lit til Herren sin,

36. सो तुम्हें जो कुछ भी (मालो मताअ़) दिया गया है वोह दुन्यवी ज़िन्दगी का (चन्द रोज़ा) फाइदा है और जो कुछ अल्लाह के पास है वोह बेहतर और पाएदार है (ये) उन लोगों के लिए है जो ईमान लाते और अपने रब पर तवक्कुल करते हैं।

৩৬. সুতরাং তোমাদেরকে (প্রাচুর্য ও উপভোগ সামগ্রী) যা কিছুই দেয়া হয়েছে তা পার্থিব জীবনের (স্বল্প দিনের) উপভোগের জন্যে। অপরদিকে যা কিছুই আল্লাহ্‌র নিকট রয়েছে তা উৎকৃষ্ট ও চিরস্থায়ী; (সেসব) তাদের জন্যে যারা ঈমান এনেছে এবং তাদের প্রতিপালকের উপর নির্ভর করে,

(الشُّوْرٰی، 42 : 36)
وَ الَّذِیۡنَ اسۡتَجَابُوۡا لِرَبِّہِمۡ وَ اَقَامُوا الصَّلٰوۃَ ۪ وَ اَمۡرُہُمۡ شُوۡرٰی بَیۡنَہُمۡ ۪ وَ مِمَّا رَزَقۡنٰہُمۡ یُنۡفِقُوۡنَ ﴿ۚ۳۸﴾

38. اور جو لوگ اپنے رب کا فرمان قبول کرتے ہیں اور نماز قائم رکھتے ہیں اور اُن کا فیصلہ باہمی مشورہ سے ہوتا ہے اور اس مال میں سے جو ہم نے انہیں عطا کیا ہے خرچ کرتے ہیںo

38. And those who submit to the command of their Lord, and establish prayer; and their decisions are made through mutual consultations; and they spend in Our way out of the provision which We have given them;

38. Waallatheena istajaboo lirabbihim waaqamoo alssalata waamruhum shoora baynahum wamimma razaqnahum yunfiqoona

38. og som godtar sin Herres befaling og forretter tidebønnen, og hvis avgjørelser tas etter samråd mellom dem, og som gir av det Vi har forsynt dem med,

38. और जो लोग अपने रब का फरमान क़बूल करते हैं और नमाज़ क़ाइम रखते हैं और उनका फैसला बाहमी मश्वरे से होता है और उस माल में से जो हमने उन्हें अ़ता किया है ख़र्च करते हैं।

৩৮. আর যারা তাদের প্রতিপালকের নির্দেশ গ্রহণ করে, নামায প্রতিষ্ঠা করে এবং পারস্পরিক পরামর্শের মাধ্যমে নিজেদের সিদ্ধান্ত গ্রহণ করে এবং আমি তাদেরকে যে রিযিক দিয়েছি তা থেকে ব্যয় করে;

(الشُّوْرٰی، 42 : 38)
وَ جَزٰٓؤُا سَیِّئَۃٍ سَیِّئَۃٌ مِّثۡلُہَا ۚ فَمَنۡ عَفَا وَ اَصۡلَحَ فَاَجۡرُہٗ عَلَی اللّٰہِ ؕ اِنَّہٗ لَا یُحِبُّ الظّٰلِمِیۡنَ ﴿۴۰﴾

40. اور برائی کا بدلہ اسی برائی کی مِثل ہوتا ہے، پھر جِس نے معاف کر دیا اور (معافی کے ذریعہ) اصلاح کی تو اُس کا اجر اللہ کے ذمّہ ہے۔ بیشک وہ ظالموں کو دوست نہیں رکھتاo

40. And the requital of an evil is the like of that evil. Then he who forgives and (by forgiving) reforms, his reward is with Allah. Verily, He does not make friends with the wrongdoers.

40. Wajazao sayyiatin sayyiatun mithluha faman AAafa waaslaha faajruhu AAala Allahi innahu la yuhibbu alththalimeena

40. Og det ondes lønn er det onde av samme type. Men den som unnskylder og forsoner (gjennom tilgivelse), hans lønn er Allahs ansvar. Sannelig, Han liker ikke de ondskapsfulle.

