Surah Maryam with Urdu Translation

Irfan-ul-Quran
  • 16پارہ نمبر
  • 98آيات
  • 6رکوع
  • 44ترتيب نزولي
  • 19ترتيب تلاوت
  • مکیسورہ
or

اللہ کے نام سے شروع جو نہایت مہربان ہمیشہ رحم فرمانے والا ہے

In the Name of Allah, the Most Compassionate, the Ever-Merciful

قَالَ رَبِّ اِنِّیۡ وَہَنَ الۡعَظۡمُ مِنِّیۡ وَ اشۡتَعَلَ الرَّاۡسُ شَیۡبًا وَّ لَمۡ اَکُنۡۢ بِدُعَآئِکَ رَبِّ شَقِیًّا ﴿۴﴾

4. عرض کیا: اے میرے رب! میرے جسم کی ہڈیاں کمزور ہوگئی ہیں اوربڑھاپے کے باعث سر آگ کے شعلہ کی مانند سفید ہوگیا ہے اور اے میرے رب! میں تجھ سے مانگ کر کبھی محروم نہیں رہاo

4. He submitted: ‘O my Lord, my bones have grown tender and (my) head has turned white like a flame due to old age and, O my Lord, I have never been unblessed when supplicating You.

4. Qala rabbi innee wahana alAAathmu minnee waishtaAAala alrrasu shayban walam akun biduAAaika rabbi shaqiyyan

4. Sakarias sa ydmykt: «Herren min, min kropps bein er blitt svake, og av alderdom er hodet blitt hvitt som ildens flamme. Og Herren min, jeg har aldri vendt tilbake tomhendt når jeg har bedt til Deg.

4. अ़र्ज़ किया: ऐ मेरे रब! मेरे जिस्म की हडि्डयां कमज़ोर हो गई हैं और बुढ़ापे के बाइस सर आग के शोले की मानिन्द सफ़ेद हो गया है और ऐ मेरे रब! मैं तुझ से मांग कर कभी महरूम नहीं रहा।

৪. তিনি আরয করলেন, ‘হে আমার প্রতিপালক! আমার অস্থি দুর্বল হয়ে পড়েছে এবং বার্ধক্যের কারণে (আমার) মস্তক অগ্নিশিখার ন্যায় শুভ্রোজ্জ্বল হয়ে গিয়েছে। আর হে আমার প্রতিপালক! তোমার কাছে প্রার্থনা করে কখনো আমি বঞ্চিত হইনি।

(مَرْيَم، 19 : 4)
وَ اِنِّیۡ خِفۡتُ الۡمَوَالِیَ مِنۡ وَّرَآءِیۡ وَ کَانَتِ امۡرَاَتِیۡ عَاقِرًا فَہَبۡ لِیۡ مِنۡ لَّدُنۡکَ وَلِیًّا ۙ﴿۵﴾

5. اور میں اپنے (رخصت ہوجانے کے) بعد (بے دین) رشتہ داروں سے ڈرتا ہوں (کہ وہ دین کی نعمت ضائع نہ کر بیٹھیں) اور میری بیوی (بھی) بانجھ ہے سو تو مجھے اپنی (خاص) بارگاہ سے ایک وارث (فرزند) عطا فرماo

5. And I fear my (disbelieving) relatives (may ruin the blessing of Din [Religion]) after my (soul departs) and my wife (too) is barren. So bless me from Your presence with an heir (son),

5. Wainnee khiftu almawaliya min waraee wakanati imraatee AAaqiran fahab lee min ladunka waliyyan

5. Og jeg frykter for mine (gudløse; uten sans og følelse for religion) slektninger etter meg (min bortgang, at de kommer til å tape levemåtens [religionens] velsignelse), og hustruen min er ufruktbar, så skjenk meg fra Deg en arving (en sønn),

5. और मैं अपने (रुख़्सत हो जाने के) बाद (बे दीन) रिश्तेदारों से डरता हूं (कि वोह दीन की नेअ़मत ज़ाए’ न कर बैठें) और मेरी बीवी (भी) बांझ है सो तू मुझे अपनी (ख़ास) बारगाह से एक वारिस (फरजन्द) अ़ता फरमा।

৫. আর আমার (মৃত্যুর) পর আমার (বেদ্বীন) স্বগোত্রীয়দেরকে নিয়ে আমি আশঙ্কা করছি (তারা দ্বীনকে নষ্ট করে দেবে); আমার স্ত্রী(ও) বন্ধা, সুতরাং তুমি তোমার (বিশেষ) সান্নিধ্য থেকে আমাকে এক উত্তরাধিকারী (সন্তান) দান করো

(مَرْيَم، 19 : 5)
یَّرِثُنِیۡ وَ یَرِثُ مِنۡ اٰلِ یَعۡقُوۡبَ ٭ۖ وَ اجۡعَلۡہُ رَبِّ رَضِیًّا ﴿۶﴾

6. جو (آسمانی نعمت میں) میرا (بھی) وارث بنے اور یعقوب (علیہ السلام) کی اولاد (کے سلسلۂ نبوت) کا (بھی) وارث ہو، اور اے میرے رب! تو (بھی) اسے اپنی رضا کا حامل بنا لےo

6. (The one) who should be my heir (of divine blessing), and also the heir of (the chain of Prophethood from) the Children of Ya‘qub (Jacob). And, O my Lord, (also) make him a recipient of Your Pleasure.’

6. Yarithunee wayarithu min ali yaAAqooba waijAAalhu rabbi radiyyan

6. som arver meg (den guddommelige velsignelsen) og arver (profetskapet som alltid har vandret blant) Jakobs etterkommere. Og Herren min, gjør ham til en Du er vel tilfreds med.»

6. जो (आस्मानी नेअ़मत में) मेरा (भी) वारिस बने और याक़ूब (अ़लैहिस्सलाम) की औलाद (के सिलसिलए नुबुव्वत) का (भी) वारिस हो और ऐ मेरे रब! तू (भी) उसे अपनी रज़ा का हामिल बना ले।

,৬. যে আমার উত্তরাধিকারী হবে (ঐশী অনুগ্রহে) এবং (নবুয়্যতের ধারাবাহিকতায়) উত্তরাধিকারী হবে ইয়াকুব (আলাইহিস সালাম)-এঁর বংশধরদের। আর হে আমার প্রতিপালক! তুমি তাকে অধিকারী করো তোমার সন্তোষভাজনের।’

(مَرْيَم، 19 : 6)
یٰزَکَرِیَّاۤ اِنَّا نُبَشِّرُکَ بِغُلٰمِۣ اسۡمُہٗ یَحۡیٰی ۙ لَمۡ نَجۡعَلۡ لَّہٗ مِنۡ قَبۡلُ سَمِیًّا ﴿۷﴾

7. (ارشاد ہوا:) اے زکریا! بیشک ہم تمہیں ایک لڑکے کی خوشخبری سناتے ہیں جس کا نام یحیٰی (علیہ السلام) ہوگا ہم نے اس سے پہلے اس کا کوئی ہم نام نہیں بنایاo

7. (Allah said:) ‘O Zakariyya (Zacharias), indeed We give you the good news of a son whose name shall be Yahya (John). We have not given this name to anyone before him.’

7. Ya zakariyya inna nubashshiruka bighulamin ismuhu yahya lam najAAal lahu min qablu samiyyan

7. (Allah sa): «Å, Sakarias! Sannelig, Vi bebuder deg det gledelige budskapet om en sønn, hvis navn skal være Johannes, Vi har ikke skapt noen før ham med det samme navnet!»

7. (इर्शाद हुवा) ऐ ज़करिय्या! बेशक हम तुम्हें एक लड़के की खुशख़बरी सुनाते हैं जिसका नाम यह्य़ा (अ़लैहिस्सलाम) होगा हमने उससे पहले उसका कोई हमनाम नहीं बनाया।

৭. (এরশাদ হল,) ‘হে যাকারিয়্যা! নিশ্চয়ই আমরা তোমাকে এক পুত্রের সুসংবাদ দিচ্ছি, যার নাম হবে ইয়াহইয়া (আলাইহিস সালাম); এ নাম তাঁর পূর্বে আমরা কাউকেই দেইনি।’

(مَرْيَم، 19 : 7)
قَالَ رَبِّ اَنّٰی یَکُوۡنُ لِیۡ غُلٰمٌ وَّ کَانَتِ امۡرَاَتِیۡ عَاقِرًا وَّ قَدۡ بَلَغۡتُ مِنَ الۡکِبَرِ عِتِیًّا ﴿۸﴾

8. (زکریا علیہ السلام نے) عرض کیا: اے میرے رب! میرے ہاں لڑکا کیسے ہو سکتا ہے درآنحالیکہ میری بیوی بانجھ ہے اور میں خود بڑھاپے کے باعث (انتہائی ضعف میں) سوکھ جانے کی حالت کو پہنچ گیا ہوںo

8. (Zakariyya [Zacharias]) submitted: ‘My Lord, how can there be a son to me whilst my wife is barren, and I have shrivelled (into extreme debility) on account of old age?’

8. Qala rabbi anna yakoonu lee ghulamun wakanati imraatee AAaqiran waqad balaghtu mina alkibari AAitiyyan

8. Sakarias sa ydmykt: «Herren min! Hvordan kan da jeg få en sønn når min hustru er ufruktbar og jeg har nådd en inntørket tilstand (av svakhet) på grunn av alderdom?»

8. (ज़करिय्या अ़लैहिस्सलाम ने) अ़र्ज़ किया: ऐ मेरे रब! मेरे हां लड़का कैसे हो सकता है दर आं हालीकि मेरी बीवी बांझ है और मैं ख़ुद बुढ़ापे के बाइस (इन्तिहाई ज़ो’फ में) सूख जाने की हालत को पहुंच गया हूं।

৮. (যাকারিয়্যা আলাইহিস সালাম) আরয করলেন, ‘হে আমার প্রতিপালক! কিভাবে আমার পুত্র হতে পারে যখন আমার স্ত্রী বন্ধা এবং আমি নিজে (প্রচন্ড দুর্বলতায়) বার্ধক্যে উপনীত হয়েছি?’

(مَرْيَم، 19 : 8)
قَالَ کَذٰلِکَ ۚ قَالَ رَبُّکَ ہُوَ عَلَیَّ ہَیِّنٌ وَّ قَدۡ خَلَقۡتُکَ مِنۡ قَبۡلُ وَ لَمۡ تَکُ شَیۡئًا ﴿۹﴾

9. فرمایا: (تعجب نہ کرو) ایسے ہی ہوگا، تمہارے رب نے فرمایا ہے: یہ (لڑکا پیدا کرنا) مجھ پر آسان ہے اور بیشک میں اس سے پہلے تمہیں (بھی) پیدا کرچکا ہوں اس حالت سے کہ تم (سرے سے) کوئی چیز ہی نہ تھےo

9. (He) said: ‘(Don’t be amazed.) It will be the same way.’ Your Lord said: ‘It is easy for Me (to create a son). Certainly, I created you (too) before, whilst you were (just) nothing.’

9. Qala kathalika qala rabbuka huwa AAalayya hayyinun waqad khalaqtuka min qablu walam taku shayan

9. Han sa: «(Forundre deg ikke), slik vil det skje! Herren din har sagt: 'Det er lett for Meg (å skape denne gutten). Og sannelig, Jeg har skapt deg før dette også, mens du ingenting var (fra før).'»