40. और बुराई का बदला उसी बुराई की मिस्ल होता है, फिर जिसने मुआफ कर दिया और (मुआफी के ज़रीए) इस्लाह की तो उसका अज्र अल्लाह के ज़िम्मे है। बेशक वोह ज़ालिमों को दोस्त नहीं रखता।

৪০. আর মন্দের প্রতিদান অনুরূপ মন্দই; অতঃপর যে ক্ষমা করে দেয় এবং (ক্ষমার মাধ্যমে) আপোষ-নিষ্পত্তি করে তার পুরস্কার আল্লাহ্‌র নিকট রয়েছে। নিশ্চয়ই তিনি অত্যাচারীদের সাথে বন্ধুত্ব রাখেন না।

(الشُّوْرٰی، 42 : 40)
اِنَّمَا السَّبِیۡلُ عَلَی الَّذِیۡنَ یَظۡلِمُوۡنَ النَّاسَ وَ یَبۡغُوۡنَ فِی الۡاَرۡضِ بِغَیۡرِ الۡحَقِّ ؕ اُولٰٓئِکَ لَہُمۡ عَذَابٌ اَلِیۡمٌ ﴿۴۲﴾

42. بس (ملامت و گرفت کی) راہ صرف اُن کے خلاف ہے جو لوگوں پر ظلم کرتے ہیں اور زمین میں ناحق سرکشی و فساد پھیلاتے ہیں، ایسے ہی لوگوں کے لئے دردناک عذاب ہےo

42. But the way (to persecute) is only against those who wrong the people and spread corruption and violence unjustly in the land. It is they for whom there is a painful torment.

42. Innama alssabeelu AAala allatheena yathlimoona alnnasa wayabghoona fee alardi bighayri alhaqqi olaika lahum AAathabun aleemun

42. Det er kun de som kan bebreides (og bli krevd regnskap fra), som er ondskapsfulle mot folk og anstifter ufred i landet urettmessig. Disse venter en smertelig pine.

42. बस (मलामतो गिरफ्त की) राह सिर्फ़ उनके ख़िलाफ है जो लोगों पर ज़ुल्म करते हैं और ज़मीन में नाहक़्क़ सरकशिओ फसाद फैलाते हैं, ऐसे ही लोगों के लिए दर्दनाक अ़ज़ाब है।

৪২. তবে তাদের বিরুদ্ধে কেবল (তিরস্কার ও গ্রেফতারের) ব্যবস্থা নেয়া হবে যারা মানুষের উপর নির্যাতন করে এবং পৃথিবীতে অন্যায়ভাবে সীমালঙ্ঘন ও বিপর্যয় সৃষ্টি করে; এদের জন্যেই রয়েছে যন্ত্রণাদায়ক শাস্তি।

(الشُّوْرٰی، 42 : 42)
وَ مَنۡ یُّضۡلِلِ اللّٰہُ فَمَا لَہٗ مِنۡ وَّلِیٍّ مِّنۡۢ بَعۡدِہٖ ؕ وَ تَرَی الظّٰلِمِیۡنَ لَمَّا رَاَوُا الۡعَذَابَ یَقُوۡلُوۡنَ ہَلۡ اِلٰی مَرَدٍّ مِّنۡ سَبِیۡلٍ ﴿ۚ۴۴﴾

44. اور جسے اللہ گمراہ ٹھہرا دے تو اُس کے لئے اُس کے بعد کوئی کارساز نہیں ہوتا، اور آپ ظالموں کو دیکھیں گے کہ جب وہ عذابِ (آخرت) دیکھ لیں گے (تو) کہیں گے: کیا (دنیا میں) پلٹ جانے کی کوئی سبیل ہے؟o

44. And the one whom Allah holds astray, for him there is no protector after that. And you will see the wrongdoers; when they see the torment (of the Last Day), they will say: ‘Is there any way to go back (to the world)?’

44. Waman yudlili Allahu fama lahu min waliyyin min baAAdihi watara alththalimeena lamma raawoo alAAathaba yaqooloona hal ila maraddin min sabeelin

44. Og den Allah lar fare vill, for ham er det ikke en eneste velynder etter Ham. Og du vil se at de ondsinnede når de har sett (det hinsidiges) pine, vil si: «Finnes det noen vei for å vende tilbake (til verden)?»

44. और जिसे अल्लाह गुमराह ठहरा दे तो उसके लिए उसके बाद कोई कारसाज़ नहीं होता, और आप ज़ालिमों को देखेंगे कि जब वोह अ़ज़ाबे (आख़िरत) देख लेंगे (तो) कहेंगे: क्या (दुन्या में) पलट जाने की कोई सबील है?

৪৪. আর আল্লাহ্ যাকে পথভ্রষ্ট করেন এরপর তার জন্যে কোনো অভিভাবক নেই; আর আপনি অত্যাচারীদেরকে দেখবেন যে, যখন তারা (পরকালের) শাস্তি প্রত্যক্ষ করবে, (তখন) বলবে, ‘(পৃথিবীতে) ফিরে যাবার কি কোনো উপায় আছে?’

(الشُّوْرٰی، 42 : 44)
وَ تَرٰىہُمۡ یُعۡرَضُوۡنَ عَلَیۡہَا خٰشِعِیۡنَ مِنَ الذُّلِّ یَنۡظُرُوۡنَ مِنۡ طَرۡفٍ خَفِیٍّ ؕ وَ قَالَ الَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡۤا اِنَّ الۡخٰسِرِیۡنَ الَّذِیۡنَ خَسِرُوۡۤا اَنۡفُسَہُمۡ وَ اَہۡلِیۡہِمۡ یَوۡمَ الۡقِیٰمَۃِ ؕ اَلَاۤ اِنَّ الظّٰلِمِیۡنَ فِیۡ عَذَابٍ مُّقِیۡمٍ ﴿۴۵﴾

45. اور آپ انہیں دیکھیں گے کہ وہ دوزخ پر ذلّت اور خوف کے ساتھ سر جھکائے ہوئے پیش کئے جائیں گے (اسے چوری چوری) چھپی نگاہوں سے دیکھتے ہوں گے، اور ایمان والے کہیں گے: بیشک نقصان اٹھانے والے وہی لوگ ہیں جنہوں نے اپنی جانوں کو اور اپنے اہل و عیال کو قیامت کے دن خسارے میں ڈال دیا، یاد رکھو! بیشک ظالم لوگ دائمی عذاب میں (مبتلا) رہیں گےo

45. And you will see them brought to Hell with their heads bent with disgrace and fear, looking at it covertly (with a stealthy glance) and the believers will say: ‘Surely, the losers are those who put their own souls and their families into loss on the Day of Rising. Remember! Indeed, the wrongdoers will remain in (the agony of) a lasting torment.

45. Watarahum yuAAradoona AAalayha khashiAAeena mina alththulli yanthuroona min tarfin khafiyyin waqala allatheena amanoo inna alkhasireena allatheena khasiroo anfusahum waahleehim yawma alqiyamati ala inna alththalimeena fee AAathabin muqeemin

45. Og du vil se dem når de blir framstilt for helvete, fulle av frykt med hodet bøyd av vanære; de vil smugtitte på det (med stjålne blikk). Og de troende vil si: «Sannelig, taperne er de som påfører sin sjel og sine familier tap på oppstandelsens dag!» Husk! Sannelig, de ondsinnede vil være (fanget) i en evinnelig pine.

45. और आप उन्हें देखेंगे कि वोह दोज़ख़ पर ज़िल्लत और ख़ौफ के साथ सर झुकाए हुए पेश किए जाएंगे (उसे चोरी चोरी) छुपी निगाहों से देखते होंगे, और ईमान वाले कहेंगे: बेशक नुक़्सान उठाने वाले वही लोग हैं जिन्होंने अपनी जानों को और अपने अह्‌लो अ़याल को क़ियामत के दिन ख़सारे में डाल दिया, याद रखो! बेशक ज़ालिम लोग दाईमी अ़ज़ाब में (मुब्तला) रहेंगे।

৪৫. আর আপনি তাদেরকে দেখতে পাবেন যে, তাদেরকে জাহান্নামের সম্মুখে আনা হচ্ছে, তারা অপমানে ভীত অবস্থায় অবনত মস্তকে (চুপিসারে) অর্ধনিমীলিত নয়নে তাকাচ্ছে। আর ঈমানদারগণ বলবে, ‘নিশ্চয়ই ক্ষতিগ্রস্ত তারাই যারা কিয়ামতের দিন নিজেদের এবং নিজের পরিবার-পরিজনের ক্ষতিসাধন করেছে’। মনে রেখো! নিশ্চয়ই অত্যাচারীরা স্থায়ী শাস্তিতে (নিমজ্জিত) থাকবে।

(الشُّوْرٰی، 42 : 45)
وَ مَا کَانَ لَہُمۡ مِّنۡ اَوۡلِیَآءَ یَنۡصُرُوۡنَہُمۡ مِّنۡ دُوۡنِ اللّٰہِ ؕ وَ مَنۡ یُّضۡلِلِ اللّٰہُ فَمَا لَہٗ مِنۡ سَبِیۡلٍ ﴿ؕ۴۶﴾

46. اور اُن (کافروں) کے لئے کوئی حمایتی نہیں ہوں گے جو اللہ کے مقابل اُن کی مدد کر سکیں، اور جسے اللہ گمراہ ٹھہرا دیتا ہے تو اس کے لئے (ہدایت کی) کوئی راہ نہیں رہتیo

46. And there will be no supporters for the (disbelievers) to help them against Allah. And he whom Allah holds astray, there is no way left for him (towards guidance).

46. Wama kana lahum min awliyaa yansuroonahum min dooni Allahi waman yudlili Allahu fama lahu min sabeelin

46. Og det vil ikke for de (vantro) være noen velyndere som kan hjelpe dem mot Allah. Og den Allah lar fare vill, for ham blir det ikke igjen noen vei (av rettledning).