9. फरमाया (तअ़ज्जुब न करो) ऐसे ही होगा, तुम्हारे रब ने फरमाया है ये (लड़का पैदा करना) मुझ पर आसान है और बेशक में इससे पहले तुम्हें (भी) पैदा कर चुका हूं इस हालत से कि तुम (सिरे से) कोई चीज़ ही न थे।

৯. বললেন, ‘(আশ্চর্য হয়ো না,) এরূপই হবে’। তোমার প্রতিপালক ইরশাদ করেছেন, ‘এ আমার জন্যে সহজ এবং নিশ্চয়ই আমি এরপূর্বে তোমাকে(ও) সৃষ্টি করেছি যখন তুমি (একবারেই) কিছুই ছিলে না।’

(مَرْيَم، 19 : 9)
قَالَ رَبِّ اجۡعَلۡ لِّیۡۤ اٰیَۃً ؕ قَالَ اٰیَتُکَ اَلَّا تُکَلِّمَ النَّاسَ ثَلٰثَ لَیَالٍ سَوِیًّا ﴿۱۰﴾

10. (زکریا علیہ السلام نے) عرض کیا: اے میرے رب! میرے لئے کوئی نشانی مقرر فرما، ارشاد ہوا: تمہاری نشانی یہ ہے کہ تم بالکل تندرست ہوتے ہوئے بھی تین رات (دن) لوگوں سے کلام نہ کرسکوگےo

10. (Zakariyya [Zacharias]) submitted: ‘My Lord, set a sign for me.’ He said: ‘Your sign is that, despite good health, you shall not be able to speak to the people for three nights (and days).’

10. Qala rabbi ijAAal lee ayatan qala ayatuka alla tukallima alnnasa thalatha layalin sawiyyan

10. Sakarias sa ydmykt: «Herren min, fastsett et tegn for meg!» Allah sa: «Tegnet ditt er at du ikke vil være i stand til å tale til folk i tre netter (hele dager), selv om du vil være helt frisk.»

10. (ज़करिय्या अ़लैहिस्सलाम ने) अ़र्ज़ किया: ऐ मेरे रब! मेरे लिए कोई निशानी मुक़र्रर फरमा, इर्शाद हुवा तुम्हारी निशानी ये है कि तुम बिल्कुल तंदुरुस्त होते हुए भी तीन रात (दिन) लोगों से कलाम न कर सकोगे।

১০. (যাকারিয়্যা আলাইহিস সালাম) আরয করলেন, ‘হে আমার প্রতিপালক! আমাকে কোনো নিদর্শন দাও’। ইরশাদ হলো, ‘তোমার নিদর্শন এ যে, তুমি সুস্থ অবস্থায়ও তিন রাত (ও দিন) কারো সাথে কথা বলবে না’।

(مَرْيَم، 19 : 10)
فَخَرَجَ عَلٰی قَوۡمِہٖ مِنَ الۡمِحۡرَابِ فَاَوۡحٰۤی اِلَیۡہِمۡ اَنۡ سَبِّحُوۡا بُکۡرَۃً وَّ عَشِیًّا ﴿۱۱﴾

11. پھر (زکریا علیہ السلام) حجرۂ عبادت سے نکل کر اپنے لوگوں کے پاس آئے تو ان کی طرف اشارہ کیا (اور سمجھایا) کہ تم صبح و شام (اللہ کی) تسبیح کیا کروo

11. Then (Zakariyya [Zacharias]) came out from his worshipping chamber to his people and conveyed to them (i.e., made them understand) by gestures to glorify (Allah) morning and evening.

11. Fakharaja AAala qawmihi mina almihrabi faawha ilayhim an sabbihoo bukratan waAAashiyyan

11. Så gikk Sakarias ut fra bedeværelset til folket sitt og gjorde tegn til dem (og forklarte) at de skal forherlige (Allahs) hellighet morgen og aften.

11. फिर (ज़करिय्या अ़लैहिस्सलाम) हुजरए इबादत से निकल कर अपने लोगों के पास आए तो उनकी तरफ इशारा किया (और समझाया) कि तुम सुब्हो शाम (अल्लाह की) तस्बीह किया करो।

১১. অতএব (যাকারিয়্যা আলাইহিস সালাম) ইবাদতখানা  থেকে বের হয়ে তাঁর সম্প্রদায়ের নিকট আগমন করলেন, অতঃপর তাদেরকে ইঙ্গিতে সকাল-সন্ধা (আল্লাহ্‌র) পবিত্রতা ও মহিমা ঘোষণা করতে বললেন।

(مَرْيَم، 19 : 11)
وَ اذۡکُرۡ فِی الۡکِتٰبِ مَرۡیَمَ ۘ اِذِ انۡتَبَذَتۡ مِنۡ اَہۡلِہَا مَکَانًا شَرۡقِیًّا ﴿ۙ۱۶﴾

16. اور (اے حبیبِ مکرّم!) آپ کتاب (قرآن مجید) میں مریم (علیہا السلام) کا ذکر کیجئے، جب وہ اپنے گھر والوں سے الگ ہو کر (عبادت کے لئے خلوت اختیار کرتے ہوئے) مشرقی مکان میں آگئیںo

16. And, (O My Esteemed Beloved,) recite the account of Maryam (Mary) in the Book (the Holy Qur’an) when she separated from her family (adopting seclusion for worship and) moved to the eastern house.

16. Waothkur fee alkitabi maryama ithi intabathat min ahliha makanan sharqiyyan

16. Og (kjære høyaktede elskede ﷺ!), nevn Maria i skriften (den praktfulle Koranen), da hun trakk seg tilbake fra familien sin til et østlig sted (hun trakk seg tilbake for Allahs tilbedelse),

16. और (ऐ हबीबे मुकर्रम!) आप किताब (क़ुरआन मजीद) में मर्यम (अ़लैहा अस्सलाम) का ज़िक्र कीजिए, जब वोह अपने घर वालों से अलग होकर (इबादत के लिए ख़ल्वत इख़्तियार करते हुए) मश्रिक़ी मकान में आ गईं।

১৬. আর (হে সম্মানিত হাবীব! কুরআন মাজীদ) কিতাবে মারইয়াম (আলাইহাস সালাম)-এঁর বর্ণনা করুন, যখন তিনি তাঁর পরিবারবর্গ থেকে পৃথক হয়ে (ইবাদতের জন্যে নিরালায়) পূর্বদিকের গৃহে অবস্থান নিলেন।

(مَرْيَم، 19 : 16)
فَاتَّخَذَتۡ مِنۡ دُوۡنِہِمۡ حِجَابًا ۪۟ فَاَرۡسَلۡنَاۤ اِلَیۡہَا رُوۡحَنَا فَتَمَثَّلَ لَہَا بَشَرًا سَوِیًّا ﴿۱۷﴾

17. پس انہوں نے ان (گھر والوں اور لوگوں) کی طرف سے حجاب اختیار کر لیا (تاکہ حسنِ مطلق اپنا حجاب اٹھا دے)، تو ہم نے ان کی طرف اپنی روح (یعنی فرشتہ جبرائیل) کو بھیجا سو (جبرائیل) ان کے سامنے مکمل بشری صورت میں ظاہر ہواo

17. So she adopted veiling from them (the family and the people so that the absolute divine beauty unveils Himself). Then We sent towards her Our Spirit (the angel, Gabriel), who appeared before her in complete form of a human being.

17. Faittakhathat min doonihim hijaban faarsalna ilayha roohana fatamaththala laha basharan sawiyyan

17. hun benyttet seg av et slør overfor dem (familien og andre folk, for at Allahs guddommelige skjønnhet skulle avsløre seg). Så sendte Vi Ånden Vår (engelen Gabriel) til henne; han viste seg for henne i en fullkommen menneskelig skikkelse.

17. पस उन्होंने उन (घर वालों और लोगों) की तरफ से हिजाब इख़्तियार कर लिया (ताकि हुस्ने मुत्लक़ अपना हिजाब उठा दे) तो हमने उनकी तरफ अपनी रूह (यानी फरिश्ता जिबराईल) को भेजा सो (जिबराईल) उनके सामने मुकम्मल बशरी सूरत में ज़ाहिर हुआ।

১৭. অতঃপর তিনি তাদের থেকে (অর্থাৎ পরিবার-পরিজন এবং অন্যান্য মানুষ থেকে) আড়াল হবার জন্যে পর্দা করলেন (যাতে চিরন্তন স্বর্গীয় সৌন্দর্য স্বীয় পর্দা তুলে দেন); তখন আমরা তাঁর নিকট আমাদের রূহ (অর্থাৎ ফেরেশতা জীবরাঈলকে) প্রেরণ করলাম। অতঃপর তিনি তাঁর সামনে পূর্ণ মানবাকৃতিতে আবির্ভুত হলেন।

(مَرْيَم، 19 : 17)
قَالَ کَذٰلِکِ ۚ قَالَ رَبُّکِ ہُوَ عَلَیَّ ہَیِّنٌ ۚ وَ لِنَجۡعَلَہٗۤ اٰیَۃً لِّلنَّاسِ وَ رَحۡمَۃً مِّنَّا ۚ وَ کَانَ اَمۡرًا مَّقۡضِیًّا ﴿۲۱﴾

21. (جبرائیل علیہ السلام نے) کہا: (تعجب نہ کر) ایسے ہی ہوگا، تیرے رب نے فرمایا ہے: یہ (کام) مجھ پر آسان ہے، اور (یہ اس لئے ہوگا) تاکہ ہم اسے لوگوں کے لئے نشانی اور اپنی جانب سے رحمت بنادیں، اور یہ امر (پہلے سے) طے شدہ ہےo

21. (Jibra’il [Gabriel]) said: ‘(Do not wonder.) It will be the same way. Your Lord says: This (work) is easy for Me, and (the objective is) that We may make him a sign for the people and mercy from Us. And it is a matter (already) decreed.’

21. Qala kathaliki qala rabbuki huwa AAalayya hayyinun walinajAAalahu ayatan lilnnasi warahmatan minna wakana amran maqdiyyan

21. Engelen Gabriel sa: «(Forundre deg ikke), slik vil det skje! Herren din har sagt: 'Denne (saken) er lett for Meg, og (det vil skje) for at Vi skal gjøre ham til tegn for menneskeheten og nåde fra Oss. Og denne saken er forutbestemt.'»

21. (जिबराईल अ़लैहिस्सलाम ने) कहा: (तअ़ज्जुब न कर) ऐसे ही होगा, तेरे रब ने फरमाया है: ये (काम) मुझ पर आसान है, और (ये इसलिए होगा) ताकि हम उसे लोगों के लिए निशानी और अपनी जानिब से रहमत बना दें, और ये अम्र (पहले से) तय शुदा है।

২১. (জীবরাঈল আলাইহিস সালাম) বললেন, ‘(আশ্চর্য হয়ো না) এরূপেই হবে, তোমার প্রতিপালক বলেছেন: এ (কাজ) আমার জন্যে সহজ এবং (তা এ জন্যে হবে) যাতে আমরা তাঁকে মানুষের জন্যে নিদর্শন করতে পারি, আর তিনি আমাদের পক্ষ থেকে অনুগ্রহ। আর এ তো (পূর্ব থেকেই) স্থিরীকৃত বিষয়।

(مَرْيَم، 19 : 21)
فَاَجَآءَہَا الۡمَخَاضُ اِلٰی جِذۡعِ النَّخۡلَۃِ ۚ قَالَتۡ یٰلَیۡتَنِیۡ مِتُّ قَبۡلَ ہٰذَا وَ کُنۡتُ نَسۡیًا مَّنۡسِیًّا ﴿۲۳﴾

23. پھر دردِ زہ انہیں ایک کھجور کے تنے کی طرف لے آیا، وہ (پریشانی کے عالم میں) کہنے لگیں: اے کاش! میں پہلے سے مرگئی ہوتی اور بالکل بھولی بسری ہوچکی ہوتیo

23. Then the birth pangs drove her to the trunk of a palm-tree. She said (in anxiety): ‘Would that I had died before this and had become totally forgotten!’