46. और उन (काफिरों) के लिए कोई हिमायती नहीं होंगे जो अल्लाह के मुक़ाबिल उनकी मदद कर सकें, और जिसे अल्लाह गुमराह ठहरा देता है तो उसके लिए (हिदायत की) कोई राह नहीं रहती।

৪৬. আর এদের (এ কাফেরদের) জন্যে কোনো সমর্থক থাকবে না যারা আল্লাহ্‌র বিপক্ষে তাদেরকে সাহায্য করবে এবং আল্লাহ্ যাকে পথভ্রষ্ট করেন তার জন্যে (হেদায়াতের) কোনো পথ নেই।

(الشُّوْرٰی، 42 : 46)
اِسۡتَجِیۡبُوۡا لِرَبِّکُمۡ مِّنۡ قَبۡلِ اَنۡ یَّاۡتِیَ یَوۡمٌ لَّا مَرَدَّ لَہٗ مِنَ اللّٰہِ ؕ مَا لَکُمۡ مِّنۡ مَّلۡجَاٍ یَّوۡمَئِذٍ وَّ مَا لَکُمۡ مِّنۡ نَّکِیۡرٍ ﴿۴۷﴾

47. تم لوگ اپنے رب کا حکم قبول کر لو قبل اِس کے کہ وہ دن آجائے جو اللہ کی طرف سے ٹلنے والا نہیں ہے، نہ تمہارے لئے اُس دن کوئی جائے پناہ ہوگی اور نہ تمہارے لئے کوئی جائے انکارo

47. Accept and submit to the command of your Lord before the Day comes for which there is no averting from Allah. There will be no shelter for you on that Day. Nor will there be any possibility for you to deny.

47. Istajeeboo lirabbikum min qabli an yatiya yawmun la maradda lahu mina Allahi ma lakum min maljain yawmaithin wama lakum min nakeerin

47. Godta deres Herres befaling før den dagen kommer som ikke skal snus tilbake av Allah. Ikke vil det være noe tilfluktssted på den dagen for dere, og ei heller vil det være noen mulighet for dere til å nekte.

47. तुम लोग अपने रब का हुक्म क़बूल कर लो क़ब्ल इसके कि वोह दिन आ जाए जो अल्लाह की तरफ से टलने वाला नहीं है, न तुम्हारे लिए उस दिन कोई जाए पनाह होगी और न तुम्हारे लिए कोई जाए इन्कार।

৪৭. তোমাদের প্রতিপালকের নির্দেশ গ্রহণ করো সেদিনটি আগত হবার পূর্বেই যা আল্লাহ্‌র তরফ থেকে অব্যাহতি পাবে না; সেদিন তোমাদের জন্যে কোনো আশ্রয়স্থলও থাকবে না এবং তোমাদের জন্যে অস্বীকার করার কোনো সুযোগও থাকবে না।

(الشُّوْرٰی، 42 : 47)
فَاِنۡ اَعۡرَضُوۡا فَمَاۤ اَرۡسَلۡنٰکَ عَلَیۡہِمۡ حَفِیۡظًا ؕ اِنۡ عَلَیۡکَ اِلَّا الۡبَلٰغُ ؕ وَ اِنَّاۤ اِذَاۤ اَذَقۡنَا الۡاِنۡسَانَ مِنَّا رَحۡمَۃً فَرِحَ بِہَا ۚ وَ اِنۡ تُصِبۡہُمۡ سَیِّئَۃٌۢ بِمَا قَدَّمَتۡ اَیۡدِیۡہِمۡ فَاِنَّ الۡاِنۡسَانَ کَفُوۡرٌ ﴿۴۸﴾

48. پھر (بھی) اگر وہ رُوگردانی کریں تو ہم نے آپ کو اُن پر (تباہی سے بچانے کا) ذمّہ دار بنا کر نہیں بھیجا۔ آپ پر تو صرف (پیغامِ حق) پہنچا دینے کی ذمّہ داری ہے، اور بیشک جب ہم انسان کو اپنی بارگاہ سے رحمت (کا ذائقہ) چکھاتے ہیں تو وہ اس سے خوش ہو جاتا ہے اور اگر انہیں کوئی مصیبت پہنچتی ہے اُن کے اپنے ہاتھوں سے آگے بھیجے ہوئے اعمالِ (بد) کے باعث، تو بیشک انسان بڑا ناشکر گزار (ثابت ہوتا) ہےo

48. (Even) then if they turn away, We have not sent you with any responsibility for (saving) them (from destruction). You are responsible only to convey (the message of truth). And verily, when We make man taste (the savour) of mercy from Our presence, he feels pleased. But when some misfortune reaches them, owing to the (evil) deeds sent ahead by their own hands, then no doubt man (proves) to be highly ungrateful.

48. Fain aAAradoo fama arsalnaka AAalayhim hafeethan in AAalayka illa albalaghu wainna itha athaqna alinsana minna rahmatan fariha biha wain tusibhum sayyiatun bima qaddamat aydeehim fainna alinsana kafoorun

48. Men hvis de fortsatt vender seg bort, så har Vi ikke sendt deg som ansvarlig for (å berge) dem (fra fordervelsen). Det påligger deg kun å videreformidle (sannhetens budskap). Og sannelig, når Vi lar menneskene smake nåde fra Oss, blir de frydefull av den. Men hvis de blir hjemsøkt av noen vansker som følge av de illgjerningene som hendene deres har sendt i forveien, da viser menneskene seg i sannhet å være svært utakknemlige.

48. फिर (भी) अगर वोह रूगर्दानी करें तो हमने आपको उन पर (तबाही से बचाने का) ज़िम्मेदार बनाकर नहीं भेजा। आप पर तो सिर्फ़ (पैग़ामे हक़्क़) पहुंचा देने की ज़िम्मेदारी है, और बेशक जब हम इंसान को अपनी बारगाह से रहमत (का ज़ाइक़ा) चखाते हैं तो वोह उससे ख़ुश हो जाता है और अगर उन्हें कोई मुसीबत पहुंचती है उनके अपने हाथों से आगे भेजे हुए आमाले (बद) के बाइस तो बेशक इंसान बड़ा नाशुक्रगुज़ार (साबित होता) है।

৪৮. এরপর(ও) যদি তারা মুখ ফিরিয়ে নেয়, তবে আপনাকে আমরা তাদের (রক্ষার) জন্যে রক্ষকরূপে প্রেরণ করিনি। আপনার দায়িত্ব তো কেবল (সত্যের বার্তা) পৌঁছে দেয়া। আর অবশ্য যখন আমরা মানুষকে আমাদের পক্ষ থেকে অনুগ্রহ আস্বাদন করাই, তখন সে আনন্দিত হয় এবং যদি তাদের কোনো বিপদাপদ ঘটে, যা তাদের হস্ত পূর্ব থেকেই প্রেরণ করে রেখেছে তার কারণে, তবে বাস্তবিকই (প্রমাণিত যে) মানুষ অত্যন্ত অকৃতজ্ঞ।

(الشُّوْرٰی، 42 : 48)
لِلّٰہِ مُلۡکُ السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضِ ؕ یَخۡلُقُ مَا یَشَآءُ ؕیَہَبُ لِمَنۡ یَّشَآءُ اِنَاثًا وَّ یَہَبُ لِمَنۡ یَّشَآءُ الذُّکُوۡرَ ﴿ۙ۴۹﴾

49. اللہ ہی کے لئے آسمانوں اور زمین کی بادشاہت ہے، وہ جو چاہتا ہے پیدا فرماتا ہے، جسے چاہتا ہے لڑکیاں عطا کرتا ہے اور جسے چاہتا ہے لڑکے بخشتا ہےo

49. For Allah alone is the sovereignty of the heavens and the earth. He creates what He likes. He blesses with girls whom He wills and blesses with boys whom He wills.

49. Lillahi mulku alssamawati waalardi yakhluqu ma yashao yahabu liman yashao inathan wayahabu liman yashao alththukoora

49. Allah tilhører kongemakten over himlene og jorden, Han skaper hva Han vil! Han skjenker jenter til hvem Han enn vil, og Han skjenker gutter til hvem Han enn vil.

49. अल्लाह ही के लिए आस्मानों और ज़मीन की बादशाहत है, वोह जो चाहता है पैदा फरमाता है, जिसे चाहता है लड़कियां अ़ता करता है और जिसे चाहता है लड़के बख़्शता है।

৪৯. আকাশমন্ডলী এবং পৃথিবীর সার্বভৌমত্ব আল্লাহ্‌রই; তিনি যা ইচ্ছা তাই সৃষ্টি করেন। তিনি যাকে ইচ্ছা কন্যা সন্তান দান করেন এবং যাকে ইচ্ছা পুত্র সন্তান দান করেন।

(الشُّوْرٰی، 42 : 49)
اَوۡ یُزَوِّجُہُمۡ ذُکۡرَانًا وَّ اِنَاثًا ۚ وَ یَجۡعَلُ مَنۡ یَّشَآءُ عَقِیۡمًا ؕ اِنَّہٗ عَلِیۡمٌ قَدِیۡرٌ ﴿۵۰﴾

50. یا انہیں بیٹے اور بیٹیاں (دونوں) جمع فرماتا ہے اور جسے چاہتا ہے بانجھ ہی بنا دیتا ہے، بیشک وہ خوب جاننے والا بڑی قدرت والا ہےo

50. Or He gives them daughters and sons (both) and makes infertile whom He wills. Surely, he is All-Knowing, All-Powerful.

50. Aw yuzawwijuhum thukranan wainathan wayajAAalu man yashao AAaqeeman innahu AAaleemun qadeerun

50. Eller Han samler for dem (gir dem) både gutter og jenter, og Han gjør den Han vil, ufruktbar. Sannelig, Han er allvitende, allevnende.