23. Faajaaha almakhadu ila jithAAi alnnakhlati qalat ya laytanee mittu qabla hatha wakuntu nasyan mansiyyan

23. Så ble hun drevet til et daddelpalmetres stamme av fødselsriene. Hun sa (av bekymring): «Huff, om jeg bare hadde dødd før dette og blitt helt borte, glemt!»

23. फिर दर्देजे़ह उन्हें एक खजूर के तने की तरफ ले आया, वोह (परेशानी के आलम में) कहने लगीं: ऐ काश! मैं पहले से मर गई होती और बिल्कुल भूली बिसरी हो चुकी होती।

২৩. অতঃপর প্রসব বেদনা তাকে এক খর্জুর বৃক্ষতলে আশ্রয় নিতে বাধ্য করলো। তিনি (উদ্বিগ্ন অবস্থায়) বলতে লাগলেন, ‘হায় আফসোস! আমি যদি এর পূর্বেই মরে যেতাম এবং সম্পূর্ণরূপে বিস্মৃত হয়ে যেতাম!’

(مَرْيَم، 19 : 23)
فَنَادٰىہَا مِنۡ تَحۡتِہَاۤ اَلَّا تَحۡزَنِیۡ قَدۡ جَعَلَ رَبُّکِ تَحۡتَکِ سَرِیًّا ﴿۲۴﴾

24. پھر ان کے نیچے کی جانب سے (جبرائیل نے یا خود عیسٰی علیہ السلام نے) انہیں آواز دی کہ تو رنجیدہ نہ ہو، بیشک تمہارے رب نے تمہارے نیچے ایک چشمہ جاری کر دیا ہے (یا تمہارے نیچے ایک عظیم المرتبہ انسان کو پیدا کر کے لٹا دیا ہے)o

24. Then (Gabriel or ‘Isa [Jesus] himself) called out to her from beneath her: ‘Grieve not. Surely, your Lord has made a water spring flow under you (or has created and laid under you an exalted human being).

24. Fanadaha min tahtiha alla tahzanee qad jaAAala rabbuki tahtaki sariyyan

24. Da ble det ropt til henne fra under henne (enten engelen Gabriel eller Jesus): «Bli du ikke trist! Sannelig, Herren din har latt en vannkilde strømme under deg (eller latt deg føde et høyvelbårent menneske og lagt det under deg)!

24. फिर उनके नीचे की जानिब से (जिबराईल ने या ख़ुद ईसा अ़लैहिस्सलाम ने) उन्हें आवाज़ दी कि तू रन्जीदा न हो बेशक तुम्हारे रब ने तुम्हारे नीचे एक चश्मा जारी कर दिया है (या तुम्हारे नीचे एक अ़ज़ीमुल मर्तबा इंसान को पैदा करके लिटा दिया है) ।

২৪. অতঃপর (জীবরাঈল অথবা স্বয়ং ঈসা আলাইহিস সালাম) তাঁর নিম্ন দিক থেকে তাকে আহ্বান করলেন, ‘চিন্তিত হয়ো না, তোমার প্রতিপালক তোমার পাদদেশে এক স্রোতধারা সৃষ্টি করেছেন (অথবা উচ্চমর্যাদা সম্পন্ন মানুষকে সৃষ্টি করে তোমার নিচে শুইয়ে দিয়েছেন)।

(مَرْيَم، 19 : 24)
فَکُلِیۡ وَ اشۡرَبِیۡ وَ قَرِّیۡ عَیۡنًا ۚ فَاِمَّا تَرَیِنَّ مِنَ الۡبَشَرِ اَحَدًا ۙ فَقُوۡلِیۡۤ اِنِّیۡ نَذَرۡتُ لِلرَّحۡمٰنِ صَوۡمًا فَلَنۡ اُکَلِّمَ الۡیَوۡمَ اِنۡسِیًّا ﴿ۚ۲۶﴾

26. سو تم کھاؤ اور پیو اور (اپنے حسین و جمیل فرزند کو دیکھ کر) آنکھیں ٹھنڈی کرو، پھر اگر تم کسی بھی انسان کو دیکھو تو (اشارے سے) کہہ دینا کہ میں نے (خدائے) رحمان کے لئے (خاموشی کے) روزہ کی نذر مانی ہوئی ہے سو میں آج کسی انسان سے قطعاً گفتگو نہیں کروں گیo

26. So eat and drink and cool (your) eyes (with the sight of your beautiful, lovely baby). Then if you see any man, say (to him by gestures): ‘I have vowed a fast (of silence) to the Most Gracious (Lord), so I shall just not talk to any human being today.’

26. Fakulee waishrabee waqarree AAaynan faimma tarayinna mina albashari ahadan faqoolee innee nathartu lilrrahmani sawman falan okallima alyawma insiyyan

26. Spis og drikk, og kjøl øynene dine (ved å se på din vakre og nydelige sønn). Etter dette, hvis du ser et eneste menneske, så si (med tegn): 'Jeg har lovet den mest Barmhjertige (Herren) en faste (av stillhet), og kan ikke i det hele tatt tale med noe menneske i dag.'»

26. सो तुम खाओ और पियो और (अपने हसीनो जमील फरज़न्द को देख कर) आंखें ठंडी करो, फिर अगर तुम किसी भी इंसान को देखो तो (इशारे से) कह देना कि मैं ने (खु़दाए) रहमान के लिए (ख़ामोशी के) रोजे़ की नज़र मानी हुई है सो मैं आज किसी इंसान से क़त्‌अ़न गुफ्तगू नहीं करूंगी।

২৬. সুতরাং তুমি খাও এবং পান করো এবং (নিজের সুন্দর, কমনীয় সন্তানকে দেখে) চক্ষু শীতল করো। অতঃপর যদি তুমি কোনও মানুষকে দেখো তবে (ইশারায়) বলে দিও, ‘আমি পরম করুণাময় (আল্লাহ্)-এঁর উদ্দেশ্যে (নিশ্চুপ থাকার) রোযা মান্নত করেছি; সুতরাং আজ আমি কিছুতেই কোনো মানুষের সাথে কথা বলবো না।’

(مَرْيَم، 19 : 26)
فَاَتَتۡ بِہٖ قَوۡمَہَا تَحۡمِلُہٗ ؕ قَالُوۡا یٰمَرۡیَمُ لَقَدۡ جِئۡتِ شَیۡئًا فَرِیًّا ﴿۲۷﴾

27. پھر وہ اس (بچے) کو (گود میں) اٹھائے ہوئے اپنی قوم کے پاس آگئیں۔ وہ کہنے لگے: اے مریم! یقیناً تو بہت ہی عجیب چیز لائی ہےo

27. Then, carrying (the baby in her lap), she came to her people. They said: ‘O Maryam (Mary), surely you have brought quite an amazing thing!

27. Faatat bihi qawmaha tahmiluhu qaloo ya maryamu laqad jiti shayan fariyyan

27. Så kom hun med det (barnet i armene sine) til folket sitt. De sa: «Å, Maria! Sannelig, du har brakt en underlig ting!

27. फिर वोह उस (बच्चे) को (गोद में) उठाए हुए अपनी क़ौम के पास आ गईं। वोह कहने लगे: ऐ मर्यम! यक़ीनन तू बहुत ही अ़जीब चीज़ लाई है।

২৭. অতঃপর তিনি তাঁকে (কোলে) নিয়ে নিজ সম্প্রদায়ের নিকট আসলেন। তারা বলতে লাগলো, ‘হে মারইয়াম! অবশ্যই তুমি অদ্ভুত কিছু নিয়ে উপস্থিত হয়েছো!

(مَرْيَم، 19 : 27)
وَّ جَعَلَنِیۡ مُبٰرَکًا اَیۡنَ مَا کُنۡتُ ۪ وَ اَوۡصٰنِیۡ بِالصَّلٰوۃِ وَ الزَّکٰوۃِ مَا دُمۡتُ حَیًّا ﴿۪ۖ۳۱﴾

31. اور میں جہاں کہیں بھی رہوں اس نے مجھے سراپا برکت بنایا ہے اور میں جب تک (بھی) زندہ ہوں اس نے مجھے نماز اور زکوٰۃ کا حکم فرمایا ہےo

31. And wherever I may reside, He has made me an embodiment of blessing. And He has enjoined upon me Prayer and Zakat (the Alms-due) as long as I am alive.

31. WajaAAalanee mubarakan ayna ma kuntu waawsanee bialssalati waalzzakati ma dumtu hayyan

31. Og Han har gjort meg til velsignet uansett hvor jeg skulle være, og Han har befalt meg tidebønnen og det pålagte bidraget så lenge jeg lever,

31. और मैं जहां कहीं भी रहूं उसने मुझे सरापा बरकत बनाया है और मैं जब तक (भी) ज़िन्दा हूं उसने मुझे नमाज़ और ज़कात का हुक्म फरमाया है।

৩১. আর আমি যেখানেই থাকিনা কেন তিনি আমাকে আপাদমস্তক কল্যাণময় করেছেন। আর যতদিন আমি জীবিত থাকি, তিনি আমাকে নামায ও যাকাতের নির্দেশ দিয়েছেন।

(مَرْيَم، 19 : 31)
مَا کَانَ لِلّٰہِ اَنۡ یَّتَّخِذَ مِنۡ وَّلَدٍ ۙ سُبۡحٰنَہٗ ؕ اِذَا قَضٰۤی اَمۡرًا فَاِنَّمَا یَقُوۡلُ لَہٗ کُنۡ فَیَکُوۡنُ ﴿ؕ۳۵﴾

35. یہ اللہ کی شان نہیں کہ وہ (کسی کو اپنا) بیٹا بنائے، وہ (اس سے) پاک ہے، جب وہ کسی کام کا فیصلہ فرماتا ہے تو اسے صرف یہی حکم دیتا ہے: ”ہوجا“ بس وہ ہوجاتا ہےo

35. It is not Allah’s Glory that He should take (to Himself anyone as) a son. Holy and Glorified is He (above this)! When He decrees any matter, He only says to it: ‘Be,’ and it becomes.

35. Ma kana lillahi an yattakhitha min waladin subhanahu itha qada amran fainnama yaqoolu lahu kun fayakoonu

35. Det er ikke lik Allahs Verdighet å avle en (noen som Sin) sønn! Helligere er Han (enn det)! Når Han bestemmer Seg for noe, befaler Han kun til det: «Bli!», så blir det til.