50. या उन्हें बेटे और बेटियां (दोनों) जमा फरमाता है और जिसे चाहता है बांझ ही बना देता है, बेशक वोह ख़ूब जानने वाला बड़ी क़ुदरत वाला है।

৫০. অথবা পুত্র ও কন্যা উভয়ই দেন। আর যাকে ইচ্ছা বন্ধা করে দেন। নিশ্চয়ই তিনি সর্বজ্ঞ, সর্বশক্তিমান।

(الشُّوْرٰی، 42 : 50)
وَ مَا کَانَ لِبَشَرٍ اَنۡ یُّکَلِّمَہُ اللّٰہُ اِلَّا وَحۡیًا اَوۡ مِنۡ وَّرَآیِٔ حِجَابٍ اَوۡ یُرۡسِلَ رَسُوۡلًا فَیُوۡحِیَ بِاِذۡنِہٖ مَا یَشَآءُ ؕ اِنَّہٗ عَلِیٌّ حَکِیۡمٌ ﴿۵۱﴾

51. اور ہر بشر کی (یہ) مجال نہیں کہ اللہ اس سے (براہِ راست) کلام کرے مگر یہ کہ وحی کے ذریعے (کسی کو شانِ نبوت سے سرفراز فرما دے) یا پردے کے پیچھے سے (بات کرے جیسے موسٰی علیہ السلام سے طورِ سینا پر کی) یا کسی فرشتے کو فرستادہ بنا کر بھیجے اور وہ اُس کے اِذن سے جو اللہ چاہے وحی کرے (الغرض عالمِ بشریت کے لئے خطابِ اِلٰہی کا واسطہ اور وسیلہ صرف نبی اور رسول ہی ہوگا)، بیشک وہ بلند مرتبہ بڑی حکمت والا ہےo

51. And every man does not have the faculty that Allah should speak to him (directly) except by Revelation (He bestows upon some the holy status of Prophethood), or (should speak) from behind a veil (as He spoke to Musa [Moses] on Mount Tur of Sinai), or by sending some angel as a messenger to reveal with His permission what Allah may will. (In any case, the medium and mediation of the communication of Allah’s Word for mankind is none but the Prophet and the Messenger.) Surely, He is Most High, Most Wise.

51. Wama kana libasharin an yukallimahu Allahu illa wahyan aw min warai hijabin aw yursila rasoolan fayoohiya biithnihi ma yashao innahu AAaliyyun hakeemun

51. Og ikke ethvert menneske er verdig nok til å kunne tale (uten noen mellomledd) med Allah, unntatt ved åpenbaring (at Han skjenker noen profetskapets rang) eller fra bak et slør (slik som Han talte til Moses ved Sinaifjellet) eller ved å sende en engel som budbringer, så han ved Allahs befaling åpenbarer det Han vil (uansett hva, så vil Allahs ords tilknytning og mellomledd være Allahs profet og sendebud for menneskeheten). Sannelig, Han er høyest, mest vis.

51. और हर बशर की (ये) मजाल नहीं कि अल्लाह उससे (बराहे रास्त) कलाम करे मगर ये कि वही के जरीए (किसी को शाने नुबुव्वत से सरफराज फरमा दे) या पर्दे के पीछे से (बात करे जैसे मूसा अ़लैहिस्सलाम से तूरे सीना पर की) या किसी फरिश्ते को फिरिस्तादा बनाकर भेजे और वोह उसके इज़्न से जो अल्लाह चाहे वही करे (अल ग़रज आलमे बशरिय्यत के लिए ख़िताबे इलाही का वास्ता और वसीला सिर्फ नबी और रसूल ही होगा), बेशक वोह बलन्द मर्तबा बड़ी हिक्मत वाला है।

৫১. আর কোনো মানুষের (এ) অবকাশ নেই যে, আল্লাহ্ তার সাথে (সরাসরি) কথা বলবেন, ওহীর মাধ্যমে (কাউকে নবুয়্যতের মর্যাদা প্রদান করা) ব্যতীরেকে অথবা পর্দার অন্তরাল ব্যতীরেকে (যেমন মূসা আলাইহিস সালামের সাথে সিনাই পর্বতে বলেছেন।) অথবা তাঁর অনুমতিক্রমে কোনো ফেরেশতাকে দূত হিসেবে প্রেরণ ব্যতীরেকে; আল্লাহ্ যা চান তা প্রত্যাদেশ করেন। (মোটকথা মানবজাতির জন্যে আল্লাহ্‌র সাথে যোগাযোগের মাধ্যম এবং উপলক্ষ কেবল নবী-রাসূলগণই হবেন।) নিশ্চয়ই তিনি উচ্চ মর্যাদার অধিকারী, প্রজ্ঞাবান।

(الشُّوْرٰی، 42 : 51)
وَ کَذٰلِکَ اَوۡحَیۡنَاۤ اِلَیۡکَ رُوۡحًا مِّنۡ اَمۡرِنَا ؕ مَا کُنۡتَ تَدۡرِیۡ مَا الۡکِتٰبُ وَ لَا الۡاِیۡمَانُ وَ لٰکِنۡ جَعَلۡنٰہُ نُوۡرًا نَّہۡدِیۡ بِہٖ مَنۡ نَّشَآءُ مِنۡ عِبَادِنَا ؕ وَ اِنَّکَ لَتَہۡدِیۡۤ اِلٰی صِرَاطٍ مُّسۡتَقِیۡمٍ ﴿ۙ۵۲﴾