35. ये अल्लाह की शान नहीं कि वोह (किसी को अपना) बेटा बनाए, वोह (उससे) पाक है जब वोह किसी काम का फैसला फरमाता है तो उसे सिर्फ़ येही हुक्म देता है “हो जा” बस वोह हो जाता है।

৩৫. আল্লাহ্‌র শান এ নয় যে, তিনি (কাউকে নিজের) পুত্র হিসেবে গ্রহণ করবেন; তিনি (এ থেকে) পূতঃপবিত্র। যখন তিনি কোনো কিছু স্থির করেন তখন একে কেবল এ নির্দেশই দেন যে, ‘হও’, অতঃপর তা হয়ে যায়।

(مَرْيَم، 19 : 35)
اَسۡمِعۡ بِہِمۡ وَ اَبۡصِرۡ ۙ یَوۡمَ یَاۡتُوۡنَنَا لٰکِنِ الظّٰلِمُوۡنَ الۡیَوۡمَ فِیۡ ضَلٰلٍ مُّبِیۡنٍ ﴿۳۸﴾

38. جس دن وہ ہمارے پاس حاضر ہوں گے تو کیسے (کان کھول کر) سنیں گے اور (آنکھیں پھاڑ پھاڑ کر) دیکھیں گے لیکن ظالم لوگ آج کھلی گمراہی میں (غرق) ہیںo

38. How (curiously) will they hear (with their ears wide open), and how (bewilderedly) will they see (with their eyes stunned) on the Day when they will appear before Us! But Today the wrongdoers are but (sunk) into manifest error.

38. AsmiAA bihim waabsir yawma yatoonana lakini alththalimoona alyawma fee dalalin mubeenin

38. Hvor åpne ører de vil ha for å lytte og vidåpne øyne for å se den dag de vil komme til Oss, men de ondsinnede er i dag (druknet) i soleklar villfarelse.

38. जिस दिन वोह हमारे पास हाज़िर होंगे तो कैसे (कान खोलकर) सुनेंगे और (आंखें फाड़ फाड़ कर) देखेंगे लेकिन ज़ालिम लोग आज खुली गुमराही में (ग़र्क़) हैं।

৩৮. যেদিন তারা আমাদের নিকট উপস্থিত হবে সেদিন তারা (কান খুলে) স্পষ্টই শুনবে এবং (বিস্মিত নয়নে) দেখবে! কিন্তু যালিমেরা আজ স্পষ্ট গোমরাহীতে (ডুবে) আছে।

(مَرْيَم، 19 : 38)
وَ اَنۡذِرۡہُمۡ یَوۡمَ الۡحَسۡرَۃِ اِذۡ قُضِیَ الۡاَمۡرُ ۘ وَ ہُمۡ فِیۡ غَفۡلَۃٍ وَّ ہُمۡ لَا یُؤۡمِنُوۡنَ ﴿۳۹﴾

39. اور آپ انہیں حسرت (و ندامت) کے دن سے ڈرائیے جب (ہر) بات کا فیصلہ کردیا جائے گا، مگر وہ غفلت (کی حالت) میں پڑے ہیں اور ایمان لاتے ہی نہیںo

39. And warn them of the Day of Regret (and Shame) when (every) matter shall be decided, but they are rapt in (a state of) negligence and simply do not believe.

39. Waanthirhum yawma alhasrati ith qudiya alamru wahum fee ghaflatin wahum la yuminoona

39. Og advar dem mot bedrøvelsens (og samvittighetsnagets) dag, når saken (enhver sak) vil bli avgjort, men de er i en forsømmelig tilstand og nekter å anta troen.

39. और आप उन्हें हसरत (व नदामत) के दिन से डराइए जब (हर) बात का फैसला कर दिया जाएगा, मगर वोह ग़फ्लत (की हालत) में पड़े हैं और ईमान लाते ही नहीं।

৩৯. আর তাদেরকে সতর্ক করে দিন পরিতাপের (ও অপমানের) দিবস সম্পর্কে, যখন (সমস্ত) বিষয়ের মীমাংসা করে দেয়া হবে। কিন্তু তারা উদাসীন (অবস্থায়) পড়ে আছে এবং ঈমান আনয়নই করছে না।

(مَرْيَم، 19 : 39)
اِذۡ قَالَ لِاَبِیۡہِ یٰۤاَبَتِ لِمَ تَعۡبُدُ مَا لَا یَسۡمَعُ وَ لَا یُبۡصِرُ وَ لَا یُغۡنِیۡ عَنۡکَ شَیۡئًا ﴿۴۲﴾

42. جب انہوں نے اپنے باپ (یعنی چچا آزر سے جس نے آپ کے والد تارخ کے انتقال کے بعد آپ کو پالا تھا) سے کہا: اے میرے باپ! تم ان (بتوں) کی پرستش کیوں کرتے ہو جو نہ سن سکتے ہیں اور نہ دیکھ سکتے ہیں اور نہ تم سے کوئی (تکلیف دہ) چیز دور کرسکتے ہیںo

42. When he said to his father (i.e., his uncle Azar who brought him up after his father Tarakh died): ‘O my father, why do you worship these (idols) which cannot hear or see, nor can they remove any (troublesome) thing from you?

42. Ith qala liabeehi ya abati lima taAAbudu ma la yasmaAAu wala yubsiru wala yughnee AAanka shayan

42. Da han sa til sin far (onkel Azar som oppfostret ham etter faren Tarahs død): «Å, min far! Hvorfor tilber du de (avgudsstatuene), som ikke kan høre og ei heller se, og som ikke kan fjerne noe (smertefullt) fra deg?

42. जब उन्होंने अपने बाप (यानी चचा आज़र से जिसने आपके वालिद तारिख़ के इन्तिक़ाल के बाद आपको पाला था) से कहा: ऐ मेरे बाप! तुम इन (बुतों की परस्तिश क्यों करते हो जो न सुन सकते हैं और न देख सकते हैं और न तुमसे कोई (तक्लीफ़ देह) चीज़ दूर कर सकते हैं।

৪২. যখন তিনি তাঁর পিতা (অর্থাৎ চাচা আযর, যে তাঁর পিতা তারাখের ইন্তেকালের পর তাঁকে লালন-পালন করেছিলেন, তাকে) বললেন, ‘হে আমার পিতা! তুমি কেন এসবের (এ মূর্তির ) উপাসনা করছো, যারা শুনতে পায় না, দেখতেও পায় না, আর তোমার থেকে (কষ্টদায়ক) কিছু দূরও করতে পারে না?

(مَرْيَم، 19 : 42)
یٰۤاَبَتِ اِنِّیۡ قَدۡ جَآءَنِیۡ مِنَ الۡعِلۡمِ مَا لَمۡ یَاۡتِکَ فَاتَّبِعۡنِیۡۤ اَہۡدِکَ صِرَاطًا سَوِیًّا ﴿۴۳﴾

43. اے میرے ابّا! بیشک میرے پاس (بارگاہِ الٰہی سے) وہ علم آچکا ہے جو تمہارے پاس نہیں آیا تم میری پیروی کرو میں تمہیں سیدھی راہ دکھاؤں گاo

43. O my father! No doubt there has come to me knowledge (from the divine presence of Allah) which has not come to you. Follow me; I shall show you the straight path.

43. Ya abati innee qad jaanee mina alAAilmi ma lam yatika faittabiAAnee ahdika siratan sawiyyan

43. Å, min far! Sannelig, det har kommet til meg den vitenen (fra Allah), som ikke har kommet til deg, så følg meg, jeg skal vise deg den rette veien.

43. ऐ मेरे अब्बा! बेशक मेरे पास (बारगाहे इलाही से) वोह इल्म आ चुका है जो तुम्हारे पास नहीं आया तुम मेरी पैरवी करो मैं तुम्हें सीधी राह दिखाऊंगा।

৪৩. হে পিতা! নিশ্চয়ই আমার নিকট (আল্লাহ্‌র পক্ষ থেকে) জ্ঞান এসেছে যা তোমার নিকট আসেনি, সুতরাং তুমি আমাকে অনুসরণ করো, আমি তোমাকে সঠিক পথ দেখাবো।

(مَرْيَم، 19 : 43)
قَالَ اَرَاغِبٌ اَنۡتَ عَنۡ اٰلِہَتِیۡ یٰۤـاِبۡرٰہِیۡمُ ۚ لَئِنۡ لَّمۡ تَنۡتَہِ لَاَرۡجُمَنَّکَ وَ اہۡجُرۡنِیۡ مَلِیًّا ﴿۴۶﴾

46. (آزر نے) کہا: اے ابراہیم! کیا تم میرے معبودوں سے روگرداں ہو؟ اگر واقعی تم (اس مخالفت سے) باز نہ آئے تو میں تمہیں ضرور سنگ سار کر دوں گا اور ایک طویل عرصہ کے لئے تم مجھ سے الگ ہوجاؤo

46. (Azar) said: ‘Ibrahim (Abraham), have you turned away from my gods? If you do not practically desist (from this opposition), I shall certainly stone you to death. And keep away from me for a long while.’

46. Qala araghibun anta AAan alihatee ya ibraheemu lain lam tantahi laarjumannaka waohjurnee maliyyan

46. Azar sa: «Å, Abraham! Er du bortvendt fra mine guder? Hvis du virkelig ikke gir deg (med denne motstanden), vil jeg visselig steine deg! Og ha deg vekk fra meg for en lang periode.»

46. (आज़र ने) कहा: ऐ इब्राहीम! क्या तुम मेरे माबूदों से रूगर्दां हो? अगर वाक़ई तुम (इस मुख़ालिफत से) बाज़ न आए तो मैं तुम्हें ज़रूर संगसार कर दूंगा और एक तवील अ़र्से के लिए तुम मुझसे अलग हो जाओ।

৪৬. (আযর) বললো, ‘হে ইবরাহীম! তুমি কি আমার উপাস্যদের থেকে মুখ ফিরিয়ে নিচ্ছো? যদি বাস্তবিকই তুমি (এ বিরোধিতা থেকে) নিবৃত্ত না হও, তবে আমি তোমাকে অবশ্যই প্রস্তর নিক্ষেপে হত্যা করবো। তুমি চিরতরে আমার নিকট থেকে দূর হয়ে যাও।’

(مَرْيَم، 19 : 46)
قَالَ سَلٰمٌ عَلَیۡکَ ۚ سَاَسۡتَغۡفِرُ لَکَ رَبِّیۡ ؕ اِنَّہٗ کَانَ بِیۡ حَفِیًّا ﴿۴۷﴾

47. (ابراہیم علیہ السلام نے) کہا: (اچھا) تمہیں سلام، میں اب (بھی) اپنے رب سے تمہارے لئے بخشش مانگوں گا، بیشک وہ مجھ پر بہت مہربان ہے (شاید تمہیں ہدایت عطا فرما دے)o

47. Ibrahim (Abraham) said: ‘(All right,) peace be on you. I shall beg forgiveness for you from my Lord (even) now. He is indeed very kind to me. (He may bestow guidance upon you.)

47. Qala salamun AAalayka saastaghfiru laka rabbee innahu kana bee hafiyyan

47. Abraham sa: «(Ja vel), fred være med deg! Jeg skal fortsatt be om tilgivelse for deg fra Herren min. Sannelig, Han er veldig nådig mot meg (kanskje tildeler Han deg veiledning).