52. سو اسی طرح ہم نے آپ کی طرف اپنے حکم سے روحِ (قلوب و ارواح) کی وحی فرمائی (جو قرآن ہے)، اور آپ (وحی سے قبل اپنی ذاتی درایت و فکر سے) نہ یہ جانتے تھے کہ کتاب کیا ہے اور نہ ایمان (کے شرعی احکام کی تفصیلات کو ہی جانتے تھے جو بعد میں نازل اور مقرر ہوئیں)(1) مگر ہم نے اسے نور بنا دیا۔ ہم اِس (نور) کے ذریعہ اپنے بندوں میں سے جسے چاہتے ہیں ہدایت سے نوازتے ہیں، اور بیشک آپ ہی صراطِ مستقیم کی طرف ہدایت عطا فرماتے ہیں(2)o

1:- آپ صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم کی شانِ اُمّیت کی طرف اشارہ ہے تاکہ کفّار آپ کی زبان سے قرآن کی آیات اور ایمان کی تفصیلات سن کر یہ بدگمانی نہ پھیلائیں کہ یہ سب کچھ حضرت محمد مصطفی صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم نے اپنے ذاتی علم اور تفکر سے گھڑ لیا ہے کچھ نازل نہیں ہوا، سو یہ اَز خود نہ جاننا حضور صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم کا عظیم معجزہ بنا دیا گیا۔ 2:- اے حبیب! آپ کا ہدایت دینا اور ہمارا ہدایت دینا دونوں کی حقیقت ایک ہی ہے اور صرف انہی کو ہدایت نصیب ہوتی ہے جو اس حقیقت کی معرفت اور اس سے وابستگی رکھتے ہیں۔

52. So thus We revealed to you Our Spirit (of hearts and souls) by Our command (that is the Qur’an). And (before the Revelation) you did not know what the Book was, nor did you know (through your own endeavour and insight the details of the injunctions of) faith (which were sent down and determined later).* But We made it a Light. By means of this Light, We give guidance to those of Our servants whom We intend. And assuredly, you alone provide guidance towards the straight path.**

* Here reference is made to the glory of the Holy Prophet (blessings and peace be upon him) as being an Ummi (not taught to read or write) so that the disbelievers, hearing the Verses of the Qur’an and the details of faith from him, may not spread this evil thought that the Holy Prophet Muhammad (blessings and peace be upon him) has invented it out of his personal knowledge, learning and scholarship and that nothing has been sent down to him. So this unletteredness has been one of his great miracles.
** O Beloved! The reality of guidance is the same whether by you or by Us. And guidance is only the share of the one who acquires the knowledge of this fact and then sticks to it tenaciously.

52. Wakathalika awhayna ilayka roohan min amrina ma kunta tadree ma alkitabu wala aleemanu walakin jaAAalnahu nooran nahdee bihi man nashao min AAibadina wainnaka latahdee ila siratin mustaqeemin

52. Og slik har Vi for deg åpenbart (hjertets og sjelens) ånd av Vår befaling (Koranen). Og du visste ikke (før åpenbaringens gang til deg gjennom din egen kunnskap og innsikt) hva skriften var, og ei heller troen (troens lovbestemmelsers detaljer, for de ble åpenbart litt etter litt i etterkant).* Men Vi gjorde den til lys! Vi rettleder ved det (lyset) hvem Vi enn vil av Våre tjenere. Og sannelig, du rettleder til den rette veien.*

* Her pekes det på Profeten Mohammads ﷺ rang som Profeten som fikk tildelt den forjettede visdommen (Koranen), for at de vantro ikke skulle spre sine falske ord etter å ha hørt Koranens vers og troens detaljer fra Profeten ﷺ. om at Profeten Mohammad den uvalgte ﷺ har oppdiktet alt dette av sin egen kunnskap og innsikt, og at intet er åpenbart av Allah. Dermed blir dette at Hans Hellighet ﷺ ikke visste noe av seg selv, gjort til og uttrykt som et stort mirakel av Hans Nåde ﷺ
** Det som framgår av sammenhengen her, er: «Kjære elskede! Det at du rettleder, eller at Vi rettleder, begges sannhet er ett! Kun de oppnår rettledningen som eier erkjennelsesevnen av og har tilknytning til dennesannheten.»