47. (इब्राहीम अ़लैहिस्सलाम ने) कहा (अच्छा) तुम्हें सलाम, मैं अब (भी) अपने रब से तुम्हारे लिए बख़्शिश मांगूंगा, बेशक वोह मुझ पर बहुत मेहरबान है (शायद तुम्हें हिदायत अ़ता फरमा दे) ।

৪৭. (ইবরাহীম আলাইহিস সালাম) বললেন, ‘(আচ্ছা) তোমার প্রতি শান্তি বর্ষিত হোক। আমি তবুও আমার প্রতিপালকের নিকট তোমার জন্যে ক্ষমা প্রার্থনা করবো। নিশ্চয়ই তিনি আমার প্রতি খুবই মেহেরবান (হয়তো তিনি তোমাকে হেদায়াত দান করবেন)।

(مَرْيَم، 19 : 47)
وَ اَعۡتَزِلُکُمۡ وَ مَا تَدۡعُوۡنَ مِنۡ دُوۡنِ اللّٰہِ وَ اَدۡعُوۡا رَبِّیۡ ۫ۖ عَسٰۤی اَلَّاۤ اَکُوۡنَ بِدُعَآءِ رَبِّیۡ شَقِیًّا ﴿۴۸﴾

48. اور میں تم (سب) سے اور ان (بتوں) سے جنہیں تم اللہ کے سوا پوجتے ہو کنارہ کش ہوتا ہوں اور اپنے رب کی عبادت میں (یک سُو ہو کر) مصروف ہوتا ہوں، امید ہے میں اپنے رب کی عبادت کے باعث محرومِ (کرم) نہ رہوں گاo

48. And I turn away from you (all), and these (idols) which you worship besides Allah. And I worship my Lord (with absolute concentration). I hope that, owing to the worship of my Lord, I shall not be deprived (of His bounty).’

48. WaaAAtazilukum wama tadAAoona min dooni Allahi waadAAoo rabbee AAasa alla akoona biduAAai rabbee shaqiyyan

48. Og jeg holder meg vekk fra dere (alle) og de (avgudene) som dere tilber utenom Allah. Og jeg holder meg herved engasjert i min Herres tilbedelse (atskilt fra alt annet). Forhåpentlig vil jeg ved min Herres tilbedelse ikke bli utelukket (fra Hans sjenerøsitet).»

48. और मैं तुम (सब) से और उन (बुतों) से जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा पूजते हो कनारा कश होता हूं और अपने रब की इबादत में (यक्सू होकर) मसरूफ होता हूं, उम्मीद है मैं अपने रब की इबादत के बाइस मह्‌रूमे (करम) न रहूंगा।

৪৮. আর আমি পৃথক হয়ে যাচ্ছি তোমাদের (সবার) থেকে এবং আল্লাহ্ ব্যতীত তোমরা যেসব (মূর্তি)-এর উপাসনা করছো তাদের থেকেও; আর (একাগ্রচিত্তে) আমি আমার প্রতিপালকের ইবাদতে নিয়োজিত হচ্ছি। আশা করি, আমার প্রতিপালকের ইবাদত করে আমি (তাঁর অনুগ্রহ থেকে) বঞ্চিত হবো না।’

(مَرْيَم، 19 : 48)
فَلَمَّا اعۡتَزَلَہُمۡ وَ مَا یَعۡبُدُوۡنَ مِنۡ دُوۡنِ اللّٰہِ ۙ وَہَبۡنَا لَہٗۤ اِسۡحٰقَ وَ یَعۡقُوۡبَ ؕ وَ کُلًّا جَعَلۡنَا نَبِیًّا ﴿۴۹﴾

49. پھر جب ابراہیم (علیہ السلام) ان لوگوں سے اور ان (بتوں) سے جن کی وہ اللہ کے سوا پرستش کرتے تھے (میل ملاپ چھوڑ کر) بالکل جدا ہو گئے (تو) ہم نے انہیں (بیٹے) اسحاق اور (پوتے) یعقوب (علیھما السلام) سے نوازا، اور ہم نے ہر (دو) کو نبی بنایاo

49. So when Ibrahim (Abraham, giving up all social links,) completely separated from the people and those (idols) that they worshipped apart from Allah, We blessed him with Ishaq (Isaac) and Ya‘qub (Jacob, son and grandson,) and We made each of them a Prophet.

49. Falamma iAAtazalahum wama yaAAbudoona min dooni Allahi wahabna lahu ishaqa wayaAAqooba wakullan jaAAalna nabiyyan

49. Da Abraham trakk seg fullstendig bort fra dem og de (avgudene) som de tilba utenom Allah (ved å boikotte dem helt), og etter det skjenket Vi ham Isak (sønn) og Jakob (sønnesønn), og Vi gjorde dem begge til profeter.

49. फिर जब इब्राहीम (अ़लैहिस्सलाम) उन लोगों से और उन (बुतों) से जिनकी वोह अल्लाह के सिवा परस्तिश करते थे (मेल मिलाप छोड़कर) बिल्कुल जुदा हो गए (तो) हमने उन्हें (बेटे) इस्हाक़ और (पोते) याक़ूब (अ़लैहिमा अस्सलाम) से नवाज़ा और हमने हर (दो) को नबी बनाया।

৪৯. অতঃপর যখন ইবরাহীম (আলাইহিস সালাম) তাদের থেকে এবং আল্লাহ্ ব্যতীত যাদের উপাসনা তারা করতো সেসব (মূর্তির সাহচর্য) থেকে সম্পূর্ণরূপে পৃথক হয়ে গেলেন, (তখন) আমরা তাঁকে অনুগ্রহ করলাম (পুত্র) ইসহাক এবং (পৌত্র) ইয়াকুব (আলাইহিমাস সালাম)-এঁর মাধ্যমে এবং তাঁদের উভয়কেই আমরা নবী করলাম।

(مَرْيَم، 19 : 49)
وَ وَہَبۡنَا لَہُمۡ مِّنۡ رَّحۡمَتِنَا وَ جَعَلۡنَا لَہُمۡ لِسَانَ صِدۡقٍ عَلِیًّا ﴿٪۵۰﴾

50. اور ہم نے ان (سب) کو اپنی (خاص) رحمت بخشی اور ہم نے ان کے لئے (ہر آسمانی مذہب کے ماننے والوں میں) تعریف و ستائش کی زبان بلند کردیo

50. And We awarded (all of) them Our (special) mercy, and put their praise and admiration on high rhetoric (amongst the believers of every religion).

50. Wawahabna lahum min rahmatina wajaAAalna lahum lisana sidqin AAaliyyan

50. Og Vi tildelte dem (alle) Vår (særskilte) nåde, og Vi gjorde (for) dem (navnene deres) priset og hyllet, opphøyet ved tungene (til alle tilhengere av monoteistiske religioner).

50. और हमने उन (सब) को अपनी (ख़ास) रह्‌मत बख़्शी और हमने उनके लिए (हर आस्मानी मज़्‌हब के मानने वालों में) तारीफो सताइश की जु़बान बलन्द कर दी।

৫০. আর আমরা তাঁদেরকে দান করলাম আমাদের (বিশেষ) রহমত এবং (সমস্ত ঐশী ধর্মানুসারীদের) রসনায় অলঙ্করণে সমুচ্চ করলাম তাদের স্তুতি।

(مَرْيَم، 19 : 50)
وَ اذۡکُرۡ فِی الۡکِتٰبِ مُوۡسٰۤی ۫ اِنَّہٗ کَانَ مُخۡلَصًا وَّ کَانَ رَسُوۡلًا نَّبِیًّا ﴿۵۱﴾

51. اور (اس) کتاب میں موسٰی (علیہ السلام) کا ذکر کیجئے، بیشک وہ (نفس کی گرفت سے خلاصی پاکر) برگزیدہ ہو چکے تھے اور صاحبِ رسالت نبی تھےo

51. And recite the account of Musa (Moses) in (this Holy) Book. Surely, (getting rid of the grip of self,) he had become exalted and was a Messenger and Prophet.

51. Waothkur fee alkitabi moosa innahu kana mukhlasan wakana rasoolan nabiyyan

51. Og nevn Moses i skriften (den praktfulle Koranen). Sannelig, han var blitt høyerestående (ved å befri seg fra sitt eget jegs bur), og han var et guddommelig budskaps budbringer, en profet.

51. और (इस) किताब में मूसा (अ़लैहिस्सलाम) का ज़िक्र कीजिए बेशक वोह (नफ्स की गिरफ्त से ख़लासी पाकर) बर्गुज़ीदा हो चुके थे और साहिबे रिसालत नबी थे।

৫১. আর (এ) কিতাবে মূসা (আলাইহিস সালাম)-এঁর বর্ণনা করুন। নিশ্চয়ই তিনি ছিলেন (প্রবৃত্তির প্রভাব থেকে মুক্ত) বিশুদ্ধচিত্ত এবং ছিলেন রেসালাতের অধিকারী নবী।

(مَرْيَم، 19 : 51)
وَ اذۡکُرۡ فِی الۡکِتٰبِ اِسۡمٰعِیۡلَ ۫ اِنَّہٗ کَانَ صَادِقَ الۡوَعۡدِ وَ کَانَ رَسُوۡلًا نَّبِیًّا ﴿ۚ۵۴﴾

54. اور آپ (اس) کتاب میں اسماعیل (علیہ السلام) کا ذکر کریں، بیشک وہ وعدہ کے سچے تھے اور صاحبِ رسالت نبی تھےo

54. And recite the account of Isma‘il (Ishmael) in (this) Book. Surely, he was true to (his) promise and was a Messenger (and) a Prophet.

54. Waothkur fee alkitabi ismaAAeela innahu kana sadiqa alwaAAdi wakana rasoolan nabiyyan

54. Og nevn Ismael i skriften (den praktfulle Koranen). Sannelig, han var sann mot løftet sitt (ordholden), og han var et guddommelig budskaps budbringer, en profet.

54. और आप (इस) किताब में इस्माईल (अ़लैहिस्सलाम) का ज़िक्र करें बेशक वोह वादे के सच्चे थे और साहिबे रिसालत नबी थे।

৫৪. আর আপনি (এ) কিতাবে বর্ণনা করুন ইসমাঈল (আলাইহি সালাম)-এঁর কথা; নিশ্চয়ই তিনি (তাঁর) অঙ্গীকারে ছিলেন সত্যাশ্রয়ী এবং ছিলেন রেসালাতের অধিকারী নবী।

(مَرْيَم، 19 : 54)
وَ کَانَ یَاۡمُرُ اَہۡلَہٗ بِالصَّلٰوۃِ وَ الزَّکٰوۃِ ۪ وَ کَانَ عِنۡدَ رَبِّہٖ مَرۡضِیًّا ﴿۵۵﴾

55. اور وہ اپنے گھر والوں کو نماز اور زکوٰۃ کا حکم دیتے تھے، اور وہ اپنے رب کے حضور مقام مرضیّہ پر (فائز) تھے (یعنی ان کا رب ان سے راضی تھا)o

55. And he used to enjoin on his family Prayer and Zakat (the Alms-due), and (held) the station of mardiyya in the presence of his Lord (i.e., his Lord was well-pleased with him).

55. Wakana yamuru ahlahu bialssalati waalzzakati wakana AAinda rabbihi mardiyyan

55. Og han pleide å pålegge sin familie tidebønnen og det pålagte bidraget, og han besatt i sin Herres øyne veltilfredshetens rang (en som Herren er vel tilfreds med).