52. सो इसी तरह हमने आपकी तरफ अपने हुक्म से रूहे (कुलूबो अरवाह) की वही फरमाई (जो क़ुरआन है), और आप (वही से क़ब्ल अपनी ज़ाती दिरायतो फिक्र से) न ये जानते थे कि किताब क्या है और न ईमान (के शरई अहकाम की तफ्सीलात को ही जानते थे जो बाद में नाज़िल और मुक़र्रर हुईं) * मगर हमने उसे नूर बना दिया। हम इस (नूर) के जरीए अपने बन्दों में से जिसे चाहते हैं हिदायत से नवाज़ते हैं, और बेशक आप ही सिराते मुस्तक़ीम की तरफ हिदायत अ़ता फरमाते हैं। **

* (आप सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम की शाने उम्मिय्यत की तरफ इशारा है ताकि कुफ्फार आपकी जु़बान से क़ुरआन की आयात और ईमान की तफ्सीलात सुनकर ये बदगुमानी न फैलाएं कि ये सब कुछ हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम ने अपने ज़ाती इल्म और तफक्कुर से घड़ लिया है कुछ नाज़िल नहीं हुवा, सो ये अज़ खु़द न जानना हुजूर सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम का अ़ज़ीम मो’जिज़ा बना दिया गया।) ** (ऐ हबीब! आपका हिदायत देना और हमारा हिदायत देना दोनों की हक़ीक़त एक ही है और सिर्फ उन्ही को हिदायत नसीब होती है जो इस हक़ीक़त की मा’रेफत और इससे वाबस्तगी रखते हैं।)

৫২. সুতরাং এভাবেই আমরা আপনার প্রতি নিজ নির্দেশে (অন্তর ও আত্মার) প্রত্যাদেশ করেছি (আর তা হলো কুরআন)। আর (ওহীর পূর্বে নিজ সত্তাগত প্রচেষ্টা ও ধ্যানের মাধ্যমে) না আপনি জানতেন কিতাব কী আর না ঈমান (-এর শরয়ী বিধিবিধানের বিস্তারিত বিষয়াদিও জানতেন, যা পরবর্তীতে অবতীর্ণ ও নির্ধারিত করা হয়েছিল)।* পক্ষান্তরে আমরা একে আলোকবর্তিকা বানিয়েছি যা দ্বারা আমাদের বান্দাদের মধ্যে যাকে ইচ্ছা পথনির্দেশ করি। আর নিশ্চয় আপনি তো সরল পথের দিকে হেদায়াত দান করেন।**

*এতে হুযুর সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়া আলিহী ওয়াসাল্লামের শানে উম্মিয়্যাত বা প্রচলিত জ্ঞান লাভ না করার দিকে ইঙ্গিত রয়েছে; যাতে কাফেরেরা তাঁর মুখে কুরআনের আয়াত বা ঈমানের বিস্তারিত বিষয়াদি শ্রবণ করে এ খারাপ ধারণা না ছড়ায় যে, এসব কিছু হযরত মুহাম্মদ মুস্তাফা সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়া আলিহী ওয়াসাল্লাম নিজের সত্তাগত জ্ঞান ও ধ্যান-ধারণার মাধ্যমে তৈরি করেছেন, কিছুই অবতীর্ণ হয়নি। সুতরাং নিজ থেকে না জানাকে হুযুর সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয় আলিহী ওয়াসাল্লামের মহান অলৌকিকত্যের প্রকাশ হিসেবে দেখানো হয়েছে।

(الشُّوْرٰی، 42 : 52)
صِرَاطِ اللّٰہِ الَّذِیۡ لَہٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَ مَا فِی الۡاَرۡضِ ؕ اَلَاۤ اِلَی اللّٰہِ تَصِیۡرُ الۡاُمُوۡرُ ﴿٪۵۳﴾

53. (یہ صراطِ مستقیم) اسی اللہ ہی کا راستہ ہے جو آسمانوں اور زمین کی ہر چیز کا مالک ہے۔ جان لو! کہ سارے کام اللہ ہی کی طرف لوٹتے ہیںo

53. (This straight path is) the path of Allah to Whom belongs whatever is in the heavens and whatever is in the earth. Beware! All matters return to Allah alone.

53. Sirati Allahi allathee lahu ma fee alssamawati wama fee alardi ala ila Allahi taseeru alomooru

53. (Denne rette veien er) Allahs vei, Han som alt det som i himlene og alt det som på jorden er, tilhører. Vit! Alle saker vender tilbake til Allah alene.

53. (ये सिराते मुस्तक़ीम) उसी अल्लाह ही का रास्ता है जो आस्मानों और ज़मीन की हर चीज़ का मालिक है। जान लो! कि सारे काम अल्लाह ही की तरफ लौटते हैं।

৫৩. (এ সরল পথ) ওই আল্লাহ্‌রই পথ যিনি আকাশমন্ডলী ও পৃথিবীর সকল কিছুর মালিক। জেনে রাখো! সমস্ত কর্মকান্ড আল্লাহ্‌র দিকেই প্রত্যাবর্তন করে।

(الشُّوْرٰی، 42 : 53)