55. और वोह अपने घर वालों को नमाज़ और ज़कात का हुक्म देते थे और वोह अपने रब के हुजूर मक़ामे मरज़िय्या पर (फाइज़) थे (यानी उनका रब उनसे राज़ी था) ।

৫৫. তিনি তাঁর পরিবারবর্গকে নামায ও যাকাতের নির্দেশ দিতেন এবং তিনি স্বীয় প্রতিপালকের সমীপে ছিলেন সন্তোষভাজনের স্তরে সমাসীন।

(مَرْيَم، 19 : 55)
اُولٰٓئِکَ الَّذِیۡنَ اَنۡعَمَ اللّٰہُ عَلَیۡہِمۡ مِّنَ النَّبِیّٖنَ مِنۡ ذُرِّیَّۃِ اٰدَمَ ٭ وَ مِمَّنۡ حَمَلۡنَا مَعَ نُوۡحٍ ۫ وَّ مِنۡ ذُرِّیَّۃِ اِبۡرٰہِیۡمَ وَ اِسۡرَآءِیۡلَ ۫ وَ مِمَّنۡ ہَدَیۡنَا وَ اجۡتَبَیۡنَا ؕ اِذَا تُتۡلٰی عَلَیۡہِمۡ اٰیٰتُ الرَّحۡمٰنِ خَرُّوۡا سُجَّدًا وَّ بُکِیًّا ﴿ٛ۵۸﴾

58. یہ وہ لوگ ہیں جن پر اللہ نے انعام فرمایا ہے زمرۂ انبیاء میں سے آدم (علیہ السلام) کی اولاد سے ہیں اور ان (مومنوں) میں سے ہیں جنہیں ہم نے نوح (علیہ السلام) کے ساتھ کشتی میں (طوفان سے بچا کر) اٹھا لیا تھا، اور ابراہیم (علیہ السلام) کی اور اسرائیل (یعنی یعقوب علیہ السلام) کی اولاد سے ہیں اور ان (منتخب) لوگوں میں سے ہیں جنہیں ہم نے ہدایت بخشی اور برگزیدہ بنایا، جب ان پر (خدائے) رحمان کی آیتوں کی تلاوت کی جاتی ہے وہ سجدہ کرتے ہوئے اور (زار و قطار) روتے ہوئے گر پڑتے ہیںo

58. These are the people on whom Allah bestowed favour from amongst the Prophets of the seed of Adam, and of those (believers) whom We (saved from Deluge and) carried with Nuh (Noah) in the Ark, and of the posterity of Ibrahim (Abraham) and Isra’il (Israel i.e., Ya‘qub [Jacob]) and of those (chosen ones) whom We guided and exalted. When the Verses of the Most Kind (Lord) are recited to them, they fall down prostrating themselves in (profuse) tears.

58. Olaika allatheena anAAama Allahu AAalayhim mina alnnabiyyeena min thurriyyati adama wamimman hamalna maAAa noohin wamin thurriyyati ibraheema waisraeela wamimman hadayna waijtabayna itha tutla AAalayhim ayatu alrrahmani kharroo sujjadan wabukiyyan

58. Disse er de som Allah har vist gunst mot: blant profetene av Adams ætt og av de troende som Vi bar på (satte om bord og berget fra syndfloden) sammen med Noah (i arken), og av Abrahams og Israels (Jakobs) barn og av de (utvalgte) som Vi rettledet og gjorde opphøyde. Når den mest Barmhjertiges (Herrens) ord blir resitert for dem, faller de på kne med ansiktet ned og gråter (en tåreflom).

58. ये वोह लोग हैं जिन पर अल्लाह ने इन्आम फरमाया है जु़मरए अम्बिया में से आदम (अ़लैहिस्सलाम) की औलाद से हैं और उन (मोमिनों) में से हैं जिन्हें हमने नूह (अ़लैहिस्सलाम) के साथ कश्ती में (तूफान से बचा कर) उठा लिया था, और इब्राहीम (अ़लैहिस्सलाम) की और इस्राईल (यानी याक़ूब अ़लैहिस्सलाम) की औलाद से हैं और उन (मुन्तख़ब) लोगों में से हैं जिन्हें हमने हिदायत बख़्शी और बर्गुज़ीदा बनाया, जब उन पर (खु़दाए) रहमान की आयतों की तिलावत की जाती है वोह सज्दा करते हुए और (ज़ारो क़तार) रोते हुए गिर पड़ते हैं।

৫৮. এরাই তাঁরা, যাঁদেরকে আল্লাহ্ অনুগ্রহ করেছেন; নবীগণের মধ্যে আদম (আলাইহিস সালাম) এবং সেসব (মুমিন) ব্যক্তিবর্গের সন্তানদের যাদেরকে আমরা (মহাপ্লাবন থেকে বাঁচাতে) নূহ (আলাইহিস সালাম)-এঁর সঙ্গে নৌকায় আরোহণ করিয়েছিলাম; আর ইবরাহীম (আলাইহিস সালাম) ও ইসরাঈল (অর্থাৎ ইয়াকুব আলাইহিস সালাম) এবং সেসব (মনোনীত) ব্যক্তিবর্গের বংশধরকে যাদেরকে আমরা হেদায়াত দান করেছিলাম এবং মনোনীত করেছিলাম। যখন তাদের নিকট অনুগ্রহশীল (আল্লাহ্)-এঁর আয়াতসমূহ তিলাওয়াত করা হয় তখন তারা (অত্যধিক) ক্রন্দনে সেজদায় লুটিয়ে পড়ে।

(مَرْيَم، 19 : 58)
فَخَلَفَ مِنۡۢ بَعۡدِہِمۡ خَلۡفٌ اَضَاعُوا الصَّلٰوۃَ وَ اتَّبَعُوا الشَّہَوٰتِ فَسَوۡفَ یَلۡقَوۡنَ غَیًّا ﴿ۙ۵۹﴾

59. پھر ان کے بعد وہ ناخلف جانشین ہوئے جنہوں نے نمازیں ضائع کردیں اور خواہشاتِ (نفسانی) کے پیرو ہوگئے تو عنقریب وہ آخرت کے عذاب (دوزخ کی وادئ غی) سے دوچار ہوں گےo

59. Then followed their pathetic successors who gave up Prayers and followed the lusts (of their ill-commanding selves). So they will soon face punishment in the Hereafter (in the Ghayi valley of Hell),

59. Fakhalafa min baAAdihim khalfun adaAAoo alssalata waittabaAAoo alshshahawati fasawfa yalqawna ghayyan

59. Etter dem ble de uverdige etterfølgerne til etterfølgere som forsømte tidebønnen og fulgte (sin indre egoismes) lyster. Snart vil de få møte på det hinsidiges pine (helvetes dal al-Ghaiy),

59. फिर उनके बाद वोह ना ख़ल्फ जा नशीन हुए जिन्होंने नमाजें ज़ाए’ कर दीं और ख़्वाहिशाते (नफ्सानी) के पैरव हो गए तो अ़नक़रीब वोह आख़िरत के अ़ज़ाबे (दोज़ख़ की वादिए ग़य्य) से दो चार होंगे।

৫৯. অতঃপর তাদের স্থলাভিষিক্ত হলো অযোগ্য উত্তরসূরীরা যারা নামায পরিত্যাগ করলো এবং কুপ্রবৃত্তির অনুগামী হলো। সুতরাং অচিরেই তারা পরকালের (দোযখের ‘গাই’ উপত্যকার) শাস্তির মুখোমুখি হবে।

(مَرْيَم، 19 : 59)
اِلَّا مَنۡ تَابَ وَ اٰمَنَ وَ عَمِلَ صَالِحًا فَاُولٰٓئِکَ یَدۡخُلُوۡنَ الۡجَنَّۃَ وَ لَا یُظۡلَمُوۡنَ شَیۡئًا ﴿ۙ۶۰﴾

60. سوائے اس شخص کے جس نے توبہ کر لی اور ایمان لے آیا اور نیک عمل کرتا رہا تو یہ لوگ جنت میں داخل ہوں گے اور ان پر کچھ بھی ظلم نہیں کیا جائے گاo

60. Except the one who repents and believes and persists in righteous works; they will enter Paradise and will not be wronged in the least.

60. Illa man taba waamana waAAamila salihan faolaika yadkhuloona aljannata wala yuthlamoona shayan

60. unntatt den som vender om i anger og antar troen og handler rettskaffent; disse vil gå inn i paradiset, og det vil ikke bli gjort noe ondt mot dem.

60. सिवाए उस शख़्स के जिसने तौबा कर ली और ईमान ले आया और नेक अ़मल करता रहा तो ये लोग जन्नत में दाख़िल होंगे और उन पर कुछ भी ज़ुल्म नहीं किया जाएगा।

৬০. তবে তারা ব্যতীত যারা তওবা করে, ঈমান আনয়ন করে এবং সৎকর্ম করে। তারাই প্রবেশ করবে জান্নাতে এবং তাদের প্রতি কোনোই যুলুম করা হবে না।

(مَرْيَم، 19 : 60)
جَنّٰتِ عَدۡنِۣ الَّتِیۡ وَعَدَ الرَّحۡمٰنُ عِبَادَہٗ بِالۡغَیۡبِ ؕ اِنَّہٗ کَانَ وَعۡدُہٗ مَاۡتِیًّا ﴿۶۱﴾

61. ایسے سدا بہار باغات میں (رہیں گے) جن کا (خدائے) رحمان نے اپنے بندوں سے غیب میں وعدہ کیا ہے، بیشک اس کا وعدہ پہنچنے ہی والا ہےo

61. (They will dwell) in such evergreen gardens which the Most Kind (Lord) has promised to His servants in the unseen. Certainly, His promise is about to come true.

61. Jannati AAadnin allatee waAAada alrrahmanu AAibadahu bialghaybi innahu kana waAAduhu matiyyan

61. (De vil leve i) Edens hager, som den mest Barmhjertige (Herren) har lovet Sine tjenere i det usette. Sannelig, Hans løfte må bli oppfylt!

61. ऐसे सदाबहार बाग़ात में (रहेंगे) जिनका (ख़ुदाए) रहमान ने अपने बन्दों से ग़ैब में वादा किया है, बेशक उसका वादा पहुंचने ही वाला है।

৬১. (তারা থাকবে) চিরসবুজ উদ্যানে, যার অঙ্গীকার অনুগ্রহশীল (আল্লাহ্) তাঁর বান্দাদেরকে অদৃশ্যভাবে করেছেন। নিশ্চয়ই তাঁর অঙ্গীকার অত্যাসন্ন।

(مَرْيَم، 19 : 61)
لَا یَسۡمَعُوۡنَ فِیۡہَا لَغۡوًا اِلَّا سَلٰمًا ؕ وَ لَہُمۡ رِزۡقُہُمۡ فِیۡہَا بُکۡرَۃً وَّ عَشِیًّا ﴿۶۲﴾

62. وہ اس میں کوئی بے ہودہ بات نہیں سنیں گے مگر (ہر طرف سے) سلام (سنائی دے گا)، ان کے لئے ان کا رزق اس میں صبح و شام (میسر) ہوگاo

62. They will not hear in it any absurd talk but only greetings of peace (pouring in from every direction). And for them, their sustenance will be (available) in it morning and evening.

62. La yasmaAAoona feeha laghwan illa salaman walahum rizquhum feeha bukratan waAAashiyyan

62. De vil ikke høre noe vrøvl i dem, men (ordet) «Fred!» (vil bli hørt fra alle kanter). Og for dem vil det være forsyning (tilgjengelig) i dem om morgenen og aftenen.

62. वोह उसमें कोई बेहूदा बात नहीं सुनेंगे मगर (हर तरफ से) सलाम (सुनाई देगा), उनके लिए उनका रिज़्क़ उसमें सुब्हो शाम (मुयस्सर) होगा।

৬২. তারা তাতে অনর্থক কোনো বাক্য শুনবে না, (চতুর্দিক থেকে) শান্তির সম্ভাষণ ব্যতীত। তাতে সকাল-বিকাল তাদের জন্যে (বিদ্যমান) থাকবে তাদের জীবনোপকরণ।

(مَرْيَم، 19 : 62)
وَ مَا نَتَنَزَّلُ اِلَّا بِاَمۡرِ رَبِّکَ ۚ لَہٗ مَا بَیۡنَ اَیۡدِیۡنَا وَ مَا خَلۡفَنَا وَ مَا بَیۡنَ ذٰلِکَ ۚ وَ مَا کَانَ رَبُّکَ نَسِیًّا ﴿ۚ۶۴﴾

64. اور (جبرائیل میرے حبیب صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم سے کہو کہ) ہم آپ کے رب کے حکم کے بغیر (زمین پر) نہیں اتر سکتے، جو کچھ ہمارے آگے ہے اور جو کچھ ہمارے پیچھے ہے اور جو کچھ اس کے درمیان ہے (سب) اسی کا ہے، اور آپ کا رب (آپ کو) کبھی بھی بھولنے والا نہیں ہےo

64. And, (O Jibra’il [Gabriel], say to My Beloved:) ‘We cannot descend (onto earth) without the command of your Lord. To Him belongs whatever is before us and whatever is behind us and whatever is in between. And your Lord is never forgetful (of you).

64. Wama natanazzalu illa biamri rabbika lahu ma bayna aydeena wama khalfana wama bayna thalika wama kana rabbuka nasiyyan

64. Og (å, du Gabriel! Si til Min elskede ﷺ): «Vi kan ikke nedstige (til jorden) uten din Herres befaling. Ham tilhører alt som er foran oss, og alt det som er bak oss, og alt det som mellom det er. Og Herren din kan aldri glemme (deg).

64. और (जिबराईल मेरे हबीब सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम से कहो कि) हम आपके रब के हुक्म के बिग़ैर (ज़मीन पर) नहीं उतर सकते, जो कुछ हमारे आगे है और जो कुछ हमारे पीछे है और जो कुछ उसके दर्मियान है (सब) उसी का है, और आपका रब (आपको) कभी भी भूलने वाला नहीं है।

৬৪. আর (হে জীবরাঈল, আমার হাবীব সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়া আলিহী ওয়াসাল্লামকে বলো,) ‘আমরা আপনার প্রতিপালকের নির্দেশ ব্যতীত (জমিনে) অবতরণ করতে পারি না। যা কিছু আমাদের সম্মুখে ও যা কিছু আমাদের পশ্চাতে রয়েছে এবং যা কিছু এর অন্তর্বর্তী, (সবকিছু) তাঁরই। আর আপনার প্রতিপালক (আপনার প্রতি) কখনো বিস্মরণপ্রবণ নন।

(مَرْيَم، 19 : 64)
رَبُّ السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضِ وَ مَا بَیۡنَہُمَا فَاعۡبُدۡہُ وَ اصۡطَبِرۡ لِعِبَادَتِہٖ ؕ ہَلۡ تَعۡلَمُ لَہٗ سَمِیًّا ﴿٪۶۵﴾

65. (وہ) آسمانوں اور زمین کا اور جو کچھ ان دو کے درمیان ہے (سب) کا رب ہے پس اس کی عبادت کیجئے اور اس کی عبادت میں ثابت قدم رہئے، کیا آپ اس کا کوئی ہم نام جانتے ہیںo

65. (He) is the Lord of the heavens and the earth and whatever is between the two. So worship Him and remain steadfast in His worship. Do you know who is His namesake?’

65. Rabbu alssamawati waalardi wama baynahuma faoAAbudhu waistabir liAAibadatihi hal taAAlamu lahu samiyyan

65. (Han er) Herren over himlene og jorden og alt det som mellom dem begge er. Tilbe Ham alene, og fortsett å være stø på føttene i Hans tilbedelse! Kjenner du til noen med samme navn som Han?»

65. (वोह) आस्मानों और ज़मीन का और जो कुछ उन दो के दर्मियान है (सब) का रब है पस उसकी इबादत कीजिए और उसकी इबादत में साबित क़दम रहिए, क्या आप उसका कोई हमनाम जानते हैं?

৬৫. (তিনি) আকাশমন্ডলী ও পৃথিবী এবং এ দু’য়ের মধ্যস্থিত যা কিছু রয়েছে তার প্রতিপালক। সুতরাং তাঁরই ইবাদত করুন এবং তাঁরই ইবাদতে অটল থাকুন। আপনি কি তাঁর সম-নামের কাউকে জানেন?’

(مَرْيَم، 19 : 65)
فَوَ رَبِّکَ لَنَحۡشُرَنَّہُمۡ وَ الشَّیٰطِیۡنَ ثُمَّ لَنُحۡضِرَنَّہُمۡ حَوۡلَ جَہَنَّمَ جِثِیًّا ﴿ۚ۶۸﴾

68. پس آپ کے رب کی قسم ہم ان کو اور (جملہ) شیطانوں کو (قیامت کے دن) ضرور جمع کریں گے پھر ہم ان (سب) کو جہنم کے گرد ضرور حاضر کر دیں گے اس طرح کہ وہ گھٹنوں کے بل گرے پڑے ہوں گےo

68. So, by your Lord, We will certainly gather them and (all) satans together (on the Day of Judgment). We will then bring them (all) around Hell fallen down in kneeling position.

68. Fawarabbika lanahshurannahum waalshshayateena thumma lanuhdirannahum hawla jahannama jithiyyan

68. Ved Herren din! Vi vil visselig samle dem og (alle) djevlene sammen (på oppstandelsens dag). Deretter vil Vi stille dem rundt helvete falne på sine knær.

68. पस आपके रब की क़सम हम उनको और (जुम्ला) शैतानों को (क़ियामत के दिन) ज़रूर जमा करेंगे फिर हम उन (सब) को जहन्नम के गिर्द ज़रूर हाज़िर कर देंगे इस तरह कि वोह घुटनों के बल गिरे पड़े होंगे।

৬৮. সুতরাং শপথ আপনার প্রতিপালকের, (কিয়ামতের দিন) আমরা তাদেরকে এবং (সমস্ত) শয়তানদেরকে একত্রে সমবেত করবোই, অতঃপর অবশ্যই এদেরকে জাহান্নামের চারপাশে নতজানু অবস্থায় উপস্থিত করবো।

(مَرْيَم، 19 : 68)
ثُمَّ لَنَنۡزِعَنَّ مِنۡ کُلِّ شِیۡعَۃٍ اَیُّہُمۡ اَشَدُّ عَلَی الرَّحۡمٰنِ عِتِیًّا ﴿ۚ۶۹﴾

69. پھر ہم ہر گروہ سے ایسے شخص کو ضرور چن کر نکال لیں گے جو ان میں سے (خدائے) رحمان پر سب سے زیادہ نافرمان و سرکش ہوگاo

69. Then We shall indeed pick out from every group the one who had been most disobedient to, and rebellious against, the Most Kind (Lord).

69. Thumma lananziAAanna min kulli sheeAAatin ayyuhum ashaddu AAala alrrahmani AAitiyyan

69. Deretter vil Vi visselig plukke ut en slik person fra hver flokk som var verst med hensyn til å være opprørsk og ulydig mot den mest Barmhjertige (Herren).

69. फिर हम हर गिरोह से ऐसे शख़्स को ज़रूर चुन कर निकालेंगे जो उनमें से (खु़दाए) रहमान पर सबसे ज़ियादा ना फरमानो सरकश होगा।

৬৯. এরপর আমরা প্রত্যেক দল থেকে এমন ব্যক্তিকে বাছাই করে বের করবোই, যে তাদের মধ্যে অনুগ্রহশীল (আল্লাহ্)-এঁর সর্বাধিক নাফরমান এবং অবাধ্য।

(مَرْيَم، 19 : 69)
وَ اِنۡ مِّنۡکُمۡ اِلَّا وَارِدُہَا ۚ کَانَ عَلٰی رَبِّکَ حَتۡمًا مَّقۡضِیًّا ﴿ۚ۷۱﴾

71. اور تم میں سے کوئی شخص نہیں ہے مگر اس کا اس (دوزخ) پر سے گزر ہونے والا ہے، یہ (وعدہ) قطعی طور پر آپ کے رب کے ذمہ ہے جو ضرور پورا ہوکر رہے گاo

71. And there is none of you but will pass over Hell. This (promise,) which will certainly be fulfilled, is absolutely with your Lord.

71. Wain minkum illa wariduha kana AAala rabbika hatman maqdiyyan

71. Og det finnes ingen blant dere som ikke vil komme til det (helvete). Dette løftet har Herren din påtatt Seg som et avgjort ansvar, som visselig vil bli oppfylt.

71. और तुम में से कोई शख़्स नहीं है मगर उसका उस (दोज़ख़) पर से गुज़र होने वाला है ये (वादा) क़तई तौर पर आपके रब के ज़िम्मे है जो ज़रूर पूरा होकर रहेगा।

৭১. আর তোমাদের মধ্যে প্রত্যেকেই জাহান্নামের উপর দিয়ে অতিক্রম করবে। এ (অঙ্গীকার) সম্পূর্ণরূপে আপনার প্রতিপালকের এখতিয়ারে, যা অবশ্যই পূর্ণ হবে।

(مَرْيَم، 19 : 71)
وَ اِذَا تُتۡلٰی عَلَیۡہِمۡ اٰیٰتُنَا بَیِّنٰتٍ قَالَ الَّذِیۡنَ کَفَرُوۡا لِلَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡۤا ۙ اَیُّ الۡفَرِیۡقَیۡنِ خَیۡرٌ مَّقَامًا وَّ اَحۡسَنُ نَدِیًّا ﴿۷۳﴾

73. اور جب ان پر ہماری روشن آیتیں تلاوت کی جاتی ہیں تو کافر لوگ ایمان والوں سے کہتے ہیں: (اسی دنیا میں دیکھ لو! ہم) دونوں گروہوں میں سے کس کی رہائش گاہ بہتر اور مجلس خوب تر ہےo

73. And when Our enlightening Verses are recited to them, the disbelievers say to the believers: ‘(See in the selfsame world) which of us two groups has better housing and a more influential social circle.’

73. Waitha tutla AAalayhim ayatuna bayyinatin qala allatheena kafaroo lillatheena amanoo ayyu alfareeqayni khayrun maqaman waahsanu nadiyyan

73. Og når Våre opplysende vers blir resitert for dem, sier de vantro til de troende: «(Se i denne verden), hvem av begge gruppene (oss) har bedre bolig og mer innflytelsesrike sosiale forsamlinger?»

73. और जब उन पर हमारी रौशन आयतें तिलावत की जाती हैं तो काफिर लोग ईमान वालों से कहते हैं: (इसी दुन्या में देख लो हम) दोनों गिरोहों में से किसकी रहाइशगाह बेहतर और मज्लिस ख़ूबतर है।

৭৩. আর যখন তাদের নিকট আমাদের সুস্পষ্ট আয়াতসমূহ তিলাওয়াত করা হয়, তখন কাফেরেরা ঈমানদারদেরকে বলে, ‘(পৃথিবীতেই দেখে নাও! আমাদের) উভয় দলের মধ্যে কার আবাসস্থল উত্তম এবং মজলিস সুন্দরতম।’

(مَرْيَم، 19 : 73)
قُلۡ مَنۡ کَانَ فِی الضَّلٰلَۃِ فَلۡیَمۡدُدۡ لَہُ الرَّحۡمٰنُ مَدًّا ۬ۚ حَتّٰۤی اِذَا رَاَوۡا مَا یُوۡعَدُوۡنَ اِمَّا الۡعَذَابَ وَ اِمَّا السَّاعَۃَ ؕ فَسَیَعۡلَمُوۡنَ مَنۡ ہُوَ شَرٌّ مَّکَانًا وَّ اَضۡعَفُ جُنۡدًا ﴿۷۵﴾

75. فرما دیجئے: جو شخص گمراہی میں مبتلا ہو تو (خدائے) رحمان (بھی) اسے عمر و عیش میں خوب مہلت دیتا رہتا ہے، یہاں تک کہ جب وہ لوگ اس چیز کو دیکھ لیں گے جس کا ان سے وعدہ کیا گیا ہے خواہ عذاب اور خواہ قیامت، تب وہ اس شخص کو جان لیں گے جو رہائش گاہ کے اعتبار سے (بھی) برا ہے اور لشکر کے اعتبار سے (بھی) کمزور تر ہےo

75. Say: ‘The Most Kind (Lord also) grants respite in age and luxury to the one who is lost in error until, when they see what they have been promised—the torment or the Day of Rising—then they will come to know him who is worse in respect of dwelling and (also) weaker in respect of troops.’

75. Qul man kana fee alddalalati falyamdud lahu alrrahmanu maddan hatta itha raaw ma yooAAadoona imma alAAathaba waimma alssaAAata fasayaAAlamoona man huwa sharrun makanan waadAAafu jundan

75. Si: «Den som er fortapt i villfarelsen, ham gir den mest Barmhjertige (Herren) en lang frist i levealder og luksus, helt til de får se det som er blitt dem lovet – det være seg pinen eller timen. Da vil de få vite hvem som er verst stilt når det gjelder bolig, og hvem som er svakest når det gjelder hærstyrker.»

75. फरमा दीजिए: जो शख़्स गुमराही में मुब्तला हो तो (खु़दाए) रहमान (भी) उसे उम्रो ऐश में ख़ूब मोहलत देता रहता है, यहां तक कि जब वोह लोग उस चीज़ को देख लेंगे जिसका उनसे वादा किया गया है ख़्वाह अ़ज़ाब और ख़्वाह क़ियामत, तब वोह उस शख़्स को जान लेंगे जो रहाइशगाह के ऐतिबार से (भी) बुरा है और लश्कर के ऐतिबार से (भी) कमज़ोर तर है।

৭৫. বলে দিন, ‘যে ব্যক্তি গোমরাহীতে লিপ্ত রয়েছে, করুণাময় (আল্লাহ্ও) তাকে যথেষ্ট অবকাশ দিতে থাকেন; এমনকি অবশেষে তারা প্রত্যক্ষ করবে, যে বিষয়ে তাদেরকে অঙ্গীকার করা হয়েছিল, শাস্তি হোক আর কিয়ামতই হোক; তখন তারা জানতে পারবে, আবাসস্থলের দিক থেকে কে নিকৃষ্ট এবং দলবলেও দুর্বল।’

(مَرْيَم، 19 : 75)
وَ یَزِیۡدُ اللّٰہُ الَّذِیۡنَ اہۡتَدَوۡا ہُدًی ؕ وَ الۡبٰقِیٰتُ الصّٰلِحٰتُ خَیۡرٌ عِنۡدَ رَبِّکَ ثَوَابًا وَّ خَیۡرٌ مَّرَدًّا ﴿۷۶﴾

76. اور اللہ ہدایت یافتہ لوگوں کی ہدایت میں مزید اضافہ فرماتا ہے، اور باقی رہنے والے نیک اعمال آپ کے رب کے نزدیک اجر و ثواب میں (بھی) بہتر ہیں اور انجام میں (بھی) خوب تر ہیںo

76. Allah adds to the guidance of those who are guided aright. And in the sight of your Lord, the lasting pious deeds are better in respect of reward and (also) more valuable in terms of end result.

76. Wayazeedu Allahu allatheena ihtadaw hudan waalbaqiyatu alssalihatu khayrun AAinda rabbika thawaban wakhayrun maraddan

76. Og Allah øker på i rettledningen til dem som er rettledet. Og de evigvarende rettskafne handlingene er bedre i din Herres øyne i belønning og utmerket i den endelige avslutningen.

76. और अल्लाह हिदायत याफ्ता लोगों की हिदायत में मज़ीद इज़ाफा फरमाता है, और बाक़ी रहने वाले नेक आमाल आपके रब के नज़दीक अज्रो सवाब में (भी) बेहतर हैं और अंजाम में (भी) ख़ूबतर हैं।

৭৬. আল্লাহ্ হেদায়াতপ্রাপ্ত লোকদের হেদায়াত আরো বৃদ্ধি করে দেন, আর স্থায়ী সৎকর্মসমূহ আপনার প্রতিপালকের নিকট প্রতিদানে ও সাওয়াবের দিক থেকে শ্রেষ্ঠ এবং প্রতিদান হিসেবেও উৎকৃষ্টতর।

(مَرْيَم، 19 : 76)
اَفَرَءَیۡتَ الَّذِیۡ کَفَرَ بِاٰیٰتِنَا وَ قَالَ لَاُوۡتَیَنَّ مَالًا وَّ وَلَدًا ﴿ؕ۷۷﴾

77. کیا آپ نے اس شخص کو دیکھا ہے جس نے ہماری آیتوں سے کفر کیا اور کہنے لگا: مجھے (قیامت کے روز بھی اسی طرح) مال و اولاد ضرور دیئے جائیں گےo

77. Have you seen such a person that rejected Our Signs and said: ‘I shall certainly be given wealth and children (the same way, even on the Day of Resurrection)’?

77. Afaraayta allathee kafara biayatina waqala laootayanna malan wawaladan

77. Har du sett ham som fornektet Våre tegn og sa: «Jeg vil visselig bli gitt rikdom og barn (på samme vis på oppstandelsens dag)!»?

77. क्या आपने उस शख़्स को देखा है जिसने हमारी आयतों से कुफ्र किया और कहने लगा: मुझे (क़ियामत के रोज़ भी इसी तरह) मालो औलाद ज़रूर दिए जाएंगे।

৭৭. আপনি কি তাকে লক্ষ্য করেছেন, যে আমার আয়াতসমূহকে অস্বীকার করলো এবং বলতে লাগলো, ‘আমাকে (কিয়ামতের দিন এরূপেই) অবশ্যই সম্পদ ও সন্তান-সন্ততি দেয়া হবে?’

(مَرْيَم، 19 : 77)
اِنۡ کُلُّ مَنۡ فِی السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضِ اِلَّاۤ اٰتِی الرَّحۡمٰنِ عَبۡدًا ﴿ؕ۹۳﴾

93. آسمانوں اور زمین میں جو کوئی بھی (آباد) ہیں (خواہ فرشتے ہیں یا جن و انس) وہ اللہ کے حضور محض بندہ کے طور پر حاضر ہونے والے ہیںo

93. Whoever is (dwelling) in the heavens and the earth (whether an angel, a jinn or a human being) will appear just as a servant before the Most Kind (Lord).

93. In kullu man fee alssamawati waalardi illa atee alrrahmani AAabdan

93. Hvem som enn finnes i himlene og på jorden (engel, dsjinn eller menneske), vil møte opp hos den mest Barmhjertige (Herren) som kun en tjener.

93. आस्मानों और ज़मीन में जो कोई भी (आबाद) हैं (ख़्वाह फरिश्ते हैं या जिन्नो इन्स) वोह अल्लाह के हुज़ूर महज़ बन्दे के तौर पर हाज़िर होने वाले हैं।

৯৩. আকাশমন্ডলী ও পৃথিবীতে (বসবাসরত ফেরেশতা, জ্বিন কিংবা মানুষ) সবাই দয়াময় আল্লাহ্‌র নিকট কেবল বান্দারূপেই আগমনকারী।

(مَرْيَم، 19 : 93)
فَاِنَّمَا یَسَّرۡنٰہُ بِلِسَانِکَ لِتُبَشِّرَ بِہِ الۡمُتَّقِیۡنَ وَ تُنۡذِرَ بِہٖ قَوۡمًا لُّدًّا ﴿۹۷﴾

97. سو بیشک ہم نے اس (قرآن) کو آپ کی زبان میں ہی آسان کر دیا ہے تاکہ آپ اس کے ذریعہ پرہیزگاروں کو خوشخبری سنا سکیں اور اس کے ذریعہ جھگڑالو قوم کو ڈر سنا سکیںo

97. So We have indeed made this (Qur’an) easy in your own tongue so that, by means of it, you may communicate good news to the Godfearing and may warn thereby the contentious people.

97. Fainnama yassarnahu bilisanika litubashshira bihi almuttaqeena watunthira bihi qawman luddan

97. Sannelig, Vi har gjort den (Koranen) lett på språket ditt, slik at du kan bebude det gledelige budskapet til de gudfryktige med den og advare det kranglevorne folk med den.

97. सो बेशक हमने इस (क़ुरआन) को आपकी जु़बान में ही आसान कर दिया है ताकि आप इसके ज़रीए परहेज़गारों को ख़ुशख़बरी सुना सकें और इसके ज़रीए झगड़ालू क़ौम को डर सुना सकें।

৯৭. সুতরাং নিশ্চয়ই আমরা একে (এ কুরআনকে) আপনার ভাষাতেই সহজ করে দিয়েছি যাতে আপনি এর দ্বারা পরহেযগারদেরকে সুসংবাদ দিতে পারেন এবং এর দ্বারা কলহপ্রিয় সম্প্রদায়কে সতর্ক করতে পারেন।

(مَرْيَم، 19 : 97)
وَ کَمۡ اَہۡلَکۡنَا قَبۡلَہُمۡ مِّنۡ قَرۡنٍ ؕ ہَلۡ تُحِسُّ مِنۡہُمۡ مِّنۡ اَحَدٍ اَوۡ تَسۡمَعُ لَہُمۡ رِکۡزًا ﴿٪۹۸﴾

98. اور ہم نے ان سے پہلے کتنی ہی قوموں کو ہلاک کر دیا ہے، کیا آپ ان میں سے کسی کا وجود بھی دیکھتے ہیں یا کسی کی کوئی آہٹ بھی سنتے ہیںo

98. And how many a community have We destroyed before them! Do you perceive even a trace or hear even the faintest fizzle of any of them?

98. Wakam ahlakna qablahum min qarnin hal tuhissu minhum min ahadin aw tasmaAAu lahum rikzan

98. Og hvor mange folk har Vi ikke tilintetgjort før dem? Ser du noen av dem eksistere, eller hører du en eneste lyd fra dem?

98. और हमने उनसे पहले कितनी ही क़ौमों को हलाक कर दिया है, क्या आप उनमें से किसी का वुजूद भी देखते हैं या किसी की कोई आहट भी सुनते हैं?

৯৮. আর তাদের পূর্বে আমরা কতো সম্প্রদায়কে ধ্বংস করে দিয়েছি! আপনি কি তাদের কারো অস্তিত্ব খুঁজে পান অথবা তাদের কারো ক্ষীণতম শব্দও শুনতে পান?

(مَرْيَم، 19 : 98